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पटनाः PMCH के कैंसर विभाग में जल्द लगेगी रेडिएशन मशीन

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Published : Jun 10, 2020, 10:24 PM IST

पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक ने कहा कि कैंसर विभाग में जो मशीनें आवश्यक है, जैसे कि ब्रेकी थेरेपी मशीन उसके लिए कैंसर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीएन पंडित और उन्होंने खुद बीएमएसआईसीएल से संपर्क साधा है.

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पटनाः पीएमसीएच के कैंसर विभाग में रेडिएशन मशीन नहीं होने के कारण पिछले 12 वर्षों से पीजी ऑन्कोलॉजी की पढ़ाई बंद है. साल 2007 में एमसीआई की टीम ने पीएमसीएच के कैंसर डिपार्टमेंट का निरीक्षण किया था और रेडिएशन मशीन नहीं रहने के कारण पीजी कोर्स की पढ़ाई पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद से पीजी ऑन्कोलॉजी के 6 सीटों पर पिछले 12 वर्षों से पढ़ाई बंद है.

रेडिएशन मशीन नहीं होने से पीजी ऑन्कोलॉजी की पढ़ाई बंद
कैंसर विभाग में रेडिएशन के लिए ब्रेकी थेरेपी मशीन के लिए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने ढाई साल पहले 3.5 करोड़ रुपये देने की घोषणा भी की थी. बावजूद इसके अस्पताल के कैंसर विभाग में अभी तक मशीन नहीं लग पाई है. पीएमसीएच में इस मशीन की आपूर्ति बीएमएसआईसीएल संस्था की ओर से किया जाना है.

इस पूरे मामले पर जानकारी देते हुए पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक ने कहा कि कैंसर विभाग में जो मशीनें आवश्यक है, जैसे कि ब्रेकी थेरेपी मशीन उसके लिए कैंसर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीएन पंडित और उन्होंने खुद बीएमएसआईसीएल से संपर्क साधा है.

देखें पूरी रिपोर्ट
पीएमसीएच का कैंसर विभाग सबसे पुराने कैंसर संस्थान में से एकडॉ. विमल कारक ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही पीएमसीएच में ब्रेकी थेरेपी मशीन का इंस्टॉलेशन हो जाएगा. पिछले 12 वर्षों से मशीन नहीं होने के कारण पढ़ाई जो बाधित है. उसको वह देखेंगे कि यह पूरा मामला क्या है और प्रयास होगी कि जल्द ही अस्पताल में पीजी ऑन्कोलॉजी की पढ़ाई शुरू हो जाए, क्योंकि पीएमसीएच का कैंसर विभाग कैंसर के इलाज के लिए देश के सबसे पुराने कैंसर संस्थान में से है.

बीएमएसआईसीएल अस्पताल में जल्द कराएगी मशीन की आपूर्ति
वहीं, इस पूरे मामले पर पीएमसीएच के कैंसर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीएन पंडित कैमरे के सामने ना बोलते हुए यह जानकारी दी कि ब्रेकी थेरेपी मशीन नहीं होने के कारण गरीब मरीजों को काफी परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि ब्रेकी थेरेपी मशीन से आंतरिक रेडिएशन के तहत मरीजों की सिकाई होती है. निजी अस्पतालों में इसके लिए कम से कम 50 हजार रुपये लिए जाते है.

वहीं उन्होंने यह भी जानकारी दी कि मशीन को अप्रैल के महीने तक लग जाना था. मगर लॉक डाउन के कारण मशीन लगने में विलंब हो गया और उम्मीद है कि जल्द ही बीएमएसआईसीएल अस्पताल में मशीन की आपूर्ति करा देगी, क्योंकि बीएमएसआईसीएल से इस मामले में सकारात्मक बातचीत चल रही है.

पटनाः पीएमसीएच के कैंसर विभाग में रेडिएशन मशीन नहीं होने के कारण पिछले 12 वर्षों से पीजी ऑन्कोलॉजी की पढ़ाई बंद है. साल 2007 में एमसीआई की टीम ने पीएमसीएच के कैंसर डिपार्टमेंट का निरीक्षण किया था और रेडिएशन मशीन नहीं रहने के कारण पीजी कोर्स की पढ़ाई पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद से पीजी ऑन्कोलॉजी के 6 सीटों पर पिछले 12 वर्षों से पढ़ाई बंद है.

रेडिएशन मशीन नहीं होने से पीजी ऑन्कोलॉजी की पढ़ाई बंद
कैंसर विभाग में रेडिएशन के लिए ब्रेकी थेरेपी मशीन के लिए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने ढाई साल पहले 3.5 करोड़ रुपये देने की घोषणा भी की थी. बावजूद इसके अस्पताल के कैंसर विभाग में अभी तक मशीन नहीं लग पाई है. पीएमसीएच में इस मशीन की आपूर्ति बीएमएसआईसीएल संस्था की ओर से किया जाना है.

इस पूरे मामले पर जानकारी देते हुए पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक ने कहा कि कैंसर विभाग में जो मशीनें आवश्यक है, जैसे कि ब्रेकी थेरेपी मशीन उसके लिए कैंसर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीएन पंडित और उन्होंने खुद बीएमएसआईसीएल से संपर्क साधा है.

देखें पूरी रिपोर्ट
पीएमसीएच का कैंसर विभाग सबसे पुराने कैंसर संस्थान में से एकडॉ. विमल कारक ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही पीएमसीएच में ब्रेकी थेरेपी मशीन का इंस्टॉलेशन हो जाएगा. पिछले 12 वर्षों से मशीन नहीं होने के कारण पढ़ाई जो बाधित है. उसको वह देखेंगे कि यह पूरा मामला क्या है और प्रयास होगी कि जल्द ही अस्पताल में पीजी ऑन्कोलॉजी की पढ़ाई शुरू हो जाए, क्योंकि पीएमसीएच का कैंसर विभाग कैंसर के इलाज के लिए देश के सबसे पुराने कैंसर संस्थान में से है.

बीएमएसआईसीएल अस्पताल में जल्द कराएगी मशीन की आपूर्ति
वहीं, इस पूरे मामले पर पीएमसीएच के कैंसर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीएन पंडित कैमरे के सामने ना बोलते हुए यह जानकारी दी कि ब्रेकी थेरेपी मशीन नहीं होने के कारण गरीब मरीजों को काफी परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि ब्रेकी थेरेपी मशीन से आंतरिक रेडिएशन के तहत मरीजों की सिकाई होती है. निजी अस्पतालों में इसके लिए कम से कम 50 हजार रुपये लिए जाते है.

वहीं उन्होंने यह भी जानकारी दी कि मशीन को अप्रैल के महीने तक लग जाना था. मगर लॉक डाउन के कारण मशीन लगने में विलंब हो गया और उम्मीद है कि जल्द ही बीएमएसआईसीएल अस्पताल में मशीन की आपूर्ति करा देगी, क्योंकि बीएमएसआईसीएल से इस मामले में सकारात्मक बातचीत चल रही है.

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