पटना: बुधवार 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट 2023 पेश करेंगी. बजट को लेकर देश के लोगों की नजरें हर बार टिकी रहती हैं. विशेष रूप से सरकारी कर्मियों को आम बजट का बेसब्री से इंतजार होता है. इस बार के आम बजट से सरकारी कर्मियों को भी काफी उम्मीदें हैं. उन्हें इस बात की उम्मीद है कि इस बार सरकार उनकी मांगों को बजट में जरूर शामिल करेगी. नौकरी पेशा लोगों से इसी मुद्दे पर जब ईटीवी भारत ने उनकी राय जानने की कोशिश की तो उनका कहना था कि-'अगर टैक्स स्लैब में थोड़ा सा बदलाव कर दिया जाए तो काफी राहत मिल सकती है.'
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''जो बजट आने वाला है अगर उस बजट में सरकार के द्वारा स्लैब में थोड़ा सा वृद्धि कर दी जाए तो हम जैसे जो सैलरीड लोग हैं, उन्हें काफी लाभ मिल सकता है. हम लोग एक महीने में जितनी मेहनत से कमाते हैं. उसमें अगर स्लैब बढ़ा दिया जाए तो कहीं न कहीं हम लोग को अच्छा लगेगा.''- आशीष, सरकारी कर्मचारी
समझें टैक्स स्लैब का गणित: ज्यादातर बजट में क्या कुछ बदला लोगों की नजर टैक्स स्लैब पर ही रहती है. इसकी सीमा बढ़ी तो यही समझ आता है कि बजट से राहत मिली है. जबकि अर्थशास्त्री अमित बख्शी के मुताबिक बजट में कई चीजों पर ध्यान देना होता है. सबसे पहली बात यह है कि टैक्स स्लैब कितना बदला है? पिछली बार यह यूपीए की सरकार में बदला गया था. बाद में एनडीए गवर्नमेंट ने इसे न्यू ओरिजिन में लाने की कोशिश की थी. टैक्सपेयर कौन सा मेथड ले रहे हैं या कौन सा ऑप्शन इस्तेमाल करते हैं? तो इसमें टैक्स पेयर पुराने रिजीम (new income tax regime) को ही ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि उसमें थोड़ा रियायत है.
''मेरी सरकार से यही उम्मीद है कि जो बजट आए वह आम जनता के हित में आए. मैं इसलिए कह रहा हूं कि आजकल बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है कि आम जनता परेशान है. जितना भी हम लोग टैक्स भरते हैं, कहीं न कहीं एक ओवरलोड की तरह हमारे जीवन पर उसका असर पड़ रहा है. हमारी सरकार से यही उम्मीद है.''- राजीव रंजन, सरकारी कर्मी
महंगाई बढ़ी लेकिन प्राइस ऑफ मनी नीचे गिरी: जब आप अंतिम टैक्स देखेंगे तो तब से लेकर अब तक यानी करीब 10 वर्ष के वक्त में महंगाई का काफी योगदान है. सामान का दर, पेट्रोलियम प्रोडक्ट का दर, वह पहले की तुलना में काफी बढ़ गए हैं. पेट्रोलियम प्रोडक्ट अगर देखा जाए तो 50 से 60 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुका है. यानी प्राइस ऑफ मनी काफी नीचे चला गया है. जिससे आप पहले 100 रुपये मूल्य का जो सामान खरीदते थे, आज की तारीख में मूल्य घट गया है. उतना सामान नहीं खरीद सकते हैं.
''हम लोग नौकरी पेशा इंसान हैं. हमारी मांग है कि टैक्स स्लैब को वर्तमान में 5 लाख से ऊपर कम से कम 8 या 10 लाख रुपए कर देना चाहिए. हमारी यही उम्मीद है.'' - वरुण, सरकारी कर्मी
टैक्स स्लैब में रियायत से बढ़ेगी क्रय शक्ति: टैक्सपेयर का जो बोझ है या उन पर जो असर पड़ रहा है, वह ज्यादा है. यानी टैक्स स्लैब में थोड़ी रियायत देने की जरूरत है. जिससे परचेसिंग कैपेसिटी बढ़े. जो टैक्स आप सरकार को दे रहे हैं और यदि वह आपके पास रहे. इससे ऐसा नहीं है कि इकोनॉमी के लिए बड़ी दिक्कत हो जाएगी. अगर आपके पास पैसा है तो उससे आप बाजार में डिमांड क्रिएट करते हैं. जिससे सप्लाई और डिमांड की स्पीड है वह और तेजी से बढ़ती है, तो वह परचेसिंग पावर कैपिसिटी कंजूमर का बढ़ता है. सरकार के पास अगर वह जाता है तो अल्टीमेटली वेलफेयर, लोगों के कल्याण में, देश के विकास में ही खर्च होता है. यदि लोगों के पास वह परचेसिंग पावर रहे तो वो और ज्यादा तेजी से इकोनामी को बढ़ावा देगा. इसका जो इकोनॉमिक बैक ग्राउंड है, उसमें भी जरूरी है कि टैक्स स्लैब को थोड़ा रिवाइज किया जाए और इनकम ग्रुप को थोड़ी रियायत दी जाए.
''आने वाले बजट से हम लोग यही उम्मीद रखते हैं कि टैक्स का जो स्लैब होता है, उसे थोड़ा बढ़ा दिया जाए, ताकि जो भी नौकरी पेशा लोग हैं. उनको राहत मिल सके. हमारी यही उम्मीद है.''- समरेश राय, सरकारी कर्मी