पटना : बिहार में बारिश की कमी के कारण तपती धरती को हरी चादर से ढकने के लिए किसानों को ढैंचा की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है. हरी चादर योजना के तहत अनुमंडल कृषि पदाधिकारी किसानों को जागरूक कर रहे हैं और ढैंचा का बीज मुफ्त बंटवाया जा रहा है. खेतों में ढैंचा लगाने के कई सारे फायदे होते है. ढैंचा का पौधा लगाने से न केवल खेतों में खाद बनेगा, बल्कि अलग से फसलों के लिए खाद छिड़काव करने की कोई भी जरूरत नहीं पड़ेगी.
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सरकार मुफ्त में देती है ढैचा का बीज : हरी चादर योजना के तहत किसानों को सरकार मुफ्त में ढैंचा का बीज प्रत्येक साल बांटती है. अनुमंडल कृषि पदाधिकारी राजेश कुमार ने मसौढ़ी में विभिन्न गांव में किसानों के बीच खेतों में जाकर ढैंचा का पौधा लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. इस योजना का उद्देश्य धरती को तपने से बचाना व जैविक खाद के प्रयोग को बढ़ावा देना है. इससे किसान अधिक से अधिक लाभान्वित हो सकेंगे.
"ढैंचा की फसल को हरी खाद के रूप में लेने से मिट्टी के स्वास्थ्य में जैविक, रासायनिक और भौतिक सुधार होता है और जल धारण क्षमता बढ़ती है. जैसा कि पलटाई कर खेत में चढ़ाने से नाइट्रोजन, गंधक, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, तांबा, लोहा जैसे तमाम प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं."- नवीन कुमार सिंह, कृषि कोऑर्डिनेटर मसौढी
हरी खाद वाली फसल है ढैचा : कृषि वैज्ञानिकों की माने ढैंचा एक हरी खाद वाली फसल है. इसका इस्तेमाल खेतों के लिए हरी खाद बनाने में किया जाता है. पौधे बढ़ने पर इसकी कटाई करके हरी खाद बना सकते हैं. इसके इस्तेमाल के बाद खेत में अलग से यूरिया की जरूरत नहीं पड़ती हैं. खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने और किसानों को फर्टिलाइजर के इस्तेमाल पर होने वाले खर्चों को कम करने के लिए सरकार ने हरी चादर योजना चलाई है और उसी के तहत ढैचा के फसल लगाने के लिए किसानों को अनुमंडल कृषि पदाधिकारी प्रेरित कर रहे हैं.
"हरी चादर योजना के तहत किसान को सरकार मुफ्त में ढैंचा का बीज देती है, ताकि वह खेतों में इसे लगाएं. खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ावा देने और फर्टिलाइजर के इस्तेमाल नहीं करने को लेकर ढैचा को लेकर हम लगातार गांव गांव में किसानों को प्रेरित कर रहे हैं."- राजेश कुमार, अनुमंडल कृषि पदाधिकारी मसौढ़ी