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कोरोना के कारण रुका-रुका सा प्रिंटिंग कारोबार नेताजी के आगमन से चल पड़ा, पंचायत चुनाव से बढ़ी उम्मीद - पंचायत चुनाव

कोरोना के कारण चौपट हुआ प्रिंटिंग का कारोबार (Printing Business) अनलॉक के बाद वापसी की कोशिश कर रहा है. राजनीतिक गतिविधियां ने थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन अच्छी कमाई के लिए उम्मीदें पंचायत चुनाव से जुड़ गई हैं. पढ़ें पूरी खबर.

प्रिंटिंग प्रेस
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Published : Aug 25, 2021, 10:39 PM IST

पटना: कोरोना (Corona) के कारण अन्य तमाम उद्योग-धंधों की तरह प्रिंटिंग कारोबार (Printing Business) भी बुरी तरह प्रभावित हुआ था. अनलॉक के बाद धी-धीरे व्यवसाय पटरी पर लौट रहा है. वहीं पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से राजधानी में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ी हैं, प्रिंटिंग प्रेस में भी नई जान आ गई है.

ये भी पढ़ें: बिहार में भी एयरपोर्ट से लेकर सड़कों को निजी हाथों में दिया जाएगा, विशेषज्ञ ने कहा- इससे होगा नुकसान

अमूमन पहले देखा जाता प्रदेश में जब कोई बड़ी रैली या कोई बड़ा आयोजन होता था, तभी प्रिंटिंग प्रेस, फ्लैक्स और होल्डिंग कारोबार करने वाले लोगों की कमाई होती थी लेकिन इन दिनों राजनीतिक पार्टियों में नया प्रचलन शुरू हुआ है. अब जब भी कोई बड़ा नेता का आगमन हो रहा होता है तो पटना को बैनर और पोस्टर से पाट दिया जा रहा है. इस वजह से बैनर पोस्टर के साथ-साथ प्रिंटिंग प्रेस वालों की भी कमाई हो रही है. हालांकि हाल के डेढ़-दो साल में कोरोना का असर साफ दिखा है.

अब जबकि पिछले कुछ दिनों से लगातार नेताओं का आगमन दिल्ली से बिहार के लिए हो रहा है. नेताजी के स्वागत में उनके कार्यकर्ता पूरे शहर को बैनर-पोस्टर से सजा रहे हैं. जिस से बैनर पोस्टर के कारोबारियों को थोड़ी सी राहत मिली है. प्रिंटिंग कारोबार से जुड़े लोगों के चेहरे पर अब मुस्कान फिर से लौटने लगी है.

ये भी पढ़ें: बैंकों के निजीकरण के खिलाफ AIBOC करेगा प्रदर्शन, फैसले वापस नहीं लेने पर 'जनआंदोलन' की चेतावनी

फ्लैक्स व्यवसायी जितेन्द्र कुमार का कहना है कि कोरोना के दौरान जो मंदी आ गई थी, उससे कुछ तो राहत जरूर मिली है लेकिन अभी भी कोरोना से पहले के समय की तरह कमाई नहीं हो पा रही है. वे कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि पंचायत चुनाव में अच्छी कमाई जरूर होगी.

देखें रिपोर्ट

प्रदेश में पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) का बिगुल बज गया है. 11 चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव में मुखिया से लेकर वार्ड सदस्य तक, सभी पद के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार बैनर-पोस्टर का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में प्रिंटिंग प्रेस चलाने वालों को उम्मीद है कि रही-सही कमी चुनाव में पूरी हो जाएगा. हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा सीमित मात्रा में ही प्रचार प्रसार के नियम को लेकर के उन्हें थोड़ी चिंता भी है.

आपको बताएं कि राजधानी पटना में लगभग तीन हजार से ज्यादा प्रिंटिंग प्रेस की दुकानें है. जहां बैनर-पोस्टर और फ्लैक्स से लेकर कई तरह की चीजों की छपाई होती है. प्रिंटिंग प्रेस वालों की यह भी उम्मीद है कि पंचायत चुनाव में 5 से ₹10 लाख की आमदनी तो जरूर हो जाएगी.

पटना: कोरोना (Corona) के कारण अन्य तमाम उद्योग-धंधों की तरह प्रिंटिंग कारोबार (Printing Business) भी बुरी तरह प्रभावित हुआ था. अनलॉक के बाद धी-धीरे व्यवसाय पटरी पर लौट रहा है. वहीं पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से राजधानी में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ी हैं, प्रिंटिंग प्रेस में भी नई जान आ गई है.

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अमूमन पहले देखा जाता प्रदेश में जब कोई बड़ी रैली या कोई बड़ा आयोजन होता था, तभी प्रिंटिंग प्रेस, फ्लैक्स और होल्डिंग कारोबार करने वाले लोगों की कमाई होती थी लेकिन इन दिनों राजनीतिक पार्टियों में नया प्रचलन शुरू हुआ है. अब जब भी कोई बड़ा नेता का आगमन हो रहा होता है तो पटना को बैनर और पोस्टर से पाट दिया जा रहा है. इस वजह से बैनर पोस्टर के साथ-साथ प्रिंटिंग प्रेस वालों की भी कमाई हो रही है. हालांकि हाल के डेढ़-दो साल में कोरोना का असर साफ दिखा है.

अब जबकि पिछले कुछ दिनों से लगातार नेताओं का आगमन दिल्ली से बिहार के लिए हो रहा है. नेताजी के स्वागत में उनके कार्यकर्ता पूरे शहर को बैनर-पोस्टर से सजा रहे हैं. जिस से बैनर पोस्टर के कारोबारियों को थोड़ी सी राहत मिली है. प्रिंटिंग कारोबार से जुड़े लोगों के चेहरे पर अब मुस्कान फिर से लौटने लगी है.

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फ्लैक्स व्यवसायी जितेन्द्र कुमार का कहना है कि कोरोना के दौरान जो मंदी आ गई थी, उससे कुछ तो राहत जरूर मिली है लेकिन अभी भी कोरोना से पहले के समय की तरह कमाई नहीं हो पा रही है. वे कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि पंचायत चुनाव में अच्छी कमाई जरूर होगी.

देखें रिपोर्ट

प्रदेश में पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) का बिगुल बज गया है. 11 चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव में मुखिया से लेकर वार्ड सदस्य तक, सभी पद के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार बैनर-पोस्टर का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में प्रिंटिंग प्रेस चलाने वालों को उम्मीद है कि रही-सही कमी चुनाव में पूरी हो जाएगा. हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा सीमित मात्रा में ही प्रचार प्रसार के नियम को लेकर के उन्हें थोड़ी चिंता भी है.

आपको बताएं कि राजधानी पटना में लगभग तीन हजार से ज्यादा प्रिंटिंग प्रेस की दुकानें है. जहां बैनर-पोस्टर और फ्लैक्स से लेकर कई तरह की चीजों की छपाई होती है. प्रिंटिंग प्रेस वालों की यह भी उम्मीद है कि पंचायत चुनाव में 5 से ₹10 लाख की आमदनी तो जरूर हो जाएगी.

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