पटना: बिहार की राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में प्राथमिक विद्यालय बसौर चकिया एक ऐसा स्कूल है, जहां न खिड़की है, न दरवाजा. यहां बैठकर पढ़ने के लिए बच्चे घर से बोरा लेकर आते हैं. बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर देखनी है तो किसी दूर-दराज जिले के ग्रामीण इलाके के स्कूल में जाने की जरूरत नहीं है. यहां राजधानी में स्थित इस स्कूल की तस्वीर सबकुछ बयां करती है.
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बुनियादी सुविधा के नाम पर स्कूल में कुछ नहीं : यह खंडहरनुमा स्कूल मसौढ़ी प्रखंड से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तिनेरी पंचायत में बसौर गांव के पास है. पिछले कई सालों से यह विद्यालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. इस स्कूल में न खिड़की है, न दरवाजा है और न ही बैठने के लिए पक्की जमीन. इसी खंडहरनुमा स्कूल में पिछले कई सालों से पठन-पाठन का कार्य हो रहा है. इस स्कूल को लेकर एक तरफ जहां स्थानीय जनप्रतिनिधि मूकदर्शक हैं. वहीं शासन प्रशासन भी सुध लेने को तैयार नहीं है.
घर से बोरा लेकर पढ़ाई करने आते हैं बच्चे : स्कूल के बच्चे ने बताया कि हम लोग अपने-अपने घरों से बोरा लेकर आते हैं. पानी पीने के लिए भी बोतल लेकर आते हैं. इस स्कूल में किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. स्कूल की छात्रा ब्यूटी कुमारी, माधुरी कुमारी आदि छात्राओं ने स्कूल की बदहाली की दास्तां बयां करती हुई कहा कि स्कूल बहुत ही खराब है. छज्जा टूट- टूट कर गिरते रहता है. बारिश के दिनों में पढ़ना बहुत ही मुश्किल हो जाता है.
"मामले को लेकर कई बार बार यह पदाधिकारी को लिखित आवेदन दिए हैं बावजूद अभी तक कोई इसकी सुधि लेने वाला नहीं है."-राकेश कुमार, प्रभारी प्रधानाध्यापक, बसौर चकिया प्राथमिक विद्यालय
बारिश के मौसम में होती है परेशानी : इस विद्यालय में शौचालय नहीं है. बरसात के दिनों में यहां पढ़ने वाले बच्चों को काफी परेशानी होती है. छात्रा सलोनी कुमारी ने कहा कि यहां बारिश के दिनों में काफी परेशानी होती है. खिड़की नहीं रहने से बाहर से बारिश के पानी के छींटे अंदर घुस जाते हैं. वहीं छत भी टपकता रहता है. इस कारण पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती है.
"इसकी सूचना जिला में दे दी गई है. जब तक जिला स्तर से कुछ कार्रवाई नहीं होगी, तो यहां हम सब क्या कर सकते हैं. उस स्कूल की बिल्डिंग को पूरा तोड़कर फिर से बनाया जाएगा, तभी स्कूल की हालत ठीक होगी."-राजेंद्र ठाकुर, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी मसौढ़ी