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बिहार में पल्स पोलियो अभियान 2.0 की हुई शुरुआत, कोरोना टीकाकरण से वंचित लोगों की भी हो रही पहचान - कोरोना के प्रिकॉशनरी डोज

प्रदेश में आज से पल्स पोलियो अभियान 2.0 की शुरुआत (Pulse Polio Campaign started in Bihar ) हो गई है. 19 से 23 जून तक चलने वाले इस अभियान के दौरान हेल्थ वर्कर्स घर-घर जाकर कोरोना के प्रिकॉशनरी डोज नहीं लेने वाले लोगों की पहचान करेंगे और उसे टीकाकरण केंद्र पर भेजकर टीका दिलवाएंगे. पढ़ें पूरी खबर..

बिहार में पल्स पोलियो अभियान
बिहार में पल्स पोलियो अभियान
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Published : Jun 19, 2022, 7:17 PM IST

पटना: बिहार में आज यानि रविवार से पल्स पोलियो अभियान 2.0 की शुरुआत हो गई है. इस अभियान के साथ-साथ घर-घर जाकर कोरोना टीकाकरण और टीका के प्रिकॉशनरी डोज से वंचित लोगों की पहचान की जा रही है. आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से पल्स पोलियो अभियान 2.0 चलाया जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) ने जानकारी दी है कि नियमित टीकाकरण के साथ-साथ कोरोना टीकाकरण बढ़ाने पर भी स्वास्थ्य विभाग का पूरा जोर है.

ये भी पढ़ें-VIDEO: गजबे है सासाराम सदर अस्पताल! टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज, डॉक्टर बोले- रोज का यही हाल

पल्स पोलियो अभियान 2.0 की शुरुआत: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि विभाग अब शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित कराने की दिशा में अपना प्रयास तेज कर दिया है. इसको लेकर पल्स पोलियो अभियान 2.0 के दौरान कोरोना टीकाकरण से वंचित लोगों को चिन्हित कर उनका टीकाकरण किया जाएगा. इनमें उन लोगों को भी शामिल किया जाएगा जो प्रिकॉशनरी डोज नहीं लिए हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना टीकाकरण के शत-प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रदेश के हर घर तक पहुंचने की जरूरत है. इसको देखते हुए विभाग द्वारा 19 जून से 23 जून तक हर घर दस्तक पल्स पोलियो अभियान 2.0 के तहत कोरोना टीकाकरण से छूटे हुए लोगों की सर्वे कर पहचान की जाएगी.

घर-घर जाकर लोगों को किया जाएगा चिन्हित: स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि चिन्हित लोगों को प्रेरित कर नजदीकी टीकाकरण केंद्र पर भेजा जाएगा और उनका टीकाकरण सुनिश्चित किया जाएगा. उन्होंने कहा है कि राज्य में कोरोना टीकाकरण अभियान में आम लोगों ने रुचि दिखाई, जिससे स्वास्थ विभाग प्रभावी तरीके से कोरोना से लड़ने में सक्षम हुआ. ऐसे में अब प्राथमिकता के तहत प्रिकॉशनरी डोज से वंचित लोगों की पहचान कर उनका टीकाकरण सुनिश्चित किया जाएगा ताकि, प्रदेश कोरोना से लड़ाई में सशक्त बने.

प्रिकॉशनरी डोज के टीकाकरण के मामले में बिहार फिसड्डी: प्रदेश में प्रिकॉशनरी डोज के टीकाकरण की बात करें तो बिहार प्रदेश फिसड्डी राज्यों में शुमार है. प्रदेश में अब तक मात्र 22 फीसदी लोगों ने प्रिकॉशनरी डोज का टीका लगवाया है. प्रिकॉशनरी डोज के टीकाकरण के मामले में स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन कर्मियों की भी सुस्ती देखने को मिल रही है. प्रदेश में अब तक मात्र 73.6 फीसदी स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रिकॉशनरी डोज का टीका लिया है. जिसमें पटना फिसड्डी बना हुआ है और सबसे कम पटना में ही स्वास्थ्य कर्मियों ने कोरोना टीका का प्रिकॉशनरी डोज लिया है.

पटना में 49.7 फीसदी स्वास्थ्य कर्मियों ने लिया प्रिकॉशनरी टीका: पटना में 49.7 फीसदी स्वास्थ्य कर्मियों ने ही प्रिकॉशनरी डोज का टीका लिया है. जबकि, शेखपुरा जिले में 94.1 फीसदी स्वास्थ्य कर्मियों ने टीका लिया है और प्रिकॉशनरी डोज के टीकाकरण के मामले में शेखपुरा जिले के स्वास्थ्य कर्मी अव्वल हैं. वही फ्रंटलाइन कर्मियों की बात करें तो प्रदेश में अब तक 50.7 फीसदी कर्मियों ने ही प्रिकॉशनरी डोज का टीका लिया है. जिसमें शिवहर में 117.8 फीसदी फ्रंटलाइन कर्मियों ने प्रिकॉशनरी डोज का टिकट लिया है.

किशनगंज में 73.1 फीसदी फ्रंटलाइन वर्कर्स ने लिया टीका: किशनगंज में 73.1 फीसदी फ्रंटलाइन कर्मियों ने टीका लिया है. वहीं, फ्रंटलाइन कर्मियों में प्रिकॉशनरी डोज का टीका लेने के मामले में भोजपुर जिला फिसड्डी बना हुआ है और यहां 29.9 फीसदी प्रिकॉशनरी डोज का टीकाकरण हुआ है. इसके बाद पूर्णिया है, जहां 32.5 फीसदी और उसके बाद पटना का नंबर आता है. जहां पर 36.5 फीसदी फ्रंटलाइन कर्मियों ने प्रिकॉशनरी डोज का टीका लिया है. पटना में प्रिकॉशनरी डोज के लिए अहर्ता रखने वाले 77 हजार 760 स्वास्थ्य कर्मियों में मात्र 28 हजार 336 ने हीं टीका लगवाया है.

पटना में एक्टिव मामलों की संख्या 166: ऐसे में देखने वाली यह बात होती है कि 19 से 23 जून के बीच चलने वाले इस अभियान के दौरान प्रिकॉशनरी डोज के टीकाकरण का ग्राफ कितना ऊपर जाता है. क्योंकि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. प्रदेश में एक्टिव मरीजों की संख्या 283 है और बीते दो दिनों में 141 नए मामले सामने आए हैं और राजधानी पटना में एक्टिव मामलों की संख्या 166 है.

ये भी पढ़ें-जनसंख्या नियंत्रण कानून पर मंगल पांडे का गोलमोल जवाब, बोले- 'नियोजन कार्यक्रम से फर्टिलिटी दर में आई कमी'

पटना: बिहार में आज यानि रविवार से पल्स पोलियो अभियान 2.0 की शुरुआत हो गई है. इस अभियान के साथ-साथ घर-घर जाकर कोरोना टीकाकरण और टीका के प्रिकॉशनरी डोज से वंचित लोगों की पहचान की जा रही है. आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से पल्स पोलियो अभियान 2.0 चलाया जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) ने जानकारी दी है कि नियमित टीकाकरण के साथ-साथ कोरोना टीकाकरण बढ़ाने पर भी स्वास्थ्य विभाग का पूरा जोर है.

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पल्स पोलियो अभियान 2.0 की शुरुआत: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि विभाग अब शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित कराने की दिशा में अपना प्रयास तेज कर दिया है. इसको लेकर पल्स पोलियो अभियान 2.0 के दौरान कोरोना टीकाकरण से वंचित लोगों को चिन्हित कर उनका टीकाकरण किया जाएगा. इनमें उन लोगों को भी शामिल किया जाएगा जो प्रिकॉशनरी डोज नहीं लिए हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना टीकाकरण के शत-प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रदेश के हर घर तक पहुंचने की जरूरत है. इसको देखते हुए विभाग द्वारा 19 जून से 23 जून तक हर घर दस्तक पल्स पोलियो अभियान 2.0 के तहत कोरोना टीकाकरण से छूटे हुए लोगों की सर्वे कर पहचान की जाएगी.

घर-घर जाकर लोगों को किया जाएगा चिन्हित: स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि चिन्हित लोगों को प्रेरित कर नजदीकी टीकाकरण केंद्र पर भेजा जाएगा और उनका टीकाकरण सुनिश्चित किया जाएगा. उन्होंने कहा है कि राज्य में कोरोना टीकाकरण अभियान में आम लोगों ने रुचि दिखाई, जिससे स्वास्थ विभाग प्रभावी तरीके से कोरोना से लड़ने में सक्षम हुआ. ऐसे में अब प्राथमिकता के तहत प्रिकॉशनरी डोज से वंचित लोगों की पहचान कर उनका टीकाकरण सुनिश्चित किया जाएगा ताकि, प्रदेश कोरोना से लड़ाई में सशक्त बने.

प्रिकॉशनरी डोज के टीकाकरण के मामले में बिहार फिसड्डी: प्रदेश में प्रिकॉशनरी डोज के टीकाकरण की बात करें तो बिहार प्रदेश फिसड्डी राज्यों में शुमार है. प्रदेश में अब तक मात्र 22 फीसदी लोगों ने प्रिकॉशनरी डोज का टीका लगवाया है. प्रिकॉशनरी डोज के टीकाकरण के मामले में स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन कर्मियों की भी सुस्ती देखने को मिल रही है. प्रदेश में अब तक मात्र 73.6 फीसदी स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रिकॉशनरी डोज का टीका लिया है. जिसमें पटना फिसड्डी बना हुआ है और सबसे कम पटना में ही स्वास्थ्य कर्मियों ने कोरोना टीका का प्रिकॉशनरी डोज लिया है.

पटना में 49.7 फीसदी स्वास्थ्य कर्मियों ने लिया प्रिकॉशनरी टीका: पटना में 49.7 फीसदी स्वास्थ्य कर्मियों ने ही प्रिकॉशनरी डोज का टीका लिया है. जबकि, शेखपुरा जिले में 94.1 फीसदी स्वास्थ्य कर्मियों ने टीका लिया है और प्रिकॉशनरी डोज के टीकाकरण के मामले में शेखपुरा जिले के स्वास्थ्य कर्मी अव्वल हैं. वही फ्रंटलाइन कर्मियों की बात करें तो प्रदेश में अब तक 50.7 फीसदी कर्मियों ने ही प्रिकॉशनरी डोज का टीका लिया है. जिसमें शिवहर में 117.8 फीसदी फ्रंटलाइन कर्मियों ने प्रिकॉशनरी डोज का टिकट लिया है.

किशनगंज में 73.1 फीसदी फ्रंटलाइन वर्कर्स ने लिया टीका: किशनगंज में 73.1 फीसदी फ्रंटलाइन कर्मियों ने टीका लिया है. वहीं, फ्रंटलाइन कर्मियों में प्रिकॉशनरी डोज का टीका लेने के मामले में भोजपुर जिला फिसड्डी बना हुआ है और यहां 29.9 फीसदी प्रिकॉशनरी डोज का टीकाकरण हुआ है. इसके बाद पूर्णिया है, जहां 32.5 फीसदी और उसके बाद पटना का नंबर आता है. जहां पर 36.5 फीसदी फ्रंटलाइन कर्मियों ने प्रिकॉशनरी डोज का टीका लिया है. पटना में प्रिकॉशनरी डोज के लिए अहर्ता रखने वाले 77 हजार 760 स्वास्थ्य कर्मियों में मात्र 28 हजार 336 ने हीं टीका लगवाया है.

पटना में एक्टिव मामलों की संख्या 166: ऐसे में देखने वाली यह बात होती है कि 19 से 23 जून के बीच चलने वाले इस अभियान के दौरान प्रिकॉशनरी डोज के टीकाकरण का ग्राफ कितना ऊपर जाता है. क्योंकि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. प्रदेश में एक्टिव मरीजों की संख्या 283 है और बीते दो दिनों में 141 नए मामले सामने आए हैं और राजधानी पटना में एक्टिव मामलों की संख्या 166 है.

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