ETV Bharat / state

Muharram 2023: ईमाम हूसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है मोहर्रम, 10 वें दिन निकाला जाता है ताजिया

बिहार के मसौढ़ी में ताजिया निकालने की तैयारी पूरी हो गई है. कारिगर ताजिया को फाइनल टच देने में जुटे हैं. मोहर्रम पैगंबर मोहम्मद साहब के वारिस इमाम अली हुसैन के शहादत की याद में मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर...

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jul 28, 2023, 12:48 PM IST

पटनाः मोहर्रम शांति और अमन का पैगाम है. इस दिन को लोग शहादत के रूप में मनाते हैं. मोहर्रम मातम का महीना भी माना जाता है. पटना के मसौढ़ी में भी भव्य तरीके से ताजिया निकाला जाता है. स्थानीय मजहर आलम खलीफा ने बताया कि ताजिया पैगंबर मोहम्मद साहब के वारिस इमाम हुसैन के शोक का प्रतीक है. जिसे पूरे शिद्दत के साथ सभी अल्लाह के बंदे इसे बनाते हैं.

यह भी पढ़ेंः moharram 2023: पटना में मोहर्रम के मौके पर निकला अलम का जुलूस, लाखों लोग हुए शामिल

"पूरखों से ताजिया बनता आ रहा है. अली हुसैन की याद में हमलोग मोहर्रम मनाते हैं. इस दिन अली हुसैन की शहादत भी मनाई जाती है. मोहर्रम शांति और अमन का पैगाम देता है." -मजहर आलम खलीफा

अखाड़ा निकाला जाता हैः मोहर्रम के दिन हर मुस्लिम मोहल्ले से अखाड़ा निकाला जाता है. अली-हुसैन बोल के साथ पूरे शहर में भ्रमण करते हैं. मोहर्रम में ताजिया का खास महत्व माना गया है, क्योंकि ताजिया शोक का प्रतीक है. इमाम हुसैन की शहादत के सम्मान और उनके शहीद की याद में ताजिया के रूप में एक जुलूस निकाला जाता है.

10वें निकलता है दिन मोहर्रम का जुलूसः 10 दिनों तक इस्लाम में नमाज और दुआ चलती है. 10वें दिन मोहर्रम का जुलूस निकाला जाता है. इस दिन रोजा रखने का खास महत्व माना जाता है. कर्बला जिसे आज के सीरिया के नाम से जाना जाता है. वह इस्लाम का शहंशाह बनना चाहता था. इसके लिए उसने आवाम में खौफ फैलाना शुरू कर दिया था. सभी को अपने सामने गुलाम बनाने के लिए उसने यातनाएं दी. इसी यातनाओं के खिलाफ इमाम हुसैन और उनके भाइयों ने युद्ध किया था.

मुहर्रम शांति का पैगाम देता हैः मो. सफदर ने बताया कि इमाम हुसैन मदीना से इराक की ओर जा रहे थे, तभी यजीद ने उन पर हमला कर दिया. उसी युद्ध में उनकी मौत हो गई. तकरीबन 8000 सैनिकों की फौज उन पर टूट पड़े. उसी कुर्बानी से अब तक इस्लाम धर्म मानने वाले लोग मोहर्रम को मातम के रूप में मनाते हैं. लोग कहते हैं कि मोहर्रम का पैगाम शांति और अमन ही है, जो युद्ध रोक देता है. युद्ध कुर्बानी मांगता है, लेकिन मुहर्रम धर्म और सत्य के लिए घुटने टेकने का संदेश देता है.

"इस्लाम धर्म मानने वाले लोग मोहर्रम को मातम के रूप में मनाते हैं. युद्ध कुर्बानी मांगता है, लेकिन मोहर्रम का पैगाम शांति और अमन है, जो युद्ध रोक देता है. " -मो. सफदर

48 जगहों पर दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्तिः शनिवार को मसौढ़ी में कुल 48 जगहों पर मोहर्रम जुलूस के लिए पुलिस पदाधिकारी और दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस की नजर रहेगी सोशल मीडिया और अफवाहों से बचने के लिए प्रशासन अपील भी कर रही है. मुहर्रम का ताजिया जुलूस को लेकर कारीगर ताजिया बनाने में जोर-शोर से जुटे हुए हैं. शुक्रवार को फाइनल टच दे दिया जाएगा.

पटनाः मोहर्रम शांति और अमन का पैगाम है. इस दिन को लोग शहादत के रूप में मनाते हैं. मोहर्रम मातम का महीना भी माना जाता है. पटना के मसौढ़ी में भी भव्य तरीके से ताजिया निकाला जाता है. स्थानीय मजहर आलम खलीफा ने बताया कि ताजिया पैगंबर मोहम्मद साहब के वारिस इमाम हुसैन के शोक का प्रतीक है. जिसे पूरे शिद्दत के साथ सभी अल्लाह के बंदे इसे बनाते हैं.

यह भी पढ़ेंः moharram 2023: पटना में मोहर्रम के मौके पर निकला अलम का जुलूस, लाखों लोग हुए शामिल

"पूरखों से ताजिया बनता आ रहा है. अली हुसैन की याद में हमलोग मोहर्रम मनाते हैं. इस दिन अली हुसैन की शहादत भी मनाई जाती है. मोहर्रम शांति और अमन का पैगाम देता है." -मजहर आलम खलीफा

अखाड़ा निकाला जाता हैः मोहर्रम के दिन हर मुस्लिम मोहल्ले से अखाड़ा निकाला जाता है. अली-हुसैन बोल के साथ पूरे शहर में भ्रमण करते हैं. मोहर्रम में ताजिया का खास महत्व माना गया है, क्योंकि ताजिया शोक का प्रतीक है. इमाम हुसैन की शहादत के सम्मान और उनके शहीद की याद में ताजिया के रूप में एक जुलूस निकाला जाता है.

10वें निकलता है दिन मोहर्रम का जुलूसः 10 दिनों तक इस्लाम में नमाज और दुआ चलती है. 10वें दिन मोहर्रम का जुलूस निकाला जाता है. इस दिन रोजा रखने का खास महत्व माना जाता है. कर्बला जिसे आज के सीरिया के नाम से जाना जाता है. वह इस्लाम का शहंशाह बनना चाहता था. इसके लिए उसने आवाम में खौफ फैलाना शुरू कर दिया था. सभी को अपने सामने गुलाम बनाने के लिए उसने यातनाएं दी. इसी यातनाओं के खिलाफ इमाम हुसैन और उनके भाइयों ने युद्ध किया था.

मुहर्रम शांति का पैगाम देता हैः मो. सफदर ने बताया कि इमाम हुसैन मदीना से इराक की ओर जा रहे थे, तभी यजीद ने उन पर हमला कर दिया. उसी युद्ध में उनकी मौत हो गई. तकरीबन 8000 सैनिकों की फौज उन पर टूट पड़े. उसी कुर्बानी से अब तक इस्लाम धर्म मानने वाले लोग मोहर्रम को मातम के रूप में मनाते हैं. लोग कहते हैं कि मोहर्रम का पैगाम शांति और अमन ही है, जो युद्ध रोक देता है. युद्ध कुर्बानी मांगता है, लेकिन मुहर्रम धर्म और सत्य के लिए घुटने टेकने का संदेश देता है.

"इस्लाम धर्म मानने वाले लोग मोहर्रम को मातम के रूप में मनाते हैं. युद्ध कुर्बानी मांगता है, लेकिन मोहर्रम का पैगाम शांति और अमन है, जो युद्ध रोक देता है. " -मो. सफदर

48 जगहों पर दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्तिः शनिवार को मसौढ़ी में कुल 48 जगहों पर मोहर्रम जुलूस के लिए पुलिस पदाधिकारी और दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस की नजर रहेगी सोशल मीडिया और अफवाहों से बचने के लिए प्रशासन अपील भी कर रही है. मुहर्रम का ताजिया जुलूस को लेकर कारीगर ताजिया बनाने में जोर-शोर से जुटे हुए हैं. शुक्रवार को फाइनल टच दे दिया जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.