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पटना नगर निगमः मीरा देवी की अग्निपरीक्षा शुरू, अविश्वास प्रस्ताव का कर सकती हैं सामना

डिप्टी मेयर मीरा देवी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी चल रही है. दोनों गुट अपने-अपने वार्ड पार्षदों की घेराबंदी किए हुए हैं. दोनों दलों का दावा है कि उनके पास पर्याप्त संख्या में पार्षद हैं. बता दें कि 20 जुलाई को डिप्टी मेयर के कार्यकाल का दो साल पूरा हुआ है. पढ़ें रिपोर्ट.

डिप्टी मेयर मीरा देवी
डिप्टी मेयर मीरा देवी
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Published : Jul 24, 2021, 7:52 AM IST

पटना: पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) की डिप्टी मेयर (Deputy Mayor) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) लाया जा सकता है. कार्यकाल को दो साल पूरा होते ही वार्ड पार्षदों में खींचतान शुरू हो चुकी है. चार से पांच वार्ड पार्षद (Ward Councilor) डिप्टी मेयर की कुर्सी पर बैठने की रेस में आगे चल रहे हैं.

सूत्रों की मानें तो डिप्टी मेयर मीरा देवी इसको लेकर तैयारी में हैं. उनके गुट के सभी पार्षद बिहार से बाहर हैं. उधर मेयर सीता साहू के गुट के पार्षद सभी को तोड़ने में जुटे हैं. दोनों दलों का दावा है कि उनके पास पर्याप्त संख्या में पार्षद हैं.

यह भी पढ़ें- पटना: डिप्टी मेयर के पति ने बिजली विभाग के इंजीनियर को धमकाया, ऑडियो हुआ वायरल

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रभाव कम होते ही पटना नगर निगम की राजनीति तेज हो गई है. डिप्टी मेयर की कुर्सी को लेकर वार्ड पार्षदों में खींचतान जारी है. मीरा देवी वार्ड 72 की पार्षद हैं. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में पार्षद लगे हुए हैं. 20 जुलाई को डिप्टी मेयर के कार्यकाल का 2 साल पूरा हो गया है.

बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 25 (4) के तहत उप महापौर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान है. इसके तहत पद ग्रहण करने के 2 साल पूरा होने के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है. बता दें कि नगर निगम के सभी पार्षदों का कार्यकाल अगले साल जून माह में समाप्त हो रहा है.

यह भी पढ़ें- वृक्षों के संरक्षण से लिए पटना नगर निगम का 'ऑपरेशन चबूतरा', वन विभाग ने सौंपी जिम्मेदारी

उप महापौर मीरा देवी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आना तय हो गया है. मेयर गुट के सभी पार्षद 7 दिन के अंदर मेयर सीता साहू को नोटिस दे सकते हैं. इस बीच दोनों गुटों के पार्षदों द्वारा पाला बदलने का डर दोनों दलों के मुखिया को सताने लगा है. मेयर गुट के करीब एक दर्जन पार्षदों को अंडर ग्राउंड कर दिया गया है.

मिली जानकारी के अनुसार सभी पार्षदों को बिहार से बाहर भेज दिया गया है. डिप्टी मेयर के समर्थक पार्षदों को भी बाहर भेजे जाने की बात सामने आयी है. जानकारी मिली कि वोटिंग के समय वे सभी पटना आएंगे. हालांकि इन पार्षदों से जब हमने टेलीफोनिक वार्ता की तो उन्होंने अपना निजी कारण बताते हुए बिहार से बाहर होने की बात कही.

अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 26 पार्षदों का हस्ताक्षर होना चाहिए विरोधी गुट का दावा है कि उनके साथ पचास से अधिक पार्षद हैं. जबकि उप महापौर के गुट की माने तो उनके पास पर्याप्त मात्रा में पार्षद हैं और वह कुर्सी नहीं गवा सकती.

यह भी पढ़ें- पटना: डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में पार्षद

इधर, मेयर गुट की तरफ से डिप्टी मेयर के उम्मीदवारों के नाम सामने आने की चर्चा शुरू हो गई है. चार से पांच पार्षद रेस में हैं. लेकिन अब तक मात्र दो पार्षद डॉ. आशीष सिन्हा, इंद्रदीप चंद्रवंशी की नाम की चर्चा जोर-शोर से है.

बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 की धारा 25 (4) ब नगरपालिका एक्ट 2010 की धारा दो के तहत दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद विरोधी वार्ड पार्षद मेयर और डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. इसके बाद हर साल लाया जा सकता है. विपक्ष को एक तिहाई पार्षदों के हस्ताक्षर के साथ आवेदन मेयर को देना पड़ता है.

सात दिनों में विशेष बैठक बुलाने की अनुशंसा नगर आयुक्त को करने का भी प्रावधान है. इसके बाद नगर आयुक्त 15 दिनों में विशेष बैठक में विपक्ष 38 पार्षदों को एकजुट कर लेते हैं, तो डिप्टी मेयर चुनाव के लिए नगर विकास विभाग को प्रस्ताव भेज सकते हैं.

बता दें कि मेयर या डिप्टी मेयर के खिलाफ अब अविश्वास प्रस्ताव लाने का कोई खास फायदा नहीं है. सात से आठ माह के बाद निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. ऐसे में अगर कोई नए पार्षद मेयर या डिप्टी मेयर बन जाते हैं तो कुछ खास हासिल नहीं होने वाला है.

यह भी पढ़ें- पटना नगर निगम सख्त: 'कोरोना का टीका नहीं लगवाने वाले कर्मचारियों का रोका जाएगा वेतन'

पटना: पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) की डिप्टी मेयर (Deputy Mayor) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) लाया जा सकता है. कार्यकाल को दो साल पूरा होते ही वार्ड पार्षदों में खींचतान शुरू हो चुकी है. चार से पांच वार्ड पार्षद (Ward Councilor) डिप्टी मेयर की कुर्सी पर बैठने की रेस में आगे चल रहे हैं.

सूत्रों की मानें तो डिप्टी मेयर मीरा देवी इसको लेकर तैयारी में हैं. उनके गुट के सभी पार्षद बिहार से बाहर हैं. उधर मेयर सीता साहू के गुट के पार्षद सभी को तोड़ने में जुटे हैं. दोनों दलों का दावा है कि उनके पास पर्याप्त संख्या में पार्षद हैं.

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कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रभाव कम होते ही पटना नगर निगम की राजनीति तेज हो गई है. डिप्टी मेयर की कुर्सी को लेकर वार्ड पार्षदों में खींचतान जारी है. मीरा देवी वार्ड 72 की पार्षद हैं. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में पार्षद लगे हुए हैं. 20 जुलाई को डिप्टी मेयर के कार्यकाल का 2 साल पूरा हो गया है.

बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 25 (4) के तहत उप महापौर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान है. इसके तहत पद ग्रहण करने के 2 साल पूरा होने के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है. बता दें कि नगर निगम के सभी पार्षदों का कार्यकाल अगले साल जून माह में समाप्त हो रहा है.

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उप महापौर मीरा देवी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आना तय हो गया है. मेयर गुट के सभी पार्षद 7 दिन के अंदर मेयर सीता साहू को नोटिस दे सकते हैं. इस बीच दोनों गुटों के पार्षदों द्वारा पाला बदलने का डर दोनों दलों के मुखिया को सताने लगा है. मेयर गुट के करीब एक दर्जन पार्षदों को अंडर ग्राउंड कर दिया गया है.

मिली जानकारी के अनुसार सभी पार्षदों को बिहार से बाहर भेज दिया गया है. डिप्टी मेयर के समर्थक पार्षदों को भी बाहर भेजे जाने की बात सामने आयी है. जानकारी मिली कि वोटिंग के समय वे सभी पटना आएंगे. हालांकि इन पार्षदों से जब हमने टेलीफोनिक वार्ता की तो उन्होंने अपना निजी कारण बताते हुए बिहार से बाहर होने की बात कही.

अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 26 पार्षदों का हस्ताक्षर होना चाहिए विरोधी गुट का दावा है कि उनके साथ पचास से अधिक पार्षद हैं. जबकि उप महापौर के गुट की माने तो उनके पास पर्याप्त मात्रा में पार्षद हैं और वह कुर्सी नहीं गवा सकती.

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इधर, मेयर गुट की तरफ से डिप्टी मेयर के उम्मीदवारों के नाम सामने आने की चर्चा शुरू हो गई है. चार से पांच पार्षद रेस में हैं. लेकिन अब तक मात्र दो पार्षद डॉ. आशीष सिन्हा, इंद्रदीप चंद्रवंशी की नाम की चर्चा जोर-शोर से है.

बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 की धारा 25 (4) ब नगरपालिका एक्ट 2010 की धारा दो के तहत दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद विरोधी वार्ड पार्षद मेयर और डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. इसके बाद हर साल लाया जा सकता है. विपक्ष को एक तिहाई पार्षदों के हस्ताक्षर के साथ आवेदन मेयर को देना पड़ता है.

सात दिनों में विशेष बैठक बुलाने की अनुशंसा नगर आयुक्त को करने का भी प्रावधान है. इसके बाद नगर आयुक्त 15 दिनों में विशेष बैठक में विपक्ष 38 पार्षदों को एकजुट कर लेते हैं, तो डिप्टी मेयर चुनाव के लिए नगर विकास विभाग को प्रस्ताव भेज सकते हैं.

बता दें कि मेयर या डिप्टी मेयर के खिलाफ अब अविश्वास प्रस्ताव लाने का कोई खास फायदा नहीं है. सात से आठ माह के बाद निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. ऐसे में अगर कोई नए पार्षद मेयर या डिप्टी मेयर बन जाते हैं तो कुछ खास हासिल नहीं होने वाला है.

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