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मसौढ़ी में होलिका दहन की तैयारियां शुरू, गांवों में पौराणिक परंपरा अभी तक है जीवित - मसौढ़ी में भव्य तरीके से होलिका दहन

राजधानी पटना के पास मसौढ़ी में होली का खुमार लोगों में छाने लगा है. इलाके में होलिका दहन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. मसौढ़ी में सदियों पुरानी परंपरा को जीवित रखने की कोशिश है. जिसमें घर-घर से होलिका दहन के लिए गोइठा (उपला) मांगने का रिवाज है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

मसौढ़ी में होलिका दहन की तैयारी
मसौढ़ी में होलिका दहन की तैयारी
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Published : Mar 17, 2022, 12:44 PM IST

पटना (मसौढ़ी): राजधानी पटना के पास मसौढ़ी में होलिका दहन को लेकर तैयारियां (Holika Dahan Festival in Masaurhi) शुरू हो चुकी हैं. इन दिनों गांव के गलियों में लोग होली पर पारंपरिक गीत गाते नजर आ रहे हैं. होलिका दहन को लेकर आज भी गांवों में पौराणिक परंपरा को जीवित रखने के लिए घर-घर घूमकर गीत गाकर गोइठा (उपला) मांगने की परंपरा को निभाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- दानापुर में होली मिलन समारोह का आयोजन, मथुरा से आए कलाकारों ने मनमोहक नृत्य से लोगों का जीता दिल

होलिका दहन के लिए मसौढ़ी में तैयारी: होलिका दहन नजदीक आते ही गांवों में पौराणिक परंपरा को जीवित रखने के लिए लोग जुट जाते हैं. होलिका दहन की तैयारी को लेकर गांवों में घर-घर घूमकर लकड़ी या गोईठा मांग कर एक जगह इकट्ठा किया जाता है और फिर होलिका दहन मनाया जाता है. ऐसे में मसौढ़ी के विभिन्न मोहल्ले और नुक्कड़ पर कुछ युवकों की टोली शाम होते ही घर-घर घुमकर गीत गाकर गोइठा (उपला) मांगते और जमा करते हैं. फिर लकड़ी लाकर होलिका दहन मनाते हैं.



'ये जजमानी तोरा सोना की कमाड़ी 10 गंडा गोइठा द': दरअसल, होलिका दहन की तैयारी को लेकर गांव में एक अलग ही परंपरा है. जिसके अनुसार पारंपरिक गीत गाते हुए घर-घर जाकर एक टोली में कुछ युवक होलिका दहन के लिए गोइठा मांगते हैं. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को आज भी मसौढ़ी के गांवों में जीवित रखने की कोशिश की जा रही है. मसौढ़ी में भव्य तरीके से होलिका दहन मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें- होली पर जोगीरा सा रा रा नहीं सुना तो फिर क्या सुना..

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पटना (मसौढ़ी): राजधानी पटना के पास मसौढ़ी में होलिका दहन को लेकर तैयारियां (Holika Dahan Festival in Masaurhi) शुरू हो चुकी हैं. इन दिनों गांव के गलियों में लोग होली पर पारंपरिक गीत गाते नजर आ रहे हैं. होलिका दहन को लेकर आज भी गांवों में पौराणिक परंपरा को जीवित रखने के लिए घर-घर घूमकर गीत गाकर गोइठा (उपला) मांगने की परंपरा को निभाया जा रहा है.

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होलिका दहन के लिए मसौढ़ी में तैयारी: होलिका दहन नजदीक आते ही गांवों में पौराणिक परंपरा को जीवित रखने के लिए लोग जुट जाते हैं. होलिका दहन की तैयारी को लेकर गांवों में घर-घर घूमकर लकड़ी या गोईठा मांग कर एक जगह इकट्ठा किया जाता है और फिर होलिका दहन मनाया जाता है. ऐसे में मसौढ़ी के विभिन्न मोहल्ले और नुक्कड़ पर कुछ युवकों की टोली शाम होते ही घर-घर घुमकर गीत गाकर गोइठा (उपला) मांगते और जमा करते हैं. फिर लकड़ी लाकर होलिका दहन मनाते हैं.



'ये जजमानी तोरा सोना की कमाड़ी 10 गंडा गोइठा द': दरअसल, होलिका दहन की तैयारी को लेकर गांव में एक अलग ही परंपरा है. जिसके अनुसार पारंपरिक गीत गाते हुए घर-घर जाकर एक टोली में कुछ युवक होलिका दहन के लिए गोइठा मांगते हैं. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को आज भी मसौढ़ी के गांवों में जीवित रखने की कोशिश की जा रही है. मसौढ़ी में भव्य तरीके से होलिका दहन मनाया जाता है.

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