पटना: बिहार चुनाव के एक बारे में एक पुरानी कहावत है, जो 2020 के चुनाव में सही साबित हुई. ऐसे कहा जाता है कि सीमांचल और मिथिलांचल में जिस की जीत हुई. उसी की सरकार बनती है. आरजेडी सीमांचल ही नहीं, बल्कि मिथिलांचल में भी बुरी तरह पिछड़ा और यहीं उसकी सत्ता की चाबी खो गई.
शाहाबाद और मगध समेत कई जिलों में झंडा लहराने वाला राष्ट्रीय जनता दल सीमांचल और मिथिलांचल में धराशाई हो गया. मिथिलांचल में विशेष रूप से इस बार एनडीए ने 30 में से 22 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रहा. दरभंगा में 10 में से सिर्फ एक दरभंगा ग्रामीण की सीट आरजेडी के हिस्से आई. वहीं, मधुबनी में लौकहा और मधुबनी शहर की सीट ही राजद के हिस्से आई. हालांकि समस्तीपुर में प्रदर्शन कुछ बेहतर रहा, जहां 4 सीटों पर राजद के प्रत्याशी जीतने में सफल रहे.
आरजेडी के 2 कद्दावर नेता चुनाव हारे
दरभंगा के सियासी समीकरण पर गौर करें तो राजद ने अपने दो कद्दावर नेताओं की सीट इस बार बदल दी गई थी. अब्दुल बारी सिद्दीकी को अलीनगर की जगह केवटी से टिकट मिला था. वहीं, पिछली बार बहादुरपुर से जीतने वाले भोला यादव को इस बार हायाघाट से मैदान में उतारा गया था. ये दोनों नेता चुनाव हार गए और अपनी हार के लिए पार्टी को दोषी ठहरा रहे हैं. हालांकि भोला यादव ने दरभंगा में राजद के खराब प्रदर्शन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सभा को वजह बताया है.
ललित यादव अपनी सीट बचाने में रहे सफल
भोला यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री की सभा का बड़ा असर मिथिलांचल में पड़ा और तीसरे चरण में मोदी ने वोट पोलराइज कर दिया. दरभंगा से सिर्फ ललित यादव अपनी सीट बचाने में सफल रहे.
'ओवैसी की सभाओं का बड़ा इंपैक्ट'
आरजेडी प्रवक्ता अनवर हुसैन ने बताया कि सीमांचल में ओवैसी की सभाओं का बड़ा इंपैक्ट मिथिलांचल पर भी पड़ा. आरजेडी नेता ने बताया कि मिथिलांचल में राजद की स्ट्रैटजी इस बार काम नहीं आई. जानकारी के अनुसार इंटरनल सर्वे के मुताबिक राजद ने अपने कई नेताओं की विधानसभा सीट में परिवर्तन किया था. लेकिन इसका कोई फायदा मिलने की बजाय उल्टा उन्हें सारी सीटें गंवानी पड़ी.
दरभंगा, मधुबनी में विकास कार्यों का भी एक बड़ा फायदा एनडीए को मिला. दरभंगा में एम्स की घोषणा और एयरपोर्ट शुरू होने का बड़ा फायदा बीजेपी और जदयू को मिला है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी की सभा ने बीजेपी और जदयू का काम आसान कर दिया.