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Post Exam Stress: योग और मेडिटेशन से रहें तनाव मुक्त, अंकों को ना बनाएं अपना लक्ष्य

बोर्ड परीक्षा के दिनों में बच्चे काफी दवाब महसूस करते हैं. बच्चों पर एक तो अपने आप में उपेक्षा का डर तो दूसरी ओर उन पर परिवार की अपेक्षाओं का बोझ लदा होता है. इस समय परिवार का सपोर्ट उनके लिए बेहद जरूरी है. इस मुद्दे को लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ मनोज कुमार से खास बातचीत की. सुनिए उन्होंने परीक्षा को लेकर क्या टिप्स दिए. Post Exam Stress

वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ मनोज कुमार से खास बातचीत
वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ मनोज कुमार से खास बातचीत
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Published : Jan 6, 2023, 9:28 PM IST

वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ मनोज कुमार से खास बातचीत

पटना: बोर्ड परीक्षाएं अगले महीने से शुरू (Board Examination 2023) हो रही है. ऐसे में समय काफी कम बचा है और बच्चे तनाव में हैं. खासकर, वह बच्चे जिनकी परीक्षा की तैयारी ठीक से नहीं हुई है. ऐसे बच्चे इस समय विशेष तनाव में इसलिए हैं, क्योंकि उनके अभिभावक उन पर दबाव डाल रहे है कि पिछले वर्ष उनके पड़ोस में फलाना बच्चे ने यह अंक लाया था. उसे उससे बेहतर अंक लाने हैं, ताकि मान प्रतिष्ठा बचा रहे. ऐसे में बच्चे तनाव का डबल डोज ले रहे हैं. (Tips For Exam Preparation) (how to prepare for exam)

यह भी पढ़ें: Inter Exam 2024: 7 जनवरी तक लेट फीस के साथ करें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन

बच्चों पर परीक्षा का तनाव: बच्चों पर एक तो अपने आप में उपेक्षा का डर तो दूसरी ओर परिवार की अपेक्षाओं का बोझ. ऐसे में बच्चे तनाव में आ गए हैं. पटना के वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ और समाज कल्याण विभाग में तैनात डॉ मनोज कुमार ने बताया कि बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने में काफी कम समय शेष रह गया है. जिन बच्चों की तैयारियां अच्छी नहीं है, वह पहले से दबाव में हैं. उन्होंने कहा कि हर बच्चे में एक अलग विलक्षण प्रतिभा होती है. वह अभिभावकों से अपील करेंगे कि बच्चों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव न डालें.

ये भी पढ़ें: BSEB Datesheet 2023: बिहार बोर्ड 10वीं, 12वीं का टाइमटेबल जारी, देखें कब होगी परीक्षा

'रोक-टोक से बच्चों पर दवाब': डॉ मनोज कुमार ने बताया कि बोर्ड की परीक्षाएं जैसे नजदीक आती है. देखने को मिलता है कि अभिभावक बच्चों का खेल कूद बंद कर देते हैं. दोस्तों से मिलना जुलना पर पाबंदी लग जाती है. मोबाइल और टीवी देखना बंद कर देते हैं. इसका बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर करता है, क्योंकि बोर्ड की परीक्षाएं देने वाले बच्चों की उम्र 14 से 18 वर्ष के बीच होती है. यह काफी खतरनाक एज ग्रुप माना जाता है. इस समय बच्चों के शारीरिक और भावनात्मक विकास होता है. इस समय बच्चे चाहते है कि वह परिवार वाले उनका सपोर्ट करे.

'अभिभावक बच्चों का सपोर्ट करे': उन्होंने बताया कि बच्चे जब इस समय बोर्ड परीक्षा को लेकर अत्याधिक तनाव लेते हैं. उनके स्वास्थ्य पर भी इसका असर देखने को मिलता है. बच्चों के पेट में दर्द, लूज मोशन होना इत्यादि सामान्य सी बातें हैं. इस लक्षण को अभिभावकों को समय पर पहचानना बेहद जरूरी है. बच्चों को तनाव से दूर रखने के लिए जरूरी है कि अभिभावक बच्चों को एक बार खाने के समय साथ में बैठकर बातें करें और उन्हें भरोसा दे कि हर स्थिति में वह उनके साथ हैं. अभिभावकों की यह बातें बच्चों के आत्मविश्वास को बेहद मजबूत करती है. इसके अलावा इस समय बच्चों को सुपाच्य भोजन देना बेहद जरूरी है, क्योंकि जब मन तनाव में रहता है उस समय पाचन क्रिया सही नहीं रहती.

'बच्चे योगा और मेडिटेशन करें ': डॉ मनोज कुमार ने बताया कि इस समय बच्चों को पुरानी चीजों को बेहतर तरीके से रिवीजन करना चाहिए. उन्हें अपनी दैनिक क्रिया को नहीं बदलनी चाहिए. सुबह के समय पढ़ाई के लिए बेहद उपयुक्त माना जाता है, इसलिए दिन के 12:00 बजे तक पढ़ाई करे. उसके बाद लिखने का काम करे और फिर शाम के समय दोस्तों के बीच बैठकर ग्रुप डिस्कशन करने का फायदा मिलेगा. कुछ इंटरटेनमेंट के साथ खेलकूद करें. कुछ समय मेडिटेशन और योगा को भी दे.

"अभिभावकों के लिए जरूरी है कि इस समय बच्चों पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि 14 से 18 वर्ष का उम्र काफी खतरनाक होता है. इस समय उन्हें मानसिक संबल की आवश्यकता होती है. बच्चों को मानसिक तौर पर मजबूत करे. उन्हें कुछ समय खेलने के लिए दे .कुछ समय योगासन कराएं और कुछ समय एक साथ बैठकर बाते करें. यह बच्चों के मनोबल को बेहद मजबूत करता है" - डॉ मनोज कुमार, मनोरोग विशेषज्ञ

वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ मनोज कुमार से खास बातचीत

पटना: बोर्ड परीक्षाएं अगले महीने से शुरू (Board Examination 2023) हो रही है. ऐसे में समय काफी कम बचा है और बच्चे तनाव में हैं. खासकर, वह बच्चे जिनकी परीक्षा की तैयारी ठीक से नहीं हुई है. ऐसे बच्चे इस समय विशेष तनाव में इसलिए हैं, क्योंकि उनके अभिभावक उन पर दबाव डाल रहे है कि पिछले वर्ष उनके पड़ोस में फलाना बच्चे ने यह अंक लाया था. उसे उससे बेहतर अंक लाने हैं, ताकि मान प्रतिष्ठा बचा रहे. ऐसे में बच्चे तनाव का डबल डोज ले रहे हैं. (Tips For Exam Preparation) (how to prepare for exam)

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बच्चों पर परीक्षा का तनाव: बच्चों पर एक तो अपने आप में उपेक्षा का डर तो दूसरी ओर परिवार की अपेक्षाओं का बोझ. ऐसे में बच्चे तनाव में आ गए हैं. पटना के वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ और समाज कल्याण विभाग में तैनात डॉ मनोज कुमार ने बताया कि बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने में काफी कम समय शेष रह गया है. जिन बच्चों की तैयारियां अच्छी नहीं है, वह पहले से दबाव में हैं. उन्होंने कहा कि हर बच्चे में एक अलग विलक्षण प्रतिभा होती है. वह अभिभावकों से अपील करेंगे कि बच्चों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव न डालें.

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'रोक-टोक से बच्चों पर दवाब': डॉ मनोज कुमार ने बताया कि बोर्ड की परीक्षाएं जैसे नजदीक आती है. देखने को मिलता है कि अभिभावक बच्चों का खेल कूद बंद कर देते हैं. दोस्तों से मिलना जुलना पर पाबंदी लग जाती है. मोबाइल और टीवी देखना बंद कर देते हैं. इसका बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर करता है, क्योंकि बोर्ड की परीक्षाएं देने वाले बच्चों की उम्र 14 से 18 वर्ष के बीच होती है. यह काफी खतरनाक एज ग्रुप माना जाता है. इस समय बच्चों के शारीरिक और भावनात्मक विकास होता है. इस समय बच्चे चाहते है कि वह परिवार वाले उनका सपोर्ट करे.

'अभिभावक बच्चों का सपोर्ट करे': उन्होंने बताया कि बच्चे जब इस समय बोर्ड परीक्षा को लेकर अत्याधिक तनाव लेते हैं. उनके स्वास्थ्य पर भी इसका असर देखने को मिलता है. बच्चों के पेट में दर्द, लूज मोशन होना इत्यादि सामान्य सी बातें हैं. इस लक्षण को अभिभावकों को समय पर पहचानना बेहद जरूरी है. बच्चों को तनाव से दूर रखने के लिए जरूरी है कि अभिभावक बच्चों को एक बार खाने के समय साथ में बैठकर बातें करें और उन्हें भरोसा दे कि हर स्थिति में वह उनके साथ हैं. अभिभावकों की यह बातें बच्चों के आत्मविश्वास को बेहद मजबूत करती है. इसके अलावा इस समय बच्चों को सुपाच्य भोजन देना बेहद जरूरी है, क्योंकि जब मन तनाव में रहता है उस समय पाचन क्रिया सही नहीं रहती.

'बच्चे योगा और मेडिटेशन करें ': डॉ मनोज कुमार ने बताया कि इस समय बच्चों को पुरानी चीजों को बेहतर तरीके से रिवीजन करना चाहिए. उन्हें अपनी दैनिक क्रिया को नहीं बदलनी चाहिए. सुबह के समय पढ़ाई के लिए बेहद उपयुक्त माना जाता है, इसलिए दिन के 12:00 बजे तक पढ़ाई करे. उसके बाद लिखने का काम करे और फिर शाम के समय दोस्तों के बीच बैठकर ग्रुप डिस्कशन करने का फायदा मिलेगा. कुछ इंटरटेनमेंट के साथ खेलकूद करें. कुछ समय मेडिटेशन और योगा को भी दे.

"अभिभावकों के लिए जरूरी है कि इस समय बच्चों पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि 14 से 18 वर्ष का उम्र काफी खतरनाक होता है. इस समय उन्हें मानसिक संबल की आवश्यकता होती है. बच्चों को मानसिक तौर पर मजबूत करे. उन्हें कुछ समय खेलने के लिए दे .कुछ समय योगासन कराएं और कुछ समय एक साथ बैठकर बाते करें. यह बच्चों के मनोबल को बेहद मजबूत करता है" - डॉ मनोज कुमार, मनोरोग विशेषज्ञ

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