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एक बार फिर से बिहार चुनाव की पिच पर उतरीं पुष्पम प्रिया चौधरी

पुष्पम प्रिया चौधरी ने बिहार के सभी अखबारों में विज्ञापन देकर खुद की नई पार्टी बनाने का ऐलान किया था और खुद को सीएम पद का चेहरा घोषित किया था. इस पर, उनके पिता ने कहा था, 'पुष्पम प्रिया ने बेहतर कदम उठाया है, वो इस कदम का स्वागत और समर्थन करते हैं.'

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Published : Jun 4, 2020, 1:40 PM IST

Updated : Jun 4, 2020, 3:56 PM IST

पटना: बिहार चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होंगे. इस बीच बिहार की सियासी खबरों में एक और नाम की चर्चा होने लगी है. ये नाम हैं पुष्पम प्रिया चौधरी का. मार्च महीने में अखबारों के पहले पन्ने पर इनके बड़े-बड़े विज्ञापन छपे थे. पुष्पम प्रिया ने 'प्लूरल्स(Plurals)' नाम की नई पार्टी बनाई है. इसी के साथ, उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए खुद को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया है.

करीब दो महीने के लॉकडाउन के बाद एक बार फिर पुष्पम प्रिया चर्चा में हैं. प्रदेश के हर शहर, गांव, गली-मौहल्ला घूम-घूम कर लोगों से मिल रही है, उनकी समस्याएं जान रही है. एक बार फिर, एक जून से पुष्पम प्रिया ने जनसंपर्क अभियान की शुरुआत की है:-

01 जून : पुष्पम प्रिया ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखा-'पटना की गलियों से शुरुआत। जून महीने, मैं और मेरे 38 जिले. पटना की गलियों से गुजरते हुए यकीन नहीं होता कि कभी इस जमीन पर चंद्रगुप्त और अशोक की अंतर्राष्ट्रीय राजधानी थी.'

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फोटो- साभार सोशल मीडिया

01 जून : 'प्लुरल्स की ओर से प्रवासी मजदूरों और गरीबों की जरुरत को देखते हुए 38 जिलों में 50,000 महिलाओं को बहाल कर 'वर्क फ्राम होम' और 'स्टिचिंग सेंटर' द्वारा 5 मिलियन मास्क प्रोडक्शन की क्राउडसोर्स परियोजना शुरू की जा रही है. आज एक केंद्र पर जाने का अनुभव शानदार था.'

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फोटो- साभार सोशल मीडिया

02 जून : इसके बाद पुष्पम का अगला पड़ाव फतुहा की तरफ बढ़ती है और एक वीडियो शेयर कर लिखती है, 'बिहार में तो उद्योग के नाम पर राइस मिल ही रह गए हैं. इसको भी बढ़ावा देते तो अपना चावल आज विदेशों में होता.'

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फोटो- साभार सोशल मीडिया

02 जून : अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर एक तस्वीर शेयर कर लिखती है, 'तेलंगाना के माननीय मुख्यमंत्री बारम्बार प्रवासी मज़दूरों को अपने राइस मिल में काम करने को वापस बुला रहे हैं. समझिए, तेलंगाना जैसी शुष्क जलवायु वाले राज्य में चावल आधारित उद्योग फल-फूल रहा है! और हमारा बिहार धान का कटोरा है, विश्व-रिकार्डधारी किसान हैं, लेकिन अपार क्षमता वाले राज्य में राइस मिल उद्योग तक में एकाधिकार नहीं बना पाए. अब खेल के नियम बदलने का वक्त है.'

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फोटो- साभार सोशल मीडिया

02 जून : पुष्पम आगे एक और तस्वीर शेयर कर लिखती है, 'फतुहा जैसे औद्योगिक क्षेत्र 'बाहरी निवेशक' को न्योता के सफेद हाथी बन गए हैं. उद्यमी, युवा, श्रमिक बाहर जाते हैं, और आप निवेश का रोते हैं. स्टेट लैंड, स्टेट इन्वेस्टमेंट, इंट्रेस्ट-फ्री कैपिटल, बिहारी युवा और 2020-30 की एग्रो-इंडस्ट्री क्रांति! यह तो न्यूनतम है.'

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फोटो- साभार सोशल मीडिया

02 जून : इसके बाद एक तस्वीर में पुष्पम कुछ लोगों के पास खड़ी नजर आती है. तस्वीर को शेयर कर लिखती है, 'फतुहा लेदर हब (600 यूनिट, 10000 रोजगार): भूमि पूजन - 'अक्षय तृतीया' 2012 में. 2020 स्थिति: प्लास्टर हो गया है. निष्कर्ष: 'विकास तो हुआ है. गति: 'ठीके है'.

देखें रिपोर्ट

03 जून : अब पुष्पम किसानों के साथ एक खेत में नजर आती है. तस्वीर शेयर कर लिखती है, 'मर्यादा पुरुषोत्तम भी होते तो रो देते, आपने उनकी प्रिय 'रामतोरई' को 'टके सेर भाजी' कर दिया! वैशाली के किसान भिंडी-लौकी के 1 रु. किलो पाएंगे तो 'हर भारतीय थाली में बिहारी व्यंजन' कैसे हो! चिंता न करें, आपके जीते-जी बिहारी Okra और लौकी अमेरिका-यूरोप की थाली में होगी!'

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फोटो- साभार सोशल मीडिया

03 जून : पुष्पम अपने अगले पड़ाव की बढ़ती है. फतुहा से वैशाली पहुंचती है और एक केले के खेत में नजर आती है. यहां वीडियो में पुष्पम गांव के लोगों से बातचीत करती दिखती है. वीडियो शेयर कर लिखती है, 'गांव - रामदौली, बिदुपुर, वैशाली (राघोपुर विधानसभा). 'हर भारतीय थाली में बिहारी व्यंजन' तो पहुंचा नहीं लेकिन हज़ारों स्टार्ट-अप ही फाइनेंस कर देते तो केले का चिप्स दुनियां के कोने-कोने में पहुंच जाता!'.

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फोटो- साभार सोशल मीडिया

03 जून : आगे पुष्पम मक्के के खेत में कुछ युवाओं से बात करती नजर आती है. तस्वीर शेयर कर लिखती है,' भकरोहर, वैशाली में फूडग्रेन (मक्का), कैश क्रॉप (तम्बाकू), फ्रूट्स(आम), सब्जी (भिंडी, लौकी) सब है, मेहनती किसान हैं, उद्योग खोज रहे युवा हैं; बस सरकार नहीं है. नीलगाय से बर्बादी, कोई मुआवजा नहीं. सपोर्ट, स्टोरेज, लोकल इंडस्ट्री और नेशनल-इंटरनेशनल मार्केट लिंकेज मिले तो बिहार गोल्डमाइन है!'

इसके बाद पुष्पम प्रिया लिखती है, '(गणतंत्र से वापस) उम्मीदों से बड़ा कोई दबाव नहीं! और फिर बिहार में कुछ तो है कि आप एक पागल युद्ध को तैयार हो जाएं. इसे एक बिहारी कवि से बेहतर कौन लिखेगा - 'हैं आखिर कौन से बंधन जो मुझसे खुल नहीं पाते, ये बादल बेबसी के क्यों बरस के धुल नहीं जाते..(शैलेंद्र, आम्रपाली, 1966).'

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फोटो- साभार सोशल मीडिया

नालंदा से जनसंपर्क अभियान की शुरुआत
बता दें कि इससे पहले उन्होंने अपने जनसंपर्क अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा से की थी. अपने जनसंपर्क अभियान के दौरान पुष्पम प्रिया चौधरी कृषि उद्यमी सुमंत कुमार के घर पहुंचीं और उन्हें अपनी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई. जनसंपर्क अभियान की शुरुआत करने के दौरान पुष्पम प्रिया चौधरी ने फेसबुक पर लिखा, उनकी पार्टी 'प्लूरल्स' की योजना बहुत स्पष्ट है - अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान और जमीनी अनुभव की साझेदारी ताकि कृषि क्रांति, औद्योगिक क्रांति और नगरीय क्रांति की नई कहानी लिखी जा सके.

कौन हैं पुष्पम प्रिया चौधरी ?
जेडीयू के नेता और विधान परिषद के सदस्य रह चुके विनोद चौधरी की बेटी हैं. मूल रूप से दरभंगा की हैं. लंदन के मशहूर लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स से इन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री ली है. प्लूरल्स पार्टी की प्रेसिडेंट हैं. इनकी पार्टी के साथ जो लोगो बना हुआ है, वो पंखों वाले घोड़े का है. बताया जाता है कि पुष्पम के पिता विनोद चौधरी सीएम नीतीश कुमार के करीबी हैं. लेकिन, पुष्पम का सीएम कैंडिडेट बनकर चुनाव में खड़े होना सीधे-सीधे नीतीश को चुनौती देना है. उन्हीं के पार्टी के नेता की बेटी उन्हें चैलेंज कर रही है.

नोट: सारी जानकारी पुष्पम प्रिया चौधरी के फेसबुक वॉल से ली गई है.

पटना: बिहार चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होंगे. इस बीच बिहार की सियासी खबरों में एक और नाम की चर्चा होने लगी है. ये नाम हैं पुष्पम प्रिया चौधरी का. मार्च महीने में अखबारों के पहले पन्ने पर इनके बड़े-बड़े विज्ञापन छपे थे. पुष्पम प्रिया ने 'प्लूरल्स(Plurals)' नाम की नई पार्टी बनाई है. इसी के साथ, उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए खुद को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया है.

करीब दो महीने के लॉकडाउन के बाद एक बार फिर पुष्पम प्रिया चर्चा में हैं. प्रदेश के हर शहर, गांव, गली-मौहल्ला घूम-घूम कर लोगों से मिल रही है, उनकी समस्याएं जान रही है. एक बार फिर, एक जून से पुष्पम प्रिया ने जनसंपर्क अभियान की शुरुआत की है:-

01 जून : पुष्पम प्रिया ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखा-'पटना की गलियों से शुरुआत। जून महीने, मैं और मेरे 38 जिले. पटना की गलियों से गुजरते हुए यकीन नहीं होता कि कभी इस जमीन पर चंद्रगुप्त और अशोक की अंतर्राष्ट्रीय राजधानी थी.'

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फोटो- साभार सोशल मीडिया

01 जून : 'प्लुरल्स की ओर से प्रवासी मजदूरों और गरीबों की जरुरत को देखते हुए 38 जिलों में 50,000 महिलाओं को बहाल कर 'वर्क फ्राम होम' और 'स्टिचिंग सेंटर' द्वारा 5 मिलियन मास्क प्रोडक्शन की क्राउडसोर्स परियोजना शुरू की जा रही है. आज एक केंद्र पर जाने का अनुभव शानदार था.'

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फोटो- साभार सोशल मीडिया

02 जून : इसके बाद पुष्पम का अगला पड़ाव फतुहा की तरफ बढ़ती है और एक वीडियो शेयर कर लिखती है, 'बिहार में तो उद्योग के नाम पर राइस मिल ही रह गए हैं. इसको भी बढ़ावा देते तो अपना चावल आज विदेशों में होता.'

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02 जून : अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर एक तस्वीर शेयर कर लिखती है, 'तेलंगाना के माननीय मुख्यमंत्री बारम्बार प्रवासी मज़दूरों को अपने राइस मिल में काम करने को वापस बुला रहे हैं. समझिए, तेलंगाना जैसी शुष्क जलवायु वाले राज्य में चावल आधारित उद्योग फल-फूल रहा है! और हमारा बिहार धान का कटोरा है, विश्व-रिकार्डधारी किसान हैं, लेकिन अपार क्षमता वाले राज्य में राइस मिल उद्योग तक में एकाधिकार नहीं बना पाए. अब खेल के नियम बदलने का वक्त है.'

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02 जून : पुष्पम आगे एक और तस्वीर शेयर कर लिखती है, 'फतुहा जैसे औद्योगिक क्षेत्र 'बाहरी निवेशक' को न्योता के सफेद हाथी बन गए हैं. उद्यमी, युवा, श्रमिक बाहर जाते हैं, और आप निवेश का रोते हैं. स्टेट लैंड, स्टेट इन्वेस्टमेंट, इंट्रेस्ट-फ्री कैपिटल, बिहारी युवा और 2020-30 की एग्रो-इंडस्ट्री क्रांति! यह तो न्यूनतम है.'

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02 जून : इसके बाद एक तस्वीर में पुष्पम कुछ लोगों के पास खड़ी नजर आती है. तस्वीर को शेयर कर लिखती है, 'फतुहा लेदर हब (600 यूनिट, 10000 रोजगार): भूमि पूजन - 'अक्षय तृतीया' 2012 में. 2020 स्थिति: प्लास्टर हो गया है. निष्कर्ष: 'विकास तो हुआ है. गति: 'ठीके है'.

देखें रिपोर्ट

03 जून : अब पुष्पम किसानों के साथ एक खेत में नजर आती है. तस्वीर शेयर कर लिखती है, 'मर्यादा पुरुषोत्तम भी होते तो रो देते, आपने उनकी प्रिय 'रामतोरई' को 'टके सेर भाजी' कर दिया! वैशाली के किसान भिंडी-लौकी के 1 रु. किलो पाएंगे तो 'हर भारतीय थाली में बिहारी व्यंजन' कैसे हो! चिंता न करें, आपके जीते-जी बिहारी Okra और लौकी अमेरिका-यूरोप की थाली में होगी!'

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फोटो- साभार सोशल मीडिया

03 जून : पुष्पम अपने अगले पड़ाव की बढ़ती है. फतुहा से वैशाली पहुंचती है और एक केले के खेत में नजर आती है. यहां वीडियो में पुष्पम गांव के लोगों से बातचीत करती दिखती है. वीडियो शेयर कर लिखती है, 'गांव - रामदौली, बिदुपुर, वैशाली (राघोपुर विधानसभा). 'हर भारतीय थाली में बिहारी व्यंजन' तो पहुंचा नहीं लेकिन हज़ारों स्टार्ट-अप ही फाइनेंस कर देते तो केले का चिप्स दुनियां के कोने-कोने में पहुंच जाता!'.

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फोटो- साभार सोशल मीडिया

03 जून : आगे पुष्पम मक्के के खेत में कुछ युवाओं से बात करती नजर आती है. तस्वीर शेयर कर लिखती है,' भकरोहर, वैशाली में फूडग्रेन (मक्का), कैश क्रॉप (तम्बाकू), फ्रूट्स(आम), सब्जी (भिंडी, लौकी) सब है, मेहनती किसान हैं, उद्योग खोज रहे युवा हैं; बस सरकार नहीं है. नीलगाय से बर्बादी, कोई मुआवजा नहीं. सपोर्ट, स्टोरेज, लोकल इंडस्ट्री और नेशनल-इंटरनेशनल मार्केट लिंकेज मिले तो बिहार गोल्डमाइन है!'

इसके बाद पुष्पम प्रिया लिखती है, '(गणतंत्र से वापस) उम्मीदों से बड़ा कोई दबाव नहीं! और फिर बिहार में कुछ तो है कि आप एक पागल युद्ध को तैयार हो जाएं. इसे एक बिहारी कवि से बेहतर कौन लिखेगा - 'हैं आखिर कौन से बंधन जो मुझसे खुल नहीं पाते, ये बादल बेबसी के क्यों बरस के धुल नहीं जाते..(शैलेंद्र, आम्रपाली, 1966).'

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नालंदा से जनसंपर्क अभियान की शुरुआत
बता दें कि इससे पहले उन्होंने अपने जनसंपर्क अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा से की थी. अपने जनसंपर्क अभियान के दौरान पुष्पम प्रिया चौधरी कृषि उद्यमी सुमंत कुमार के घर पहुंचीं और उन्हें अपनी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई. जनसंपर्क अभियान की शुरुआत करने के दौरान पुष्पम प्रिया चौधरी ने फेसबुक पर लिखा, उनकी पार्टी 'प्लूरल्स' की योजना बहुत स्पष्ट है - अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान और जमीनी अनुभव की साझेदारी ताकि कृषि क्रांति, औद्योगिक क्रांति और नगरीय क्रांति की नई कहानी लिखी जा सके.

कौन हैं पुष्पम प्रिया चौधरी ?
जेडीयू के नेता और विधान परिषद के सदस्य रह चुके विनोद चौधरी की बेटी हैं. मूल रूप से दरभंगा की हैं. लंदन के मशहूर लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स से इन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री ली है. प्लूरल्स पार्टी की प्रेसिडेंट हैं. इनकी पार्टी के साथ जो लोगो बना हुआ है, वो पंखों वाले घोड़े का है. बताया जाता है कि पुष्पम के पिता विनोद चौधरी सीएम नीतीश कुमार के करीबी हैं. लेकिन, पुष्पम का सीएम कैंडिडेट बनकर चुनाव में खड़े होना सीधे-सीधे नीतीश को चुनौती देना है. उन्हीं के पार्टी के नेता की बेटी उन्हें चैलेंज कर रही है.

नोट: सारी जानकारी पुष्पम प्रिया चौधरी के फेसबुक वॉल से ली गई है.

Last Updated : Jun 4, 2020, 3:56 PM IST
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