पटना: केंद्रीय कृषि कानूनों (Agricultural law) के खिलाफ आंदोलन को और मजबूत करने के लिए आज किसान संगठनों ने भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया है. जिसका बिहार में भी सभी विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया है. भारत बंद का असर पटना के मसौढ़ी में भी देखने को मिल रहा है. जहां किसान और विपक्षी पार्टियों के नेता एकजुट होकर सुबह से ही सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. एनएच-83 को भी जाम कर दिया गया है. जिससे यातायात बाधित है.
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कृषि कानून को वापस लेने को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन देश के अलग-अलग हिस्सों में जारी है. सरकार के विरोध में पूरे देश में आज भारत बंद का ऐलान किया गया है. जिसमें महागठबंधन के नेता और सभी किसान संगठन के लोग सड़क पर उतर कर हाथों में झंडा और बैनर लेकर जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं. मसौढ़ी में पटना-गया राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-83 को रेलवे गुमटी चौराहा के पास जाम कर दिया गया है.
वहीं, धनरूआ एवं पुनपुन समेत बेलदारीचक और गौरीचक में भी लोगों ने सड़क जाम कर आगजनी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कृषि कानून को वापस लेने और निजीकरण नहीं करने की मांग की.
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जानें क्या हैं तीनों कृषि कानून जिसका किसान विरोध कर रहे हैं.
1. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020: इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे रोज्यों में फसल बेच और खरीद सकते हैं. इसका मतलब एपीएमसी (एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी -Agriculture Marketing Produce Committee) के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री की जा सकती है. साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी. इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे.
2. मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा कानून 2020: देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी. किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया राज ख्त्म होगा.
3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020: आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है. बहुत जरूरी होने पर ही स्टॉक लिमिट लगाई जाएगी. ऐसी स्थितियों में राष्ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं. प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.