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बिहार में कोरोना टेस्ट में 'फर्जीवाड़ा'! राज्यसभा में उठा मामला

कोरोना जांच में कथित फर्जीवाड़े का मामला बिहार के बाद अब दिल्ली के सदन में भी गूजा. राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने यह मामला उठाया. वेंकैया नायडू ने भी मामले को गंभीर बताया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से मामले की जांच करवाने का आग्रह किया है.

rjd mp demands high level inquiry in bihar covid test
rjd mp demands high level inquiry in bihar covid test
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Published : Feb 12, 2021, 1:51 PM IST

Updated : Feb 12, 2021, 8:12 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना जांच में गड़बड़ी आरोप लग रहे हैं. इस बीच कथित फर्जीवाड़े का मामला शुक्रवार को राज्यसभा में उठाया गया. शून्यकाल में आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सदन में इस मामले को उठाते हुए केंद्र सरकार से जांच की मांग की है.

''एक अंग्रेजी अखबार में बिहार में कोविड-19 टेस्टिंग के साथ जो खिलवाड़ हुआ है वह बात सामने आई है. सातवें दिन आंकड़ा एक लाख हो गया. 14 वें दिन दो लाख हो गया अब सब चीजें सामने आ रही हैं. कई ब्लैंक कॉलम्स है. इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए.''- मनोज झा, आरजेडी सांसद

यह भी पढ़ें - आज CM नीतीश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से करेंगे मुलाकात

वहीं, आरजेडी सांसद की मांग को उचित मानते हुए सभापति वेंकैया नायडू ने भी मामले को गंभीर बताया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से मामले की जांच करवाने का आग्रह किया है.

देखें वीडियो

बिहार में फर्जी कारोना टेस्ट : तेजस्वी
इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कोरोना जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरा. तेजस्वी ने आरोप लगाया गया है कि बिहार में फर्जी कोरोना टेस्ट दिखाकर नेता और अधिकारियों ने अरबों रुपये का घोटाला किया है.

यह भी पढ़ें - झारखंड हाईकोर्ट पर टिकी RJD की नजर, जताई उम्मीद- अब जेल से बाहर आएंगे लालू

तेजस्वी ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, "बिहार की आत्माविहीन भ्रष्ट नीतीश कुमार सरकार के बस में होता तो कोरोना काल में गरीबों की लाशें बेच-बेचकर भी कमाई कर लेती."

''एक अखबार की जांच में यह साफ हो गया है कि सरकारी दावों के उलट कोरोना टेस्ट हुए ही नहीं और मनगढ़ंत टेस्टिंग दिखा अरबों का हेर-फेर कर दिया.'' - तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

क्या है मामला?
दरअसल, एक रिपोर्ट की माने तो बिहार के खगाड़िया के रहने वाले एक शख्स ने दावा किया है कि लॉकडाउन के चलते हमारा काम बंद हो गया था. यहां से तीन महिलाओं को जांच के लिए ले जाया गया था. बिना जांच के ही तीनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई थी. इन्हें क्वॉरंटीन में रख दिया गया. हमने डीएम से इस मामले की शिकायत की तो उन्होंने जांच कराई और रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद छोड़ दिया गया. उन्होंने स्वास्थकर्मियों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.

यह भी पढ़ें - लापरवाही: शिक्षा विभाग ने रिटायर्ड, सजायाफ्ता और मृतक शिक्षकों की भी मैट्रिक परीक्षा में लगाई ड्यूटी

रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के जमुई, शेखपुरा और पटना के छह पीएचसी में कोविड टेस्ट के 885 एंट्री की जांच की गई. इस दौरान खुलासा हुआ कि जिन लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, उनमें से अधिकतर मरीजों का मोबाइल नंबर गलत लिखा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, जिला मुख्यालय में डाटा एंट्री स्टॉफ ने जमीनी स्तर पर काम करने वाले पीएचसी के कर्मचारियों को दोषी ठहराया है.

पटना: बिहार में कोरोना जांच में गड़बड़ी आरोप लग रहे हैं. इस बीच कथित फर्जीवाड़े का मामला शुक्रवार को राज्यसभा में उठाया गया. शून्यकाल में आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सदन में इस मामले को उठाते हुए केंद्र सरकार से जांच की मांग की है.

''एक अंग्रेजी अखबार में बिहार में कोविड-19 टेस्टिंग के साथ जो खिलवाड़ हुआ है वह बात सामने आई है. सातवें दिन आंकड़ा एक लाख हो गया. 14 वें दिन दो लाख हो गया अब सब चीजें सामने आ रही हैं. कई ब्लैंक कॉलम्स है. इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए.''- मनोज झा, आरजेडी सांसद

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वहीं, आरजेडी सांसद की मांग को उचित मानते हुए सभापति वेंकैया नायडू ने भी मामले को गंभीर बताया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से मामले की जांच करवाने का आग्रह किया है.

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बिहार में फर्जी कारोना टेस्ट : तेजस्वी
इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कोरोना जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरा. तेजस्वी ने आरोप लगाया गया है कि बिहार में फर्जी कोरोना टेस्ट दिखाकर नेता और अधिकारियों ने अरबों रुपये का घोटाला किया है.

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तेजस्वी ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, "बिहार की आत्माविहीन भ्रष्ट नीतीश कुमार सरकार के बस में होता तो कोरोना काल में गरीबों की लाशें बेच-बेचकर भी कमाई कर लेती."

''एक अखबार की जांच में यह साफ हो गया है कि सरकारी दावों के उलट कोरोना टेस्ट हुए ही नहीं और मनगढ़ंत टेस्टिंग दिखा अरबों का हेर-फेर कर दिया.'' - तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

क्या है मामला?
दरअसल, एक रिपोर्ट की माने तो बिहार के खगाड़िया के रहने वाले एक शख्स ने दावा किया है कि लॉकडाउन के चलते हमारा काम बंद हो गया था. यहां से तीन महिलाओं को जांच के लिए ले जाया गया था. बिना जांच के ही तीनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई थी. इन्हें क्वॉरंटीन में रख दिया गया. हमने डीएम से इस मामले की शिकायत की तो उन्होंने जांच कराई और रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद छोड़ दिया गया. उन्होंने स्वास्थकर्मियों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के जमुई, शेखपुरा और पटना के छह पीएचसी में कोविड टेस्ट के 885 एंट्री की जांच की गई. इस दौरान खुलासा हुआ कि जिन लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, उनमें से अधिकतर मरीजों का मोबाइल नंबर गलत लिखा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, जिला मुख्यालय में डाटा एंट्री स्टॉफ ने जमीनी स्तर पर काम करने वाले पीएचसी के कर्मचारियों को दोषी ठहराया है.

Last Updated : Feb 12, 2021, 8:12 PM IST
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