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कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा दुर्लभ 'जयंती योग', जानें क्यों है खास - Auspicious time for janmashtami puja

कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) की देशभर में विशेष धूम रहती है. भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण ने कंस के कारागृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया था. द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय जो दुर्लभ संयोग था, वैसा ही दुर्लभ संयोग इस बार बन रहा हैं. इस दुर्लभ संयोग में कैसे की जाए पूजा और क्या है पूजा का महत्व, पढ़ें ये रिपोर्ट..

पटना
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Published : Aug 30, 2021, 6:04 AM IST

पटना: कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) 2021 चातुर्मास भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा पाठ से जुड़ी अवधि होती है. इसी क्रम में सबसे पहले कृष्ण जन्माष्टमी का नंबर आता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था. इस शुभ तिथि को भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और इसे जन्माष्टमी कहा जाता है.

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भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में इस त्यौहार की विशेष धूम रहती है. देशभर के सभी कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी विशेष धूमधाम के साथ मनाई जाती है. इस साल जन्माष्टमी 30 अगस्त को मनाई जाएगी. इस अवसर पर लोग घरों में और मंदिरों में झांकियां सजाते हैं. घर में बाल गोपाल का जन्म उत्सव मनाते हैं. मान्यता है कि जो नि:संतान दंपत्ति जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं, भगवान उनकी मनोकामना जल्द पूरी करते हैं.

आचार्य  कमल दुबे
आचार्य कमल दुबे

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 29 अगस्त को रविवार रात 11:25 पर हो रहा है और अष्टमी तिथि 30 अगस्त को रात में 1:59 तक रहेगी, इसलिए जन्माष्टमी देशभर में 30 अगस्त को मनाई जाएगी, क्योंकि उदया तिथि का विशेष महत्व होता है. जन्माष्टमी में उदया तिथि 30 अगस्त को मिल रही है, इसलिए व्रत 30 अगस्त को ही रखा जाएगा.

ये भी पढ़ें- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा द्वापर जैसा दुर्लभ संयोग, जानिए इस दौरान पूजन का महत्व

पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात 11:49 से 12:44 तक रहेगा. सनातन धर्म में इस त्यौहार का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान कृष्ण के भक्त विधि विधान से उनका व्रत करते हैं. मान्यता है कि इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करने से भगवान उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. वहीं, ज्योतिष में भी इस व्रत का खास महत्व है. जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हैं या पीड़ित हैं, उनके लिए यह व्रत करना बहुत ही फायदेमंद होगा. निसंतान दंपत्ति के लिए ये व्रत करना बहुत ही अच्छा होता है. कहते हैं जो अविवाहित लड़कियां व्रत रखकर कान्हा जी को झूला झूलाती हैं, उनके विवाह के शीघ्र योग बन जाते हैं.

देखें वीडियो

30 अगस्त की सुबह सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ सफाई करें. मंदिर की साफ सफाई करें. स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर अपने घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, पूरे दिन उपवास रखें. अगर किसी भी जातक को शारीरिक कुछ परेशानी है, तो वह फलाहार कर सकते हैं. पूरे दिन भगवान कृष्ण के और राधा रानी के नाम का भजन करें और रात में जब भगवान कृष्ण का जन्म 12 बजे हो जाए, उसके उपरांत उनको पंचामृत से स्नान करवाएं.

ये भी पढ़ें- covid-19: जन्माष्टमी के दिन बंद रहेंगे देशभर के इस्कान मंदिर

भोग में माखन मिश्री अवश्य चढ़ाएं और तुलसी मंजरी को भी उन्हें अर्पित करें. भगवान कृष्ण को जन्म के उपरांत पंचमेवा, फल और दूध से बनी हुई मिठाई को भी अर्पित करें. उनसे प्रार्थना करें कि हे परमात्मा हे, पूर्ण ब्रह्म, हे विष्णु के, आठवें अवतार, हे 16 कलाओं के मालिक प्रभु आपकी कृपा दृष्टि अगर हमारे और हमारे परिवार पर बनी रहेगी तो बड़ी से बड़ी समस्या भी आसानी से टल जाएगी. ऐसा भाव लेकर जो भी जातक भगवान कृष्ण की पूजा पाठ करेंगे भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद उनके और उनके परिवार पर सदैव बना रहेगा.

इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा. राशियों के अनुरूप अगर कोई भी जातक भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी का पर्व मनाता है और भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तुएं उन्हें अर्पित करता है, तो उसको जीवन में बहुत लाभ होगा और वह जीवन में तरक्की करेगा. इस वर्ष जयंती योग का निर्माण हो रहा है. ये वही योग है जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था. ग्रहों का जो संयोग उनके जन्म के समय बना था, वही संजोग इस वर्ष भी बन रहा है. उस समय भी भगवान श्रीकृष्ण की राशि वृषभ थी और इस बार भी जब उनका जन्मोत्सव 30 अगस्त की रात 12 बजे मनाया जाएगा, तो उस समय भी राशि वृषभ ही होगी. यह बहुत ही अद्भुत संयोग है.

भगवान कृष्ण के जन्म के पश्चात सभी राशियों के लोग उन्हें उनकी प्रिय वस्तु माखन और मिश्री का भोग लगाएं और तुलसी मंजरी उन्हें अर्पित करें. भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत उनके बाल रूप का गंगाजल से स्नान कराएं, तत्पश्चात पंचामृत से स्नान करवाएं और पुनः गंगाजल से स्नान कराने के बाद उन्हें वस्त्र इत्यादि पहनाकर पालने में बैठाए और झूलाए. आइए राशियों के अनुरूप जानते हैं कि भगवान कृष्ण को क्या अर्पित करें.

मेष राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत उन्हें लाल वस्त्र और लाल फल अर्पित करें. वृषभ राशि के जातक जन्म के उपरांत सफेद वस्त्र सफेद पुष्प व दूध से बनी मिठाई उन्हें अर्पित करें. मिथुन राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत हरा वस्त्र, पान, सुपारी, नारियल और दूध से बनी हुई मिठाई उन्हें अर्पित करें. कर्क राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत उन्हें दूध से बनी मिठाई और सफेद वस्त्र अर्पित करें.

सिंह राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत पंचामृत का अभिषेक करने के बाद उन्हें लाल वस्त्र और सेब अर्पित करें. कन्या राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत पान, फल में अमरूद और हरा वस्त्र अर्पित करें. तुला राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत आसमानी रंग का वस्त्र व दूध से बनी हुई मिठाई अर्पित करें. वृश्चिक राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत फल में सेव, लाल वस्त्र और कुमकुम उन्हें अर्पित करें.

धनु राशि के जातक भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपरांत उन्हें पीतांबरी वस्त्र, फल में अमरूद या सेव अर्पित करें और दूध से बनी हुई मिठाई अर्पित करें. मकर राशि के जातक भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपरांत वस्त्र में नीला वस्त्र, फल में सेब और पंचमेवा अर्पित करें. कुंभ राशि के जातक भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपरांत नीला वस्त्र पंचमेवा और फल में सेब अर्पित करें. मीन राशि के जातक भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपरांत वस्त्र में पीला वस्त्र, फल में सेब, केला और पंचमेवा अर्पित करें.

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भगवान कृष्ण का जन्म भगवान विष्णु का पूर्ण अवतार माना जाता है. भगवान कृष्ण इस पृथ्वी पर 16 कलाओं को लेकर प्रकट हुए थे. भगवान श्रीकृष्ण ने अधर्म का नाश किया और धर्म की स्थापना की. जिन जातकों के वैवाहिक जीवन में कुछ समस्याएं चल रही है या उनका विवाह तो हो गया है, लेकिन कोई संतान नहीं है या वो कन्याएं जिनकी शादी में कहीं न कहीं से कुछ अड़चनें आ रही हैं, अगर इस व्रत को वो श्रद्धा पूर्वक और विश्वास के साथ विधि विधान से करती हैं, तो भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद उनके ऊपर अवश्य बना रहेगा और जो भी उनकी मनोकामनाएं हैं, वो पूर्ण होगी.

पटना: कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) 2021 चातुर्मास भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा पाठ से जुड़ी अवधि होती है. इसी क्रम में सबसे पहले कृष्ण जन्माष्टमी का नंबर आता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था. इस शुभ तिथि को भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और इसे जन्माष्टमी कहा जाता है.

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भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में इस त्यौहार की विशेष धूम रहती है. देशभर के सभी कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी विशेष धूमधाम के साथ मनाई जाती है. इस साल जन्माष्टमी 30 अगस्त को मनाई जाएगी. इस अवसर पर लोग घरों में और मंदिरों में झांकियां सजाते हैं. घर में बाल गोपाल का जन्म उत्सव मनाते हैं. मान्यता है कि जो नि:संतान दंपत्ति जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं, भगवान उनकी मनोकामना जल्द पूरी करते हैं.

आचार्य  कमल दुबे
आचार्य कमल दुबे

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 29 अगस्त को रविवार रात 11:25 पर हो रहा है और अष्टमी तिथि 30 अगस्त को रात में 1:59 तक रहेगी, इसलिए जन्माष्टमी देशभर में 30 अगस्त को मनाई जाएगी, क्योंकि उदया तिथि का विशेष महत्व होता है. जन्माष्टमी में उदया तिथि 30 अगस्त को मिल रही है, इसलिए व्रत 30 अगस्त को ही रखा जाएगा.

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पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात 11:49 से 12:44 तक रहेगा. सनातन धर्म में इस त्यौहार का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान कृष्ण के भक्त विधि विधान से उनका व्रत करते हैं. मान्यता है कि इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करने से भगवान उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. वहीं, ज्योतिष में भी इस व्रत का खास महत्व है. जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हैं या पीड़ित हैं, उनके लिए यह व्रत करना बहुत ही फायदेमंद होगा. निसंतान दंपत्ति के लिए ये व्रत करना बहुत ही अच्छा होता है. कहते हैं जो अविवाहित लड़कियां व्रत रखकर कान्हा जी को झूला झूलाती हैं, उनके विवाह के शीघ्र योग बन जाते हैं.

देखें वीडियो

30 अगस्त की सुबह सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ सफाई करें. मंदिर की साफ सफाई करें. स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर अपने घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, पूरे दिन उपवास रखें. अगर किसी भी जातक को शारीरिक कुछ परेशानी है, तो वह फलाहार कर सकते हैं. पूरे दिन भगवान कृष्ण के और राधा रानी के नाम का भजन करें और रात में जब भगवान कृष्ण का जन्म 12 बजे हो जाए, उसके उपरांत उनको पंचामृत से स्नान करवाएं.

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भोग में माखन मिश्री अवश्य चढ़ाएं और तुलसी मंजरी को भी उन्हें अर्पित करें. भगवान कृष्ण को जन्म के उपरांत पंचमेवा, फल और दूध से बनी हुई मिठाई को भी अर्पित करें. उनसे प्रार्थना करें कि हे परमात्मा हे, पूर्ण ब्रह्म, हे विष्णु के, आठवें अवतार, हे 16 कलाओं के मालिक प्रभु आपकी कृपा दृष्टि अगर हमारे और हमारे परिवार पर बनी रहेगी तो बड़ी से बड़ी समस्या भी आसानी से टल जाएगी. ऐसा भाव लेकर जो भी जातक भगवान कृष्ण की पूजा पाठ करेंगे भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद उनके और उनके परिवार पर सदैव बना रहेगा.

इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा. राशियों के अनुरूप अगर कोई भी जातक भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी का पर्व मनाता है और भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तुएं उन्हें अर्पित करता है, तो उसको जीवन में बहुत लाभ होगा और वह जीवन में तरक्की करेगा. इस वर्ष जयंती योग का निर्माण हो रहा है. ये वही योग है जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था. ग्रहों का जो संयोग उनके जन्म के समय बना था, वही संजोग इस वर्ष भी बन रहा है. उस समय भी भगवान श्रीकृष्ण की राशि वृषभ थी और इस बार भी जब उनका जन्मोत्सव 30 अगस्त की रात 12 बजे मनाया जाएगा, तो उस समय भी राशि वृषभ ही होगी. यह बहुत ही अद्भुत संयोग है.

भगवान कृष्ण के जन्म के पश्चात सभी राशियों के लोग उन्हें उनकी प्रिय वस्तु माखन और मिश्री का भोग लगाएं और तुलसी मंजरी उन्हें अर्पित करें. भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत उनके बाल रूप का गंगाजल से स्नान कराएं, तत्पश्चात पंचामृत से स्नान करवाएं और पुनः गंगाजल से स्नान कराने के बाद उन्हें वस्त्र इत्यादि पहनाकर पालने में बैठाए और झूलाए. आइए राशियों के अनुरूप जानते हैं कि भगवान कृष्ण को क्या अर्पित करें.

मेष राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत उन्हें लाल वस्त्र और लाल फल अर्पित करें. वृषभ राशि के जातक जन्म के उपरांत सफेद वस्त्र सफेद पुष्प व दूध से बनी मिठाई उन्हें अर्पित करें. मिथुन राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत हरा वस्त्र, पान, सुपारी, नारियल और दूध से बनी हुई मिठाई उन्हें अर्पित करें. कर्क राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत उन्हें दूध से बनी मिठाई और सफेद वस्त्र अर्पित करें.

सिंह राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत पंचामृत का अभिषेक करने के बाद उन्हें लाल वस्त्र और सेब अर्पित करें. कन्या राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत पान, फल में अमरूद और हरा वस्त्र अर्पित करें. तुला राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत आसमानी रंग का वस्त्र व दूध से बनी हुई मिठाई अर्पित करें. वृश्चिक राशि के जातक भगवान कृष्ण के जन्म के उपरांत फल में सेव, लाल वस्त्र और कुमकुम उन्हें अर्पित करें.

धनु राशि के जातक भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपरांत उन्हें पीतांबरी वस्त्र, फल में अमरूद या सेव अर्पित करें और दूध से बनी हुई मिठाई अर्पित करें. मकर राशि के जातक भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपरांत वस्त्र में नीला वस्त्र, फल में सेब और पंचमेवा अर्पित करें. कुंभ राशि के जातक भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपरांत नीला वस्त्र पंचमेवा और फल में सेब अर्पित करें. मीन राशि के जातक भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपरांत वस्त्र में पीला वस्त्र, फल में सेब, केला और पंचमेवा अर्पित करें.

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भगवान कृष्ण का जन्म भगवान विष्णु का पूर्ण अवतार माना जाता है. भगवान कृष्ण इस पृथ्वी पर 16 कलाओं को लेकर प्रकट हुए थे. भगवान श्रीकृष्ण ने अधर्म का नाश किया और धर्म की स्थापना की. जिन जातकों के वैवाहिक जीवन में कुछ समस्याएं चल रही है या उनका विवाह तो हो गया है, लेकिन कोई संतान नहीं है या वो कन्याएं जिनकी शादी में कहीं न कहीं से कुछ अड़चनें आ रही हैं, अगर इस व्रत को वो श्रद्धा पूर्वक और विश्वास के साथ विधि विधान से करती हैं, तो भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद उनके ऊपर अवश्य बना रहेगा और जो भी उनकी मनोकामनाएं हैं, वो पूर्ण होगी.

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