पटना: बिहार में जातीय जनगणना को लेकर आज सर्वदलीय बैठक (All Party Meeting On Caste Census) होनी है. राष्ट्रीय जनता दल ने दावा किया है कि बिहार में जातीय जनगणना को लेकर जो दबाव हमारी पार्टी ने बनाया है, वह लगता है कि अब असर करने लगा है. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी (RJD spokesperson Mrityunjay Tiwari) ने कहा कि शुरू से ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (RJD Leader Tejashwi yadav) जातीय जनगणना कराने के पक्षधर रहे हैं और लगातार नीतीश सरकार पर उन्होंने दबाव बनाया है.
पढ़ें- बिहार में जातीय जनगणना कराने को लेकर सर्वदलीय बैठक आज
'तेजस्वी के दबाव के आगे झुकी सरकार': मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि राजद के दबाव के कारण ही आज जाति जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक होनी है. हम लोग चाहते थे कि बिहार में जातीय जनगणना हो जैसे ही आंकड़े सामने आएंगे सरकारी योजना का लाभ उन लोगों को भी मिलेगा जो लोग आर्थिक तंगी में अपने जीवन को गुजार रहे हैं. जब जातीय जनगणना होगी तो बिहार की जनता को इससे काफी फायदा होगा.
"शुरू से ही हमारे नेता जातीय जनगणना को लेकर आवाज उठाते रहे हैं. यहां तक कि तेजस्वी यादव ने यह भी धमकी दी थी कि अगर बिहार में जातीय जनगणना नहीं होगी तो हम लोग दिल्ली तक पैदल मार्च करेंगे. कहीं न कहीं नीतीश कुमार ने भी इसको आवश्यक समझा है और यही कारण है कि आज सर्वदलीय बैठक हो रही है. अब यही चाहते हैं कि सभी दल के लोग जातीय जनगणना के मसले पर एकजुट हों."- मृत्युंजय तिवारी, राजद प्रवक्ता
जातीय जनगणना पर बीजेपी का रुख क्या होगा? : जातीय जनगणना कैसे हो इसको लेकर ही सभी दल के नेताओं को ससमय बैठक में उपस्थित होने का आग्रह किया गया है. इधर इस बैठक को लेकर मंगलवार को आरजेडी ने विधानमंडल दल की बैठक की. इसके अलावा सभी पार्टियां तैयारी कर चुकी है. हालांकि जातीय जनगणना पर बीजेपी का रुख क्या रहता है इसपर सबकी नजर टिकी रहेगी.
केंद्र नहीं करायेगी जातीय जणगणना : यहां उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि सरकार जातीय जनगणना नहीं कराने जा रही है. वहीं राज्यों को ये छूट मिली है कि अगर वो चाहें तो अपने खर्चे पर सूबे में जातीय जनगणना करा सकते हैं. वहीं बिहार में लगभग सभी दल एकमत हैं कि प्रदेश में जातीय जनगणना होनी चाहिए. भाजपा ने इसे लेकर केंद्र के फैसले के साथ खुद को खड़ा रखा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हाल में ही इस मुद्दे पर मुलाकात की थी. सीएम लगातार जातीय जनगणना के पक्ष में बयान देते रहे हैं.
1931 के बाद जातीय जनगणना नहीं हुआ: 1931 के बाद जातीय जनगणना नहीं हुआ है. इसलिए अनुमान पर ही बिहार में जातियों की आबादी का प्रतिशत लगाया जाता रहा है. बिहार में ओबीसी में 33 जातियां शामिल है तो वही ईबीसी में सवा सौ से अधिक जातियां हैं. ओबीसी और ईबीसी की आबादी में यादव 14 फीसदी, कुर्मी तीन से चार फीसदी, कुशवाहा 6 से 7 फीसदी, बनिया 7 से 8 फीसदी ओबीसी का दबदबा है. इसके अलावा अत्यंत पिछड़ा वर्ग में कानू, गंगोता, धानुक, नोनिया, नाई, बिंद बेलदार, चौरसिया, लोहार, बढ़ई, धोबी, मल्लाह सहित कई जातियां चुनाव के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं.
नीतीश कुमार के नेतृत्व में पीएम से मिला था शिष्टमंडल : जातीय जनगणना को लेकर तेजस्वी यादव की पहल पर ही पिछले साल 23 अगस्त को नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से शिष्टमंडल मिला था लेकिन केंद्र सरकार ने साफ मना कर दिया है. अब नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक कर इस पर फैसला लेने की बात कही है. ऐसे में इसमें क्या होता है इसपर सबकी निगाह टिकी रहेगी.
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