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महापर्व छठ को लेकर दिल्ली सरकार के फैसले पर बिहार में घमासान, सब पूछ रहे- इसमें दिक्कत क्या है?

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा छठ महापर्व को लेकर सुनाए गए फैसले पर बिहार के नेता सवाल उठा रहे हैं. भाजपा, राजद और लोजपा के नेता ने कहा कि दिल्ली में लाखों बिहारी रहते हैं और इस फैसले के जरिए उनकी आस्था पर चोट पहुंचाई गई है. पढ़ें पूरी खबर...

महापर्व छठ
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Published : Sep 30, 2021, 8:34 PM IST

पटनाः लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Pooja) को लेकर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) के द्वारा सुनाए गए फैसले का बिहार में विरोध हो रहा है. आरजेडी, बीजेपी और एलजेपी जैसी पार्टियों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है. नेताओं ने एक सुर में कहा कि जब दिल्ली में मेट्रो रेल चल सकती है, मॉल खुल सकते हैं, सिनेमा हॉल खुल सकते हैं तो सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा के आयोजनों से सरकार को क्या दिक्कत है?

इसे भी पढ़ें- DDMA का बड़ा फैसला: दिल्ली में नहीं होगी छठ पूजा, जानें वजह

"छठ बिहार के लोगों की आस्था का महापर्व है. बिहार के लोग बड़ी संख्या में दिल्ली में रहते हैं और हर साल छठ महापर्व मनाते हैं. लेकिन दिल्ली सरकार के द्वारा सुनाया गया फैसला बिहारवासियों के लिए एक बड़ा झटका है. सरकार को कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत छठ पूजा के आयोजनों की इजाजत देनी चाहिए."- चितरंजन गगन, आरजेडी प्रवक्ता

देखें वीडियो

"छठ पर्व को लेकर दिल्ली सरकार का फैसला बेहद शर्मनाक है. बिहार और उत्तर प्रदेश के बड़ी संख्या में लोग दिल्ली में रहते हैं और छठ पर्व मनाते हैं लेकिन दिल्ली सरकार का यह फैसला बिहारियों के भावनाओं पर आघात है."- प्रेमरंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

"बड़ी संख्या में बिहार के लोग दिल्ली में रहते हैं और आस्था का महापर्व छठ पूजा करते हैं. ऐसे में दिल्ली सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा नहीं मनाने का निर्णय कहीं से भी ठीक नहीं. सरकार को इस फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है."- चंदन सिंह, एलजेपी प्रवक्ता

दरअसल, दिल्ली में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कोविड-19 के खतरों की आशंका के मद्देनजर घाटों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर छठ के आयोजन से मना कर दिया है. इस वर्ष 10 और 11 नवंबर को छठ का आयोजन होना है. इसे लेकर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) ने दिल्ली सरकार की ओर से छठ पूजा के आयोजन के लिए भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.

इसे भी पढ़ें- दिवाली-छठ से दो महीने पहले ट्रेनों में सीटें फुल, स्पेशल गाड़ियों की आस में लोग

DDMA द्वारा जारी आदेश में साफ कहा गया है कि दिल्ली में किसी भी नदी, तालाब किनारे, मंदिर या अन्य जगहों पर जो घाट बनाएं गए हैं, वहां इस बार भी यह पर्व मनाने को इजाजत नहीं होगी, जो लोग छठ पर्व मानते हैं वे घरों में ही मनाएं.

पटनाः लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Pooja) को लेकर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) के द्वारा सुनाए गए फैसले का बिहार में विरोध हो रहा है. आरजेडी, बीजेपी और एलजेपी जैसी पार्टियों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है. नेताओं ने एक सुर में कहा कि जब दिल्ली में मेट्रो रेल चल सकती है, मॉल खुल सकते हैं, सिनेमा हॉल खुल सकते हैं तो सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा के आयोजनों से सरकार को क्या दिक्कत है?

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"छठ बिहार के लोगों की आस्था का महापर्व है. बिहार के लोग बड़ी संख्या में दिल्ली में रहते हैं और हर साल छठ महापर्व मनाते हैं. लेकिन दिल्ली सरकार के द्वारा सुनाया गया फैसला बिहारवासियों के लिए एक बड़ा झटका है. सरकार को कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत छठ पूजा के आयोजनों की इजाजत देनी चाहिए."- चितरंजन गगन, आरजेडी प्रवक्ता

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"छठ पर्व को लेकर दिल्ली सरकार का फैसला बेहद शर्मनाक है. बिहार और उत्तर प्रदेश के बड़ी संख्या में लोग दिल्ली में रहते हैं और छठ पर्व मनाते हैं लेकिन दिल्ली सरकार का यह फैसला बिहारियों के भावनाओं पर आघात है."- प्रेमरंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

"बड़ी संख्या में बिहार के लोग दिल्ली में रहते हैं और आस्था का महापर्व छठ पूजा करते हैं. ऐसे में दिल्ली सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा नहीं मनाने का निर्णय कहीं से भी ठीक नहीं. सरकार को इस फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है."- चंदन सिंह, एलजेपी प्रवक्ता

दरअसल, दिल्ली में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कोविड-19 के खतरों की आशंका के मद्देनजर घाटों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर छठ के आयोजन से मना कर दिया है. इस वर्ष 10 और 11 नवंबर को छठ का आयोजन होना है. इसे लेकर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) ने दिल्ली सरकार की ओर से छठ पूजा के आयोजन के लिए भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.

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DDMA द्वारा जारी आदेश में साफ कहा गया है कि दिल्ली में किसी भी नदी, तालाब किनारे, मंदिर या अन्य जगहों पर जो घाट बनाएं गए हैं, वहां इस बार भी यह पर्व मनाने को इजाजत नहीं होगी, जो लोग छठ पर्व मानते हैं वे घरों में ही मनाएं.

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