गोपालगंज: बिहार में ऐसे तो कई दुर्गा मंदिर है लेकिन गोपालगंज के थावे प्रखंड स्थित लछवार दुर्गा मंदिर की अलग पहचान है. डिजिटल युग में भी अंधविश्वास हावी है. यहां दुर्गा पूजा के समय भूत-प्रेत और पिचाशों का कोर्ट लगता है, जहां मां दुर्गा की कृपा से लोगों को प्रेत आत्माओं से मुक्ति मिलती है.
भूतों का मेला: डिजिटल युग में इसे अंधविश्वास भी कहा जा सकता है, लेकिन लोगों की मान्यता है कि भूत, चुड़ैल और डायन के कब्जे से भी लछवार माई मुक्ति दिलाती हैं. चैत्र नवरात्र में यहां पर अजब का नजारा देखने को मिलता है. मंदिर परिसर में महिला जोर-जोर से अपना सिर हिला रही है तो कहीं कोई महिला पेड़ पर झूल रही हैं. मान्यता है कि यहां की मिट्टी के स्पर्श मात्र से भूत प्रेत भाग जाते हैं. यहां का भभूत भी काफी महत्व रखता है.
गोपालगंज से 15 किलोमीटर दूर स्थित है यह मंदिर: यह मंदिर गोपालगंज जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दक्षिण में थावे प्रखंड के लछवार गांव में स्थित है. यहां बिहार के मोतिहारी, बेतिया, छपरा, मुजफ्फरपुर के अलावा उत्तर प्रदेश और नेपाल से भी लोग भूत-प्रेतों से छुटकारा पाने के लिए आते हैं.
हर साल नवरात्र में उमड़ती है भीड़: नवरात्र के दौरान इस मंदिर में विशेष भीड़ देखी जाती है. नवरात्र में दूर-दराज के श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इस मंदिर में रुकने की व्यवस्था के साथ 9 दिनों तक रहकर अपनी समस्याओं का समाधान मां दुर्गा से प्राप्त करते हैं. इस वर्ष प्रशासन ने सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं.
"यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी पीड़ा समाप्त हो जाती है. नवरात्र के छठे दिन विशेष पूजा अर्चना होती है. सप्तमी, अष्टमी को यहां आने वाले भक्तों को उनकी तमाम समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है, इसीलिए दूरदराज से भक्त यहां जमा होते हैं. मान्यता है कि यहां मिट्टी के स्पर्श मात्र से प्रेत आत्माएं शरीर छोड़ जाती हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु को यहां पूरी आस्था है." - माया देवी मंदिर की पुजारी
मंदिर का 200 साल से लग रहा मेला: पूर्व में यह देवी स्थान गांव के पश्चिम दिशा में स्थापित था। लगभग सौ साल पूर्व नारायण टोला सिंहपुर निवासी बाबा कल्लू पाण्डेय को देवी ने दर्शन दिया. कहा कि मेरे इस स्थान को गांव के पूरब दिशा में ले चलो. इसके बाद बाबा ने नारायणपुर पंडित टोला के पूरब (लक्षवार धाम) में देवी के स्थान को अपने ही जमीन में स्थापित किया और चारों दिशाओं में ध्वज लगाकर पूजा अर्चना करने लगे.
पानी और भभूत दवा के रूप में करता है काम: स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर की पानी और बाबा द्वारा दिया जाने वाला भभूत प्रेत आत्माओं को शरीर छोड़ने में मदद करता है. कई लोग मानते हैं कि यहां आने से उनके असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं.
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