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'राजनीति में दलितों के लिए आरक्षण महज छलावा, एक ही जाति का वर्चस्व कायम'

बिहार में राजनीति के क्षेत्र में आरक्षण एक ही जाति तक सिमट कर रह गई है. दलित चिंतक इस बात को लेकर आवाज उठा रहे हैं.

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Published : Apr 5, 2019, 3:35 PM IST

राजनीतिक पार्टी

पटना: संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान में दलितों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया. बाबा साहब हर स्तर पर दलितों के लिए आरक्षण के हिमायती थे. राजनीति में भी दलितों को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया. लेकिन 70 साल बीत जाने के बाद भी बिहार में राजनीति के क्षेत्र में आरक्षण एक ही जाति तक सिमट कर रह गई है. दलित चिंतक इस बात को लेकर आवाज उठा रहे हैं

बिहार में 250 जातियां को लोकसभा की 40 सीटों में समेटा जाता है. राज्य में 24 अनुसूचित जातियां है. इसके लिए 6 सीटें आरक्षित हैं. जिन लोकसभा सीटों को आरक्षित श्रेणी में रखा गया है, उसमें गया, जमुई, समस्तीपुर, हाजीपुर, गोपालगंज और सासाराम का नाम शामिल है. बिहार के अंदर दलितों के लिए लोकसभा सीट आरक्षित तो किया गए हैं लेकिन इसका लाभ सभी जातियों को नहीं मिल पा रहा है. राजनीति में आरक्षण का लाभ एक ही जाति तक सिमट कर रह गया है.

नेताओं का बयान


आरक्षित 6 में 4 सीटें हैं पासवान जाति के पास
6 में 4 सीटें ऐसी हैं जिस पर पासवान जाति का कब्जा है जमुई सीट पर चिराग पासवान सांसद है और इस बार फिर से मैदान में हैं. हाजीपुर लोकसभा सीट पर लंबे समय से रामविलास पासवान चुनाव जीतते आ रहे हैं और इस बार पार्टी की ओर से पशुपति कुमार पारस को उम्मीदवार बनाया गया है. इसके अलावा समस्तीपुर से रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान है. सासाराम लोकसभा सीट पर पिछले बार भाजपा के छेदी पासवान जीते थे और इस बार भी छेदी पासवान चुनाव के मैदान में हैं.

6 में 2 सीटों पर ही दूसरी जातियों का कब्जा है पिछले चुनाव में गया सीट से हरि मांझी चुनाव जीते थे. इस बार जीतन राम मांझी और विजय मांझी के बीच मुकाबला है. दूसरा सीट गोपालगंज है, जहां पर पिछली बार जनक राम जीते थे. इस बार डॉक्टर सुमन यहां से मैदान में हैं.


दलित चिंतक उठा रहे हैं आवाज
बिहार के अंदर 24 अनुसूचित जातियां हैं लेकिन राजनीति में दखल एक या दो जातियों की ही है. दलित चिंतक इसे लेकर चिंतित हैं और दूसरी जातियों के लोग भी राजनीति के मुख्यधारा में आए इसे लेकर आवाज उठा रहे हैं. दलित चिंतक रघुवीर मोची ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि कुछ जातियों को ही आरक्षण का लाभ मिल पा रहा है. नव धनाठ और सामंती प्रवृत्ति के लोग ही राजनीति में जगह पा रहे हैं बाकी की जातियां उपेक्षित रह जाती है. खासतौर पर पासवान जाति को राजनीति में तवज्जो मिलती है बाकी की जातियां हाशिए पर है.


हम ने रामविलास पासवान को ठहराया जिम्मेदार
दलितों की राजनीति करने वाली पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा ने ऐसी स्थिति के लिए रामविलास पासवान को जिम्मेदार ठहराया है. हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि रामविलास पासवान नेता जरूर दलित के हुए लेकिन उन्होंने चिंता सिर्फ अपने परिवार कि की. हम प्रवक्ता ने कहा कि जीतन राम मांझी ने तमाम दलितों की चिंता की है और सब को हमारी पार्टी में प्रतिनिधित्व दिया गया है.


बीजेपी ने किया बचाव
बीजेपी प्रवक्ता अजीत चौधरी ने कहा है कि भाजपा ने दलितों को सबसे ज्यादा सम्मान दिया है. गठबंधन के अंदर कोशिश किया गया है कि सभी जातियों को जगह मिले लेकिन क्योंकि सीटों की संख्या कम है इसलिए लोकसभा विधानसभा में कभी कभी ऐसा होता है कि सभी जातियों को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है.

पटना: संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान में दलितों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया. बाबा साहब हर स्तर पर दलितों के लिए आरक्षण के हिमायती थे. राजनीति में भी दलितों को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया. लेकिन 70 साल बीत जाने के बाद भी बिहार में राजनीति के क्षेत्र में आरक्षण एक ही जाति तक सिमट कर रह गई है. दलित चिंतक इस बात को लेकर आवाज उठा रहे हैं

बिहार में 250 जातियां को लोकसभा की 40 सीटों में समेटा जाता है. राज्य में 24 अनुसूचित जातियां है. इसके लिए 6 सीटें आरक्षित हैं. जिन लोकसभा सीटों को आरक्षित श्रेणी में रखा गया है, उसमें गया, जमुई, समस्तीपुर, हाजीपुर, गोपालगंज और सासाराम का नाम शामिल है. बिहार के अंदर दलितों के लिए लोकसभा सीट आरक्षित तो किया गए हैं लेकिन इसका लाभ सभी जातियों को नहीं मिल पा रहा है. राजनीति में आरक्षण का लाभ एक ही जाति तक सिमट कर रह गया है.

नेताओं का बयान


आरक्षित 6 में 4 सीटें हैं पासवान जाति के पास
6 में 4 सीटें ऐसी हैं जिस पर पासवान जाति का कब्जा है जमुई सीट पर चिराग पासवान सांसद है और इस बार फिर से मैदान में हैं. हाजीपुर लोकसभा सीट पर लंबे समय से रामविलास पासवान चुनाव जीतते आ रहे हैं और इस बार पार्टी की ओर से पशुपति कुमार पारस को उम्मीदवार बनाया गया है. इसके अलावा समस्तीपुर से रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान है. सासाराम लोकसभा सीट पर पिछले बार भाजपा के छेदी पासवान जीते थे और इस बार भी छेदी पासवान चुनाव के मैदान में हैं.

6 में 2 सीटों पर ही दूसरी जातियों का कब्जा है पिछले चुनाव में गया सीट से हरि मांझी चुनाव जीते थे. इस बार जीतन राम मांझी और विजय मांझी के बीच मुकाबला है. दूसरा सीट गोपालगंज है, जहां पर पिछली बार जनक राम जीते थे. इस बार डॉक्टर सुमन यहां से मैदान में हैं.


दलित चिंतक उठा रहे हैं आवाज
बिहार के अंदर 24 अनुसूचित जातियां हैं लेकिन राजनीति में दखल एक या दो जातियों की ही है. दलित चिंतक इसे लेकर चिंतित हैं और दूसरी जातियों के लोग भी राजनीति के मुख्यधारा में आए इसे लेकर आवाज उठा रहे हैं. दलित चिंतक रघुवीर मोची ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि कुछ जातियों को ही आरक्षण का लाभ मिल पा रहा है. नव धनाठ और सामंती प्रवृत्ति के लोग ही राजनीति में जगह पा रहे हैं बाकी की जातियां उपेक्षित रह जाती है. खासतौर पर पासवान जाति को राजनीति में तवज्जो मिलती है बाकी की जातियां हाशिए पर है.


हम ने रामविलास पासवान को ठहराया जिम्मेदार
दलितों की राजनीति करने वाली पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा ने ऐसी स्थिति के लिए रामविलास पासवान को जिम्मेदार ठहराया है. हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि रामविलास पासवान नेता जरूर दलित के हुए लेकिन उन्होंने चिंता सिर्फ अपने परिवार कि की. हम प्रवक्ता ने कहा कि जीतन राम मांझी ने तमाम दलितों की चिंता की है और सब को हमारी पार्टी में प्रतिनिधित्व दिया गया है.


बीजेपी ने किया बचाव
बीजेपी प्रवक्ता अजीत चौधरी ने कहा है कि भाजपा ने दलितों को सबसे ज्यादा सम्मान दिया है. गठबंधन के अंदर कोशिश किया गया है कि सभी जातियों को जगह मिले लेकिन क्योंकि सीटों की संख्या कम है इसलिए लोकसभा विधानसभा में कभी कभी ऐसा होता है कि सभी जातियों को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है.

Intro:संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान में दलितों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया बाबा साहब हर स्तर पर दलितों के लिए आरक्षण के हिमायती थे राजनीति में भी दलितों को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया लेकिन 70 साल बीत जाने के बाद भी राजनीति के क्षेत्र में आरक्षण एक ही जाति तक सिमट कर रह गया है दलित चिंतक इस बात को लेकर आवाज भी उठाने लगे हैं


Body:देश में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं बिहार के अंदर भी दलितों के लिए अच्छा लोकसभा सीट आरक्षित किया गए हैं लेकिन इसका लाभ सभी जातियों को नहीं मिल पा रहा है राजनीति में आरक्षण का लाभ एक ही जाति तक सिमट कर रह गया है l
बिहार के अंदर लोकसभा चुनाव में जातियों की लहर आती वोट की फसल काटने के लिए राजनीतिक दल भी तैयार हैं सभी दलों ने अपने-अपने स्तर पर खास रणनीति भी बना रखी है इसकी कड़ी के रूप में चुनाव की घोषणा से पहले तमाम दलों ने जातीय आधार पर राजनीतिक सम्मेलन भी आयोजित की हैl
बिहार में 250 जातियां को लोकसभा की 40 सीटों में समेटा जाता है राज्य में 23 अनुसूचित जातियां है इसके लिए 6 सीटें आरक्षित किए गए हैं जिन लोकसभा सीटों को आरक्षित किया गया है उसमें गया , जमुई ,समस्तीपुर ,हाजीपुर ,गोपालगंज, सासाराम का नाम शामिल है l
6 में 4 सीटें ऐसी हैं जिस पर पासवान जाति का कब्जा है जमुई सीट पर चिराग पासवान सांसद है और इस बार वह चुनाव भी लड़ रहे हैं हाजीपुर लोकसभा सीट पर लंबे समय से रामविलास पासवान चुनाव जीता रहे हैं और इस बार पार्टी की ओर से पशुपति कुमार पारस को उम्मीदवार बनाया गया है इसके अलावा समस्तीपुर से रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान उम्मीदवार हैl सासाराम लोकसभा सीट पर पिछले बार भाजपा के छेदी पासवान जीते थे और इस बार भी छेदी पासवान चुनाव के मैदान में हैं
6 में 2 सीटों पर ही दूसरी जातियों का कब्जा है पिछले चुनाव में गया सीट से हरि मांझी चुनाव जीते थे और इस बार जीतन राम मांझी और विजय मांझी के बीच मुकाबला है दूसरा गोपालगंज सीट पर जनक चमार जीते थे इस बार डॉक्टर सुमन मैदान में हैं


Conclusion:बिहार के अंदर 24 अनुसूचित जातियां हैं लेकिन राजनीति में दखल एक या दो जातियों की ही है दलित चिंतक इसे लेकर चिंतित हैं और दूसरी जातियों के लोग भी राजनीति के मुख्यधारा में आए इसे लेकर आवाज उठने लगी है l
दलित चिंतक रघुवीर मोची ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि कुछ एक जातियों को ही आरक्षण का लाभ मिल पा रहा है नव धनाढ्य और सामंती प्रवृत्ति के लोग ही राजनीति में जगह पा रहे हैं बाकी की जातियां उपेक्षित रह जाती है खासतौर पर पासवान जाति को राजनीति में तवज्जो मिलती है बाकी की जातियां हाशिए पर हैl
दलितों की राजनीति करने वाली पार्टी हमने ऐसी स्थिति के लिए रामविलास पासवान को जिम्मेदार ठहराया है हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि रामविलास पासवान नेता जरूर दलित के हुए लेकिन उन्होंने चिंता सिर्फ अपने परिवार की की हम प्रवक्ता ने कहा कि जीतन राम मांझी ने तमाम दलितों की चिंता की है और सब को हमारी पार्टी में प्रतिनिधित्व दिया गया है l
भाजपा प्रवक्ता अजीत चौधरी ने कहा है कि भाजपा ने दलितों को सबसे ज्यादा सम्मान दिया है और गठबंधन के अंदर कोशिश किए गए हैं कि सभी जातियों को जगह मिले लेकिन क्यों की सीटों की संख्या कम है इसलिए लोकसभा विधानसभा में कभी कभी ऐसा होता है कि सभी को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है
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