पटना: साल 2021 में सीपीआई छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को कांग्रेस कार्य समिति यानी सीडब्ल्यूसी में शामिल किया गया है. ऐसे में क्या वह बिहार कांग्रेस को मजबूती दे पाएंगे? इस सवाल पर जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब किसको कौन सी जिम्मेदारी कौन सा दल दे रहा है, ये तो दलों की अपनी समझ है. जिस तरह से आरजेडी की जिम्मेदारी तेजस्वी यादव और जगदानंद बाबू पर है और अब ये पद उन्हें क्यों दिए ये तो आरजेडी वाले ही बता सकते हैं, ठीक उसी तरह कांग्रेस वाले ही बता सकते हैं कि कन्हैया को क्या देखकर ये पद मिला है.
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"किसको कौन सी जिम्मेदारी कौन सा दल दे रहा है, ये तो दलों की अपनी समझ है. आरजेडी की जिम्मेदारी तेजस्वी यादव और जगदानंद सिंह पर है. उसी तरह कांग्रेस बिहार में क्या करना चाहती है, ये तो कांग्रेस वाले ही बताएंगे कि क्यों उनको जिम्मेदारी दी है. कांग्रेस पर अगर बिहार के बारे में टिप्प्णी चाहते हैं तो हमको तो ना कहीं कांग्रेस दिखी, ना कांग्रेस का झंडा दिखा, ना कार्यकर्ता दिखा और ना ही कार्यक्रम दिखा लेकिन वह बहुत बड़ी पार्टी है, अगर वो चाहें कि कुछ करें तो बहुत अच्छा है"- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
'बिहार में कांग्रेस कहीं नहीं दिखी': प्रशांत किशोर ने कहा कि जहां तक मेरा सवाल है तो मैं बिहार में हूं और इसी राज्य में पदयात्रा कर रहा हूं. कांग्रेस की अगर बात करूं तो बिहार में कांग्रेस कहीं गांव-देहात में नहीं दिखी. मैं पिछले 11 महीने से पदयात्रा कर रहा हूं. मुझे न कहीं कांग्रेस दिखी, न कांग्रेस का झंडा दिखा. न ही कोई कार्यकर्ता दिखा और न ही कोई कार्यक्रम दिखा. इसके बावजूद कांग्रेस बहुत बड़ी पार्टी है. अगर बिहार में कोई प्रयास कर रही है तो अच्छा है.
कांग्रेस ने दी कन्हैया कुमार को बड़ी जिम्मेदारी: आपको बताएं कि हाल में ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 39 सदस्यों वाली कांग्रेस वर्किंग कमिटी में बिहार के तीन नेताओं को जगह दी. जिनमें पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर के अलावे कन्हैया कुमार को भी शामिल किया गया है. 2021 में ही वह सीपीआई को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. 2019 में उन्होंने गिरिराज सिंह के खिलाफ बेगूसराय सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. वहीं भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वह एक्टिव दिखे थे.