पटना: राजधानी के तारामंडल सभागार में 29वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का तीन दिवसीय संवर्धन कार्यशाला (Workshop Of National Children Science Congress) का आयोजन 17-19 दिसंबर तक किया गया था. इस कार्यशाला में बच्चों को विभिन्न विषयों पर प्रोजेक्ट बनाकर लाना था. इस प्रोजेक्ट में कटिहार से 11वीं कक्षा की छात्रा अंशुली कुमारी अपने शिक्षक डॉ अंतर्यामी कुमार के साथ बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि किस प्रकार बनाया जा सकता है, इस विषय को लेकर पहुंची थी. यह प्रोजेक्ट नेशनल (Katihar Student Selected For National Level) के लिए सेलेक्ट हो गया है.
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देश में जब भी कृषि की बात होती है तो किसानों की आय दोगुनी किस प्रकार से की जाए, इस पर खूब चर्चा होती है. विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रदेश में कृषि को उन्नत करने के लिए जरूरी है कि प्रदेश में जितने भी बंजर भू भाग हैं, उसे उपजाऊ बनाया जाए. राज्य सरकार द्वारा बंजर भू भाग को उपजाऊ बनाने के लिए लगातार प्रयास चल रहे हैं. राज्य में अभी भी 0.40 लाख हेक्टेयर जमीन बंजर भूमि है.
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अंशुली कुमारी ने बताया कि प्रदेश में कृषि के पैदावार को बढ़ाना है, तो इसके लिए जरूरी है कि प्रदेश में जितने भी बंजर भूमि है उसे उर्वरक भूमि बनाया जाए. छात्रा ने बताया कि भूमि के ऑर्गेनिक कंपोनेंट को जैविक खाद के माध्यम से बढ़ाकर और भूमि के पास सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करके ही बंजर भूमि को उर्वरक भूमि बना सकते हैं. छात्रा ने बताया कि उपजाऊ भूमि की मिट्टी का रंग गहरा काला होता है. बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए उसमें जैविक खाद का मिश्रण करना होगा. इसके साथ ही उस इलाके में नहरों और नदियों को आपस में जोड़कर सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था करनी होगी.
'भूमि की उर्वरक का पता करने के लिए मैंने तीन तरह की मिट्टी इकट्ठा किया है. सबसे पहले उन्होंने मरुभूमि की मिट्टी ली फिर जंगल से मिट्टी इकट्ठा की और फिर खेत से मिट्टी इकट्ठा की. इसके बाद तीनों मिट्टी को सुखाकर लैब में ले जाकर उन सबका अलग-अलग पीएच टेस्ट किया. साथ ही ऑर्गेनिक कॉम्पोनेंट का पता किया और जलधारण क्षमता का पता किया. इसके बाद यह पता चला कि जिस मिट्टी में जल धारण क्षमता अधिक होती है और कार्बनिक कार्बन यानी कि ऑर्गेनिक कंपोनेंट अधिक होती है वह भूमि उपजाऊ होती है.' -अंशुली, छात्रा
शिक्षक अंतर्यामी ने बताया कि भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए जरूरी है कि सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हो. ऐसे में जरूरी है कि खेतों तक नहर की पर्याप्त व्यवस्था की जाए. नहर से छहर निकाला जाए ताकि हर खेत तक सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था हो सके और जमीन को पानी मिलता रहे और मिट्टी में नमी बरकरार रहे.
'बच्ची ने कटिहार में जहां प्रोजेक्ट तैयार किया है, वहां अभी भी 50 एकड़ से अधिक जमीन बंजर भूमि है. बच्ची ने जो रिसर्च किया है उसमें यह पाया गया है कि जैविक खाद के माध्यम से ही हम मिट्टी के ऑर्गेनिक कॉम्पोनेंट को बढ़ा सकते हैं. उर्वरक भूमि की पीएच वैल्यू बंजर भूमि से कम होती है और इसमें पानी एबजर्व करने की क्षमता भी अधिक होती है.' -डॉ अंतर्यामी कुमार, अंशुली के गाइड और शिक्षक
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