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पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से लोगों में नाराजगी, विशेषज्ञों ने कहा- बढ़ेगी महंगाई

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Published : Jul 5, 2019, 11:55 PM IST

आर्थिक विशेषज्ञ एन के चौधरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल दोनों का उपयोग ट्रांसपोर्टेशन और सिंचाई में होता है, तो स्वभाविक है कि परिवहन और इरिगेशन का कॉस्ट बढ़ेगा.

डिजाइन फोटो

नई दिल्ली/पटना: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल और डीजल पर 2-2 रुपये सेस लगाने का ऐलान किया है. बजट पेश करते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (SAED) के साथ-साथ रोड और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस में 1-1 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की गई है.

तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी पर जनता ने निराशा जाहिर की. पेट्रोल पंप पर तेल भराते कुछ ग्राहकों ने बातचीत के दौरान कहा कि इससे हमारी जेब पर बहुत असर पड़ेगा. ग्राहकों ने कहा कि नई सरकार से उम्मीद थी कि लगातार बढ़ रही तेल की कीमतों पर कुछ लगाम लगेगा. लेकिन इसके उलट कीमतों में और बढ़ोत्तरी हो गई. वहीं एक ग्राहक ने ये भी कहा कि तेल की कीमत 1 रुपये बढ़े चाहे 2 रुपये जो डेली जरूरत की चीजे हैं उसपर खर्च करना तो हमारी मजबूरी है.

आम लोगों की राय

विशेषज्ञों ने बजट को बताया कॉर्पोरेट सेंट्रिक
वहीं, इस मसले पर आर्थिक विशेषज्ञ एन के चौधरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल दोनों का उपयोग ट्रांसपोर्टेशन और सिंचाई में होता है, तो स्वभाविक है कि परिवहन और इरिगेशन का कॉस्ट बढ़ेगा. इसे कैस्केडिंग इफेक्ट कहते हैं. इस कारण से पूरी अर्थव्यवस्था पर मूल्य वृद्धि का असर पड़ेगा. इससे आम आदमी पर असर पड़ेगा. एन के चौधरी ने इसे कॉर्पोरेट सेंट्रिक बजट बताया.

आर्थिक विशेषज्ञ एन के चौधरी

सभी चीजें होंगी महंगी
वहीं ए एन सिन्हा संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर ने भी इस बजट को कॉर्पोरेट केंद्रित बताते हुये कहा कि बिजली से चलने वाले वाहनों के लिये छूट दे दी गई, लेकिन डीजल और पेट्रोल से चलने वाले अन्य वाहनों के लिये महंगाई बढ़ा दी गई. इसका असर अन्य सेक्टर पर पड़ेगा. सभी चीजें महंगी हो जायेंगी.

ए एन सिन्हा संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर

पिछले साल से बढ़ा डेफिसिट
डीएम दिवाकर ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले डेफिसिट इस साल और बढ़ा हुआ है. आगे और बढ़ने वाला है. जीएसटी का नेट रेवेन्यू डेफिसिट पिछले साल की तुलना में एक परसेंट कम हो गया है. इकोनॉमी का क्वार्टर्ली डेवलपमेंट पहले क्वार्टर के 8 परसेंट से घटकर 5.8 परसेंट पर पहुंच गया है. इस लुढ़कती हुई अर्थव्यवस्था के लिये कुछ नहीं दिख रहा.

तेल की कीमतों में वृद्धि
बता दें कि अभी पेट्रोल पर 17.98 रुपये और डीजल पर 13.83 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी है, इसमें एक रुपये की बढ़ोतरी की गई है. जबकि इसी तरह रोड और कंस्ट्रक्शन सेस में भी 1 रुपये प्रति लीटर इजाफा किया गया है. वर्तमान में सरकार ब्रांडेड और अन-ब्रांडेड पेट्रोल पर 7 रुपये प्रति लीटर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क और डीजल पर 1 रुपये प्रति लीटर SAED लेती है. इसके अलावा रोड और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस के रूप में पेट्रोल और डीजल दोनों पर 8 रुपये प्रति लीटर टैक्स वसूला जाता है.

patna
पेट्रोल पंप

टैक्स बढ़ाने का दिया प्रस्ताव
बजट भाषण के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा, 'कच्चे तेल की कीमतों में थोड़ी गिरावट आई है. इससे हमें पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और सेस में थोड़े संशोधन की गुंजाइश मिली. मैंने पेट्रोल और डीजल पर स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी को एक रुपये और रोड ऐंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेस को एक रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव किया.'

इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल पर सरकार का जोर
दूसरी ओर वित्त मंत्री ने घोषणा की, कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल बढ़ाने पर सरकार का जोर है. इलेक्ट्रिक बैट्री चार्ज के लिए सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर बना रही है और इस ओर बड़े काम किये जा रहे हैं. इलेक्ट्रिक बैटरी चार्ज स्टेशन बनाये जा रहे हैं.

पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से बढ़ सकती है महंगाई
पेट्रोल-डीजल महंगा होने से जरूरत की सारी चीजें महंगी हो सकती हैं क्योंकि ट्रैवल एक्सपेंस बढ़ जाएगा. सामान को जब एक जगह से दूसरे जगह लाया या पहुंचाया जाएगा तो आने-जाने का खर्च ज्यादा होगा. इस खर्च की भरपाई कीमतें बढ़ाकर की जाएंगी. पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर टैक्स बढ़ाकर सरकारी खजाना बढ़ाने की कोशिश की गई है. सरकार ने बताया कि राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी रहा, जो पिछले साल 3.4 फीसदी था.

पेश है रिपोर्ट

किस तरह से ये आपको प्रभावित करेगा:
तेल की कीमतों में प्रतिदिन की वृद्धि को लेकर लोगों ने चिंता व्यक्त की. ये कहा जा सकता है क्या तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण इसका काफी असर देखने को मिल सकता है. ये वो 5 तरीके हैं जिनसे आपके रोजमर्रा के खर्चों पर तेल की बढ़ती कीमतें असर डाल सकती हैं.

  1. तेल की कीमतों में अभी तक की सर्वाधिक वृद्धि: ये उन 5 समस्यायों में से पहली है, जो तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण आपको झेलनी पड़ सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल के अंत तक कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर के आंकड़े को छू सकती है और ऐसी स्थित में बढ़ती कीमतों को रोकना लगभग असंभव हो जायेगा. पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. सरकार की तरफ से लगातार आश्वासन दिया जा रहा है लेकिन कीमतों में कोई कमी नहीं आ रही.
  2. वस्तुओं के मूल्य: अगर तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती है तो इसका असर रोजमर्रा के सामानों की कीमतों पर होगा क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन चार्ज बढ़ने से सामानों के इनपुट कॉस्ट में बढोत्तरी होगी.
  3. महंगाई: वस्तुओं के मूल्य बढ़ने से देश में महंगाई भी बढे़गी. घरेलू सामानों की कीमतों में 4 से 7 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है.
  4. बचत में कमी: महंगाई बढ़ने के साथ लोगों की बचत में गिरवाट आयेगी. इसके अलावा तेल की कीमतों का सीधा असर लोगों के घरेलू बजट पर पड़ेगा. पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल डेली ट्रांसपोर्टेशन के अलावा खेती के लिये भी होता है. इस कारण से इस बढ़ोत्तरी का असर चौतरफा देखने को मिलेगा.
  5. लोन के दरों में वृद्धि: बढ़ती महंगाई के कारण आरबीआई लोन के ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है, जिससे आम लोगों को सभी बैंक बढ़े हुये दर पर लोन देंगे.

नई दिल्ली/पटना: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल और डीजल पर 2-2 रुपये सेस लगाने का ऐलान किया है. बजट पेश करते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (SAED) के साथ-साथ रोड और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस में 1-1 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की गई है.

तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी पर जनता ने निराशा जाहिर की. पेट्रोल पंप पर तेल भराते कुछ ग्राहकों ने बातचीत के दौरान कहा कि इससे हमारी जेब पर बहुत असर पड़ेगा. ग्राहकों ने कहा कि नई सरकार से उम्मीद थी कि लगातार बढ़ रही तेल की कीमतों पर कुछ लगाम लगेगा. लेकिन इसके उलट कीमतों में और बढ़ोत्तरी हो गई. वहीं एक ग्राहक ने ये भी कहा कि तेल की कीमत 1 रुपये बढ़े चाहे 2 रुपये जो डेली जरूरत की चीजे हैं उसपर खर्च करना तो हमारी मजबूरी है.

आम लोगों की राय

विशेषज्ञों ने बजट को बताया कॉर्पोरेट सेंट्रिक
वहीं, इस मसले पर आर्थिक विशेषज्ञ एन के चौधरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल दोनों का उपयोग ट्रांसपोर्टेशन और सिंचाई में होता है, तो स्वभाविक है कि परिवहन और इरिगेशन का कॉस्ट बढ़ेगा. इसे कैस्केडिंग इफेक्ट कहते हैं. इस कारण से पूरी अर्थव्यवस्था पर मूल्य वृद्धि का असर पड़ेगा. इससे आम आदमी पर असर पड़ेगा. एन के चौधरी ने इसे कॉर्पोरेट सेंट्रिक बजट बताया.

आर्थिक विशेषज्ञ एन के चौधरी

सभी चीजें होंगी महंगी
वहीं ए एन सिन्हा संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर ने भी इस बजट को कॉर्पोरेट केंद्रित बताते हुये कहा कि बिजली से चलने वाले वाहनों के लिये छूट दे दी गई, लेकिन डीजल और पेट्रोल से चलने वाले अन्य वाहनों के लिये महंगाई बढ़ा दी गई. इसका असर अन्य सेक्टर पर पड़ेगा. सभी चीजें महंगी हो जायेंगी.

ए एन सिन्हा संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर

पिछले साल से बढ़ा डेफिसिट
डीएम दिवाकर ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले डेफिसिट इस साल और बढ़ा हुआ है. आगे और बढ़ने वाला है. जीएसटी का नेट रेवेन्यू डेफिसिट पिछले साल की तुलना में एक परसेंट कम हो गया है. इकोनॉमी का क्वार्टर्ली डेवलपमेंट पहले क्वार्टर के 8 परसेंट से घटकर 5.8 परसेंट पर पहुंच गया है. इस लुढ़कती हुई अर्थव्यवस्था के लिये कुछ नहीं दिख रहा.

तेल की कीमतों में वृद्धि
बता दें कि अभी पेट्रोल पर 17.98 रुपये और डीजल पर 13.83 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी है, इसमें एक रुपये की बढ़ोतरी की गई है. जबकि इसी तरह रोड और कंस्ट्रक्शन सेस में भी 1 रुपये प्रति लीटर इजाफा किया गया है. वर्तमान में सरकार ब्रांडेड और अन-ब्रांडेड पेट्रोल पर 7 रुपये प्रति लीटर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क और डीजल पर 1 रुपये प्रति लीटर SAED लेती है. इसके अलावा रोड और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस के रूप में पेट्रोल और डीजल दोनों पर 8 रुपये प्रति लीटर टैक्स वसूला जाता है.

patna
पेट्रोल पंप

टैक्स बढ़ाने का दिया प्रस्ताव
बजट भाषण के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा, 'कच्चे तेल की कीमतों में थोड़ी गिरावट आई है. इससे हमें पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और सेस में थोड़े संशोधन की गुंजाइश मिली. मैंने पेट्रोल और डीजल पर स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी को एक रुपये और रोड ऐंड इंफ्रास्ट्रक्चर सेस को एक रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव किया.'

इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल पर सरकार का जोर
दूसरी ओर वित्त मंत्री ने घोषणा की, कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल बढ़ाने पर सरकार का जोर है. इलेक्ट्रिक बैट्री चार्ज के लिए सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर बना रही है और इस ओर बड़े काम किये जा रहे हैं. इलेक्ट्रिक बैटरी चार्ज स्टेशन बनाये जा रहे हैं.

पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से बढ़ सकती है महंगाई
पेट्रोल-डीजल महंगा होने से जरूरत की सारी चीजें महंगी हो सकती हैं क्योंकि ट्रैवल एक्सपेंस बढ़ जाएगा. सामान को जब एक जगह से दूसरे जगह लाया या पहुंचाया जाएगा तो आने-जाने का खर्च ज्यादा होगा. इस खर्च की भरपाई कीमतें बढ़ाकर की जाएंगी. पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर टैक्स बढ़ाकर सरकारी खजाना बढ़ाने की कोशिश की गई है. सरकार ने बताया कि राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी रहा, जो पिछले साल 3.4 फीसदी था.

पेश है रिपोर्ट

किस तरह से ये आपको प्रभावित करेगा:
तेल की कीमतों में प्रतिदिन की वृद्धि को लेकर लोगों ने चिंता व्यक्त की. ये कहा जा सकता है क्या तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण इसका काफी असर देखने को मिल सकता है. ये वो 5 तरीके हैं जिनसे आपके रोजमर्रा के खर्चों पर तेल की बढ़ती कीमतें असर डाल सकती हैं.

  1. तेल की कीमतों में अभी तक की सर्वाधिक वृद्धि: ये उन 5 समस्यायों में से पहली है, जो तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण आपको झेलनी पड़ सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल के अंत तक कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर के आंकड़े को छू सकती है और ऐसी स्थित में बढ़ती कीमतों को रोकना लगभग असंभव हो जायेगा. पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. सरकार की तरफ से लगातार आश्वासन दिया जा रहा है लेकिन कीमतों में कोई कमी नहीं आ रही.
  2. वस्तुओं के मूल्य: अगर तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती है तो इसका असर रोजमर्रा के सामानों की कीमतों पर होगा क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन चार्ज बढ़ने से सामानों के इनपुट कॉस्ट में बढोत्तरी होगी.
  3. महंगाई: वस्तुओं के मूल्य बढ़ने से देश में महंगाई भी बढे़गी. घरेलू सामानों की कीमतों में 4 से 7 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है.
  4. बचत में कमी: महंगाई बढ़ने के साथ लोगों की बचत में गिरवाट आयेगी. इसके अलावा तेल की कीमतों का सीधा असर लोगों के घरेलू बजट पर पड़ेगा. पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल डेली ट्रांसपोर्टेशन के अलावा खेती के लिये भी होता है. इस कारण से इस बढ़ोत्तरी का असर चौतरफा देखने को मिलेगा.
  5. लोन के दरों में वृद्धि: बढ़ती महंगाई के कारण आरबीआई लोन के ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है, जिससे आम लोगों को सभी बैंक बढ़े हुये दर पर लोन देंगे.
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