नई दिल्ली/पटना : आरजेडी शुरू से ही महिला आरक्षण बिल में आरक्षण में आरक्षण की डिमांड करती आ रही है. एससी, एसटी और ओबीसी को महिला आरक्षण के दायरे में लाने को लेकर आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने मांग की है कि इस बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाय और इसमें SC-ST और OBC को भी शामिल किया जाय. मनोज झा ने धर्मग्रंथों से उलट देश के चरित्र को विरोधाभाषी बताकर श्लोक "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः' पर तंज कसा.
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धर्मग्रंथों से उलट है देश का विरोधाभाषी चरित्र : महिला आरक्षण पर बोलते हुए मनोज झा ने कहा कि मुझे तो समझ में नहीं आया की ये लेजिस्लेशन है या किसी धार्मिक ग्रंध का शीर्षक है, क्योंकि मैं इस देश में बचपन से पढ़ता आया कि "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः'
'देश में महिलाओं का शोषण' : हमें देवता का पता नहीं कि देवता रमा करते हैं कि नहीं लेकिन हमने इस श्लोक के बावजूद महिलाओं का शोषण देखा है. देश में घरेलू हिंसा देखी है, सबसे ज्यादा रेप परिवार नाम की संस्था में देखी है, इसका आंकड़ा खुद सरकार भी देती है. मुझे ऐसा लगता है कि हमारे देश का जो विरोधाभासी चरित्र है, उसपर भी बात होनी चाहिए."
'महिला बिल को सलेक्ट कमेटी में भेजें' : राज्यसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 पर चर्चा के दौरान RJD के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि ''ये मसला यस और नो का नहीं है. ये मसला इस बात से जुड़ा हुआ है कि जो प्रधानमंत्री जी ने बीते दिनों सेंट्रल हॉल में कहा था कि कैनवास बड़ा होगा, आकृति बड़ी होगी. बड़ा कैनवस तो है, लेकिन आकृति छोटी गढ़ी जा रही है. इसका इतिहास स्मरण करेगा.''
"अगर चश्मा सरकार लगाती है तो उसका पावर बदलिए. जब आज यहां से उठिए तो ओबीसी वर्ग को एक कमिटमेंट दीजिए. नई व्यवस्था में पुराने वाले को बिना छूए आरक्षण देने से क्रांति आएगी. हमारा सरनेम एक प्रिविलेज है, लेकिन उन सरनेम को देखिए, जिनका प्रिविलेज नहीं है."- मनोज झा, राज्यसभा सांसद, आरजेडी
'भगवतिया देवी जैसी महिला संसद क्यों नहीं आ पाईंं' : मनोझ जा ने कहा कि लालू यादव ने गया में पत्थर तोड़ने वाली भगवतिया देवी को संसद में पहुंचाया. फूलन देवी संसद तक पहुंची. देश की व्यस्था संवेदन शून्य होने की वजह से दोबारा ऐसी महिलाएं नहीं आ पाईं.
''हर महिला को बहुत मुश्किल से आगे बढ़ना पड़ता है. खास करके पिछड़ा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जानजाति की महिलाएं. लालू यादव ने एक पत्थर तोड़ने वाली भगवतिया देवी को संसद तक पहुंचाया है. लेकिन, क्या उसके बाद भगवतिया देवी आ पाईं, क्या फूलन देवी आ पाईं. इसलिए नहीं आ पाईं कि हमारी व्यवस्थाएं संवेदन शून्य हैं.''- मनोज झा, राज्यसभा सांसद, आरजेडी