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नमो से अब बैर साध रहे 'हर हर मोदी' कहने वाले  pk, नीतीश की बैठक में पहुंचेंगे?

कभी पीके ट्वीटर पर एनआरसी का विरोध करते हैं तो अब सीएए और एनपीआर का विरोध कर रहे हैं. जबकि वो जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और पार्टी ने सीएए के मुद्दे पर बीजेपी का समर्थन किया है. तो ऐसे में पीके का यह कदम पार्टी लाइन से हटकर है.

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Published : Jan 28, 2020, 9:07 AM IST

Updated : Jan 28, 2020, 9:33 AM IST

डिजाइन फोटो
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पटना: राजधानी के एक अणे मार्ग स्थित सीएम आवास पर आज नीतीश कुमार ने एक बैठक बुलाई है. इस बैठक में सभी सांसद, विधायक और पार्टी के बड़े नेता शामिल होंगे, लेकिन सबकी नजर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पर है कि वो बैठक में शामिल होते हैं कि नहीं.
प्रशांत किशोर फिलहाल दिल्ली में हो रहे विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के लिए रणनीति बनाने में व्यस्त हैं. खास बात यह है कि वहां बीजेपी और जदयू मिलकर चुनाव मैदान में है. प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों अपने बयानों से यह साफ कर दिया था कि वो बीजेपी के विरोध में काम करते रहेंगे.

NRC के विरोध में पीके
कभी पीके ट्वीटर पर एनआरसी का विरोध करते हैं तो अब सीएए और एनपीआर का विरोध कर रहे हैं. जबकि वो जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और पार्टी ने सीएए के मुद्दे पर बीजेपी का समर्थन किया है. तो ऐसे में पीके का यह कदम पार्टी लीख से हटकर है.

कभी पीएम मोदी के राणनीतिकार थे पीके
अब अगर हम पीके के राणनीतिकार के करियर की बात करें तो आज जो पीके नरेंद्र मोदी और अमित शाह को पानी पी-पीकर कई मुद्दों पर तंज कस रहे हैं. वो कभी नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए अपॉइनमेंट नहीं ले पाते थे. बहुत मेहनत के बाद उन्हें मोदी से मिलने का मौका मिला. वो बीजेपी के रणनीतिकार भी रहे. 2014 में हर हर मोदी घर घर मोदी का नारा उन्होंने ही दिया, लेकिन अब ठीक इसके उलट मोदी और शाह के पीछे पड़े हुए हैं.

ये भी पढ़ें:-शेल्टर होम मामला: साकेत कोर्ट आज सुना सकती है ब्रजेश ठाकुर सहित 19 दोषियों को सजा

2018 में पीके ने थामा जेडीयू का हाथ

2014 लोकसभा चुनाव के बाद पीके नीतीश कुमार के संपर्क में आए और बीजेपी से दूरियां बढ़ने लगीं. आलम ये था कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया और राजद के साथ गई. कहा जाता है कि ये सारी रणनीति प्रशांत किशोर की ही थी. लेकिन राजद से गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चल सका, उसके बाद बीजेपी से गठबंधन होने के बाद सरकार बनी और 15 सितंबर 2018 को पीके ने जेडीयू की सदस्यता ली.

जेडीयू में पीके का स्टैंड
पीके के स्टैंड को अलग रख अगर हम जेडीयू को देखें तो पार्टी ने बीजेपी के साथ बिहार में तो गठबंधन किया ही था. लगे हाथों दिल्ली में भी गठबंधन कर लिया. पार्टी ने सीएए का समर्थन भी किया है, ऐसे में अब पीके के कदम को लेकर चर्चाएं तेज हैं.
हाल ही में प्रशांत किशोर तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जदयू के बीच सीट बंटवारे पर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि यदि बीजेपी 1 सीट पर लड़ती है तो जदयू को 3 सीटें मिलनी चाहिए. इसके बाद से वो बीजेपी पर लगातार हमलावर हैं.

ये भी पढ़ें:- खगड़िया के STET परीक्षा केंद्र पर छापेमारी, हिरासत में लिए गए 29 लोग

क्या है खास बात
खास बात ये है कि नीतीश कुमार अभी तक पीके पर चुप्पी साधे हुए हैं. ये हैरान कर देने वाली बात है क्योंकि एक तरफ नीतीश की पार्टी बीजेपी के साथ भविष्य तलाशने में भी जुटी है लेकिन दूसरी तरफ इनके ही बड़े नेता गठबंधन धर्म को लगातार तोड़ रहे हैं.

पटना: राजधानी के एक अणे मार्ग स्थित सीएम आवास पर आज नीतीश कुमार ने एक बैठक बुलाई है. इस बैठक में सभी सांसद, विधायक और पार्टी के बड़े नेता शामिल होंगे, लेकिन सबकी नजर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पर है कि वो बैठक में शामिल होते हैं कि नहीं.
प्रशांत किशोर फिलहाल दिल्ली में हो रहे विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के लिए रणनीति बनाने में व्यस्त हैं. खास बात यह है कि वहां बीजेपी और जदयू मिलकर चुनाव मैदान में है. प्रशांत किशोर ने पिछले दिनों अपने बयानों से यह साफ कर दिया था कि वो बीजेपी के विरोध में काम करते रहेंगे.

NRC के विरोध में पीके
कभी पीके ट्वीटर पर एनआरसी का विरोध करते हैं तो अब सीएए और एनपीआर का विरोध कर रहे हैं. जबकि वो जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और पार्टी ने सीएए के मुद्दे पर बीजेपी का समर्थन किया है. तो ऐसे में पीके का यह कदम पार्टी लीख से हटकर है.

कभी पीएम मोदी के राणनीतिकार थे पीके
अब अगर हम पीके के राणनीतिकार के करियर की बात करें तो आज जो पीके नरेंद्र मोदी और अमित शाह को पानी पी-पीकर कई मुद्दों पर तंज कस रहे हैं. वो कभी नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए अपॉइनमेंट नहीं ले पाते थे. बहुत मेहनत के बाद उन्हें मोदी से मिलने का मौका मिला. वो बीजेपी के रणनीतिकार भी रहे. 2014 में हर हर मोदी घर घर मोदी का नारा उन्होंने ही दिया, लेकिन अब ठीक इसके उलट मोदी और शाह के पीछे पड़े हुए हैं.

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2018 में पीके ने थामा जेडीयू का हाथ

2014 लोकसभा चुनाव के बाद पीके नीतीश कुमार के संपर्क में आए और बीजेपी से दूरियां बढ़ने लगीं. आलम ये था कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया और राजद के साथ गई. कहा जाता है कि ये सारी रणनीति प्रशांत किशोर की ही थी. लेकिन राजद से गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चल सका, उसके बाद बीजेपी से गठबंधन होने के बाद सरकार बनी और 15 सितंबर 2018 को पीके ने जेडीयू की सदस्यता ली.

जेडीयू में पीके का स्टैंड
पीके के स्टैंड को अलग रख अगर हम जेडीयू को देखें तो पार्टी ने बीजेपी के साथ बिहार में तो गठबंधन किया ही था. लगे हाथों दिल्ली में भी गठबंधन कर लिया. पार्टी ने सीएए का समर्थन भी किया है, ऐसे में अब पीके के कदम को लेकर चर्चाएं तेज हैं.
हाल ही में प्रशांत किशोर तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जदयू के बीच सीट बंटवारे पर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि यदि बीजेपी 1 सीट पर लड़ती है तो जदयू को 3 सीटें मिलनी चाहिए. इसके बाद से वो बीजेपी पर लगातार हमलावर हैं.

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क्या है खास बात
खास बात ये है कि नीतीश कुमार अभी तक पीके पर चुप्पी साधे हुए हैं. ये हैरान कर देने वाली बात है क्योंकि एक तरफ नीतीश की पार्टी बीजेपी के साथ भविष्य तलाशने में भी जुटी है लेकिन दूसरी तरफ इनके ही बड़े नेता गठबंधन धर्म को लगातार तोड़ रहे हैं.

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prashant kishore


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Last Updated : Jan 28, 2020, 9:33 AM IST
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