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प्रवासी बिहारी मजदूरों को लेकर JDU ने किया CM का बचाव, कहा- घर भेजना संभव नहीं - प्रवासी मजदूरों पर राजीव रंजन का बयान

लॉक डाउन की वजह से पूरे देश में लॉक डाउन है. वहीं बाहर से आ रहे मजदूरों को लेकर जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि बॉर्डर पर ही उनके रहने, खाने और इलाज की व्यवस्था की गई है.

rajiv ranjan
जेडीयू नेता
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Published : Mar 29, 2020, 6:59 PM IST

पटना: प्रवासी मजदूरों को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साधा जा रहा है. वहीं जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन सरकार के बचाव में उतर आए हैं. राजीव रंजन का कहना है कि प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजना लॉक डाउन में संभव नहीं है. लेकिन बॉर्डर इलाकों में सरकार ने उनके रहने, खाने और स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त व्यवस्था की है. संबंधित राज्य सरकारों से भी बिहार सरकार ने आग्रह किया है कि ऐसे लोगों के खाने पर जो भी खर्च होगा बिहार सरकार उसे वहन करेगी.

'प्रवासी मजदूरों को घर भेजना संभव नहीं'
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़े पैमाने पर मजदूरों को बसों से भेजने पर चिंता जताई है और यह भी कहा है कि लॉक डाउन इससे टूट रहा है. यदि किसी कोरोना वायरस को संक्रमण हुआ तो विस्फोटक स्थिति हो सकती है. लेकिन 3 सप्ताह के लॉक डाउन से बिहार और यूपी के लोगों की चिंता बढ़ गई है. दिल्ली और अन्य जगह पर बड़े पैमाने पर मजदूर बिहार आने के लिए सड़कों पर दिख रहे हैं.

इसको लेकर नीतीश सरकार पर अब निशाना भी साधा जाने लगा है. बता दें पहले भी प्रशांत किशोर ने बिहार के लोगों को लेकर लापरवाह बने नीतीश सरकार पर निशाना साधा था. लेकिन जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि मुख्यमंत्री लगातार बैठक कर ऐसे लोगों के लिए व्यवस्था कर रहे हैं. साथ ही वहां की राज्य सरकार से आग्रह भी किया गया है कि जो भी राशि इनके खाने और रहने पर खर्च होगी, सब बिहार सरकार वहन करेगी.

जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन का बयान

ये भी पढ़ें: लॉक डाउन की वजह से पैदल चल कर हरियाणा से पटना पहुंचे 16 मजदूर, पैरों में पड़े छाले

बॉर्डर पर आपदा राहत कैंप में व्यवस्था
इसके साथ जो लोग बिहार से सटे बॉर्डर के नजदीक पहुंच गए हैं तो बॉर्डर पर ही उनके रहने, खाने और इलाज की व्यवस्था की गई है. राहत कैंप बनाए जा रहे हैं. लेकिन फिलहाल कोरोना संक्रमण के कारण इन्हें घर भेजना संभव नहीं है. जेडीयू नेताओं की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि नीतीश सरकार मजदूरों और गरीबों को भूखे मरने नहीं देगी. हर संभव उपाय कर रही है.

लेकिन बिहार से बाहर रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई है और जो भी सरकार उनके लिए कर रही है अब तक नाकाफी दिख रही है. बड़ी संख्या में लोग बसों से बिहार पहुंच रहे हैं. अब देखना है सरकार उनके लिए किस तरह से कैंपों में व्यवस्था करती है.

पटना: प्रवासी मजदूरों को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साधा जा रहा है. वहीं जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन सरकार के बचाव में उतर आए हैं. राजीव रंजन का कहना है कि प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजना लॉक डाउन में संभव नहीं है. लेकिन बॉर्डर इलाकों में सरकार ने उनके रहने, खाने और स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त व्यवस्था की है. संबंधित राज्य सरकारों से भी बिहार सरकार ने आग्रह किया है कि ऐसे लोगों के खाने पर जो भी खर्च होगा बिहार सरकार उसे वहन करेगी.

'प्रवासी मजदूरों को घर भेजना संभव नहीं'
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़े पैमाने पर मजदूरों को बसों से भेजने पर चिंता जताई है और यह भी कहा है कि लॉक डाउन इससे टूट रहा है. यदि किसी कोरोना वायरस को संक्रमण हुआ तो विस्फोटक स्थिति हो सकती है. लेकिन 3 सप्ताह के लॉक डाउन से बिहार और यूपी के लोगों की चिंता बढ़ गई है. दिल्ली और अन्य जगह पर बड़े पैमाने पर मजदूर बिहार आने के लिए सड़कों पर दिख रहे हैं.

इसको लेकर नीतीश सरकार पर अब निशाना भी साधा जाने लगा है. बता दें पहले भी प्रशांत किशोर ने बिहार के लोगों को लेकर लापरवाह बने नीतीश सरकार पर निशाना साधा था. लेकिन जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि मुख्यमंत्री लगातार बैठक कर ऐसे लोगों के लिए व्यवस्था कर रहे हैं. साथ ही वहां की राज्य सरकार से आग्रह भी किया गया है कि जो भी राशि इनके खाने और रहने पर खर्च होगी, सब बिहार सरकार वहन करेगी.

जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन का बयान

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बॉर्डर पर आपदा राहत कैंप में व्यवस्था
इसके साथ जो लोग बिहार से सटे बॉर्डर के नजदीक पहुंच गए हैं तो बॉर्डर पर ही उनके रहने, खाने और इलाज की व्यवस्था की गई है. राहत कैंप बनाए जा रहे हैं. लेकिन फिलहाल कोरोना संक्रमण के कारण इन्हें घर भेजना संभव नहीं है. जेडीयू नेताओं की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि नीतीश सरकार मजदूरों और गरीबों को भूखे मरने नहीं देगी. हर संभव उपाय कर रही है.

लेकिन बिहार से बाहर रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई है और जो भी सरकार उनके लिए कर रही है अब तक नाकाफी दिख रही है. बड़ी संख्या में लोग बसों से बिहार पहुंच रहे हैं. अब देखना है सरकार उनके लिए किस तरह से कैंपों में व्यवस्था करती है.

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