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आज RJD का 26वां स्थापना दिवस, जनता दल से अलग होकर 1997 में लालू ने बनाई थी पार्टी

5 जुलाई 1997 में मुश्किल वक्त में लालू प्रसाद (RJD Supremo Lalu Yadav) ने राजद की नींव रखी थी. तब से लेकर आज तक वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. काफी समय बाद पार्टी के स्थापना दिवस पर वो पटना में मौजूद हैं. पिछले साल आरजेडी के 25 वें स्थापना दिवस पर उनकी कमी पार्टी के लोगों को काफी खली थी. पढ़ें पूरी खबर...

RJD का 26 वां स्थापना दिवस
RJD का 26 वां स्थापना दिवस
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Published : Jul 5, 2022, 8:56 AM IST

Updated : Jul 5, 2022, 9:08 AM IST

पटनाः राष्ट्रीय जनता दल आज अपना 26वां स्थापना (RJD 26th Foundation day In Patna) दिवस मना रहा है. इस मौके पर प्रदेश से लेकर जिला तक आरजेडी कार्यालय में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. दल की स्थापना 5 जुलाई 1997 में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने की थी. काफी समय बाद वो इस अवसर पर पटना में मौजूद हैं. ऐसा माना जा रहा है कि पटना कार्यालय में होने वाले मुख्य कार्यक्रम में वो शामिल हो सकते हैं. हालांकि दो दिन पहले ही सीढ़ियों से गिर जाने के कारण वो कंधे की हड्डी में माइनर फ्रेक्चर से परेशान हैं.

ये भी पढ़ेंः RJD के स्थापना दिवस पर बोले तेजस्वी- लालू नाम नहीं, बल्कि विचारधारा हैं, कैद नहीं कर सकते

1997 में हुई थी आरजेडी की स्थापनाः बता दें कि लालू प्रसाद ने अपने दम पर 1997 में आरजेडी को खड़ा किया था. तब स्थापना के वक्त उनके साथ रघुवंश प्रसाद सिंह, कांति सिंह समेत 17 लोकसभा सांसद और आठ राज्यसभा सांसदों की मौजूदगी में बड़ी तादाद में कार्यकर्ता और समर्थक जुटे थे. स्थापना के साथ ही लालू प्रसाद यादव को पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था और आज भी वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. हालांकि पार्टी का पूरा दारोमदार उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव पर है और वो अपनी जिम्मदेरी को बाखूबी निभा रहे हैं, उनकी दूरदर्शिता और रणनीति के कारण ही आज पार्टी बिहार में नंबर वन है.

स्थापना के पीछे ये थी राजनीतिक घटनाः दरअसल राजद की स्थापना के पीछे एक बड़ी राजनीतिक घटना भी है. 4 जुलाई 1997 की शाम पूर्व पीएम इंद्र कुमार गुजराल ने दिल्ली में अपने आवास पर नेताओं की एक बैठक बुलाई थी, इसमें लालू प्रसाद भी शामिल हुए थे. इस बैठक में लालू प्रसाद से कहा गया कि वह सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे. लेकिन उनको जनता दल का ही अध्यक्ष रहने दिया जाए. तब लालू सीबीआई की गिरफ्त में घिर चुके थे. उनकी एक बात नहीं सुनी गई. जिसका नतीजा यह हुआ कि अगले ही दिन यानी 5 जुलाई को लालू प्रसाद ने अपनी अलग राष्ट्रीय जनता दल के नाम से पार्टी बना ली. इसके बाद लालू यादव ने एक और दांव चलते हुए 25 जुलाई को अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बना कर सबको चौंका दिया. इस तरह लालू ने अपनी अलग पार्टी भी खड़ी कर ली और सत्ता भी बचा ली.

1997 में पार्टी ने अपने दम बनाई थी सरकारः 5 जुलाई 1997 में मुश्किल वक्त में लालू प्रसाद ने राजद की नींव रखी थी, लेकिन अगले ही विधानसभा चुनाव में पार्टी ने कमाल कर दिया. तब वर्तमान झारखंड बिहार का हिस्सा हुआ करता था और बिहार में 324 विधानसभा सीटें हुआ करती थी. वहीं, 2000 के विधान बिहार विधानसभा चुनाव में राजद ने 324 में से 124 सीटों पर ही जीत दर्ज की जबकि बीजेपी को 67, कांग्रेस को 23, जदयू को 21 और समता पार्टी को 34 सीटों पर जीत मिली. आरजेडी के पास बहुमत नहीं था. केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार थी. बिहार में नीतीश को बीजेपी ने समर्थन दिया कुछ दूसरे दल भी साथ आ गए. नीतीश कुमार सीएम बने लेकिन वह विधानसभा में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाए और महज 7 दिन ही सीएम पद पर रहने के बाद इस्तीफा दे दिया. तब लालू ने जबरदस्त तरीके से मैनेजमेंट करके सत्ता अपने हाथों में ली और 2005 तक राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी रही.

पटनाः राष्ट्रीय जनता दल आज अपना 26वां स्थापना (RJD 26th Foundation day In Patna) दिवस मना रहा है. इस मौके पर प्रदेश से लेकर जिला तक आरजेडी कार्यालय में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. दल की स्थापना 5 जुलाई 1997 में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने की थी. काफी समय बाद वो इस अवसर पर पटना में मौजूद हैं. ऐसा माना जा रहा है कि पटना कार्यालय में होने वाले मुख्य कार्यक्रम में वो शामिल हो सकते हैं. हालांकि दो दिन पहले ही सीढ़ियों से गिर जाने के कारण वो कंधे की हड्डी में माइनर फ्रेक्चर से परेशान हैं.

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1997 में हुई थी आरजेडी की स्थापनाः बता दें कि लालू प्रसाद ने अपने दम पर 1997 में आरजेडी को खड़ा किया था. तब स्थापना के वक्त उनके साथ रघुवंश प्रसाद सिंह, कांति सिंह समेत 17 लोकसभा सांसद और आठ राज्यसभा सांसदों की मौजूदगी में बड़ी तादाद में कार्यकर्ता और समर्थक जुटे थे. स्थापना के साथ ही लालू प्रसाद यादव को पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था और आज भी वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. हालांकि पार्टी का पूरा दारोमदार उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव पर है और वो अपनी जिम्मदेरी को बाखूबी निभा रहे हैं, उनकी दूरदर्शिता और रणनीति के कारण ही आज पार्टी बिहार में नंबर वन है.

स्थापना के पीछे ये थी राजनीतिक घटनाः दरअसल राजद की स्थापना के पीछे एक बड़ी राजनीतिक घटना भी है. 4 जुलाई 1997 की शाम पूर्व पीएम इंद्र कुमार गुजराल ने दिल्ली में अपने आवास पर नेताओं की एक बैठक बुलाई थी, इसमें लालू प्रसाद भी शामिल हुए थे. इस बैठक में लालू प्रसाद से कहा गया कि वह सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे. लेकिन उनको जनता दल का ही अध्यक्ष रहने दिया जाए. तब लालू सीबीआई की गिरफ्त में घिर चुके थे. उनकी एक बात नहीं सुनी गई. जिसका नतीजा यह हुआ कि अगले ही दिन यानी 5 जुलाई को लालू प्रसाद ने अपनी अलग राष्ट्रीय जनता दल के नाम से पार्टी बना ली. इसके बाद लालू यादव ने एक और दांव चलते हुए 25 जुलाई को अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बना कर सबको चौंका दिया. इस तरह लालू ने अपनी अलग पार्टी भी खड़ी कर ली और सत्ता भी बचा ली.

1997 में पार्टी ने अपने दम बनाई थी सरकारः 5 जुलाई 1997 में मुश्किल वक्त में लालू प्रसाद ने राजद की नींव रखी थी, लेकिन अगले ही विधानसभा चुनाव में पार्टी ने कमाल कर दिया. तब वर्तमान झारखंड बिहार का हिस्सा हुआ करता था और बिहार में 324 विधानसभा सीटें हुआ करती थी. वहीं, 2000 के विधान बिहार विधानसभा चुनाव में राजद ने 324 में से 124 सीटों पर ही जीत दर्ज की जबकि बीजेपी को 67, कांग्रेस को 23, जदयू को 21 और समता पार्टी को 34 सीटों पर जीत मिली. आरजेडी के पास बहुमत नहीं था. केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार थी. बिहार में नीतीश को बीजेपी ने समर्थन दिया कुछ दूसरे दल भी साथ आ गए. नीतीश कुमार सीएम बने लेकिन वह विधानसभा में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाए और महज 7 दिन ही सीएम पद पर रहने के बाद इस्तीफा दे दिया. तब लालू ने जबरदस्त तरीके से मैनेजमेंट करके सत्ता अपने हाथों में ली और 2005 तक राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी रही.

Last Updated : Jul 5, 2022, 9:08 AM IST
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