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जिस pk ने 2015 में गद्दी पर बैठाया, उसी के लिए नीतीश ने क्यों किया JDU का दरवाजा बंद? - पीके दिल्ली में केजरीवाल के लिए काम कर रहे

नीतीश कुमार ने पीके को 2015 में एक प्रोफेशनल के तौर पर काम दिया था. प्रशांत किशोर की भूमिका महागठबंधन सरकार बनाने में अहम मानी जाती है.

प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
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Published : Jan 28, 2020, 8:40 PM IST

पटना: चुनावी रणनीति के माहिर प्रशांत किशोर बिहार के राजनीति में फ्लॉप साबित हुए. हर हर मोदी, घर घर मोदी के नारे से नरेंद्र मोदी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने वाले पीके को नीतीश कुमार ने भी अब बाहर का रास्ता दिखा दिया है. एक समय था जब सीएम नीतीश ने पार्टी में उन्हें दूसरे नंबर की कुर्सी दी. लेकिन, अब पीके से उनका मोह भंग हो गया है.

जदयू में अब हालात ये हैं कि पार्टी के नेता प्रशांत किशोर के नाम पर ही आक्रोशित हो जाते हैं. बता दें कि नीतीश कुमार ने पीके को 2015 में एक प्रोफेशनल के तौर पर काम दिया था. प्रशांत किशोर की भूमिका महागठबंधन सरकार बनाने में अहम मानी जाती है. हालांकि, लंबे समय तक प्रशांत किशोर जदयू और बिहार से दूर रहे.

ईटीवी भारत संवाददाता अविनाश की रिपोर्ट

2018 में जेडीयू में हुई एंट्री
साल 2018 में प्रशांत किशोर ने दोबारा बिहार में एंट्री ली और नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी में दूसरे नंबर की कुर्सी दी. पीके को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. उस समय पार्टी के अंदर इसका काफी विरोध भी हुआ. लेकिन, नीतीश कुमार के फैसले के कारण किसी ने खुलकर आपत्ति नहीं जताई. आरसीपी सिंह का खेमा प्रशांत किशोर के विरोध में था. फिर भी नीतीश कुमार ने जदयू छात्र विंग की कमान प्रशांत किशोर को दी.

छात्र संघ चुनाव में जेडीयू को दिलाई जीत
2018 में प्रशांत किशोर ने पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में अपनी चुनावी रणनीति का जादू भी दिखाया और पहली बार जदयू का छात्र पटना विश्वविद्यालय का अध्यक्ष चुना गया. लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर न केवल बिहार से पार्टी से भी दूरी बना ली बल्कि पूरी जिम्मेवारी आरसीपी सिंह के कंधों पर दी गई.

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नीतीश कुमार(फाइल फोटो)

ये भी पढ़ें: CM नीतीश का pk को दो टूक- 'जहां जाना है जाइए और अपनी दुकान चलाइए'

सीएए को लेकर हमलावर हैं पीके
केंद्र सरकार की ओर से सीएए लागू होने के बाद प्रशांत किशोर लगातार अपनी नाराजगी जता रहे हैं. उन्होंने ट्वीट के माध्यम से बीजेपी नेताओं के खिलाफ मोर्चा भी खोल रखा है. ऐसे में अब जदयू नेताओं ने उनके खिलाफ खुलकर बोलना शुरू किया. अब नीतीश कुमार ने भी उन्हें एक तरह से बाय बाय कर दिया है. फिलहाल, पीके दिल्ली में केजरीवाल के लिए काम कर रहे हैं. अब चर्चा है कि वे आप पार्टी में शामिल हो सकते हैं.

पटना: चुनावी रणनीति के माहिर प्रशांत किशोर बिहार के राजनीति में फ्लॉप साबित हुए. हर हर मोदी, घर घर मोदी के नारे से नरेंद्र मोदी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने वाले पीके को नीतीश कुमार ने भी अब बाहर का रास्ता दिखा दिया है. एक समय था जब सीएम नीतीश ने पार्टी में उन्हें दूसरे नंबर की कुर्सी दी. लेकिन, अब पीके से उनका मोह भंग हो गया है.

जदयू में अब हालात ये हैं कि पार्टी के नेता प्रशांत किशोर के नाम पर ही आक्रोशित हो जाते हैं. बता दें कि नीतीश कुमार ने पीके को 2015 में एक प्रोफेशनल के तौर पर काम दिया था. प्रशांत किशोर की भूमिका महागठबंधन सरकार बनाने में अहम मानी जाती है. हालांकि, लंबे समय तक प्रशांत किशोर जदयू और बिहार से दूर रहे.

ईटीवी भारत संवाददाता अविनाश की रिपोर्ट

2018 में जेडीयू में हुई एंट्री
साल 2018 में प्रशांत किशोर ने दोबारा बिहार में एंट्री ली और नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी में दूसरे नंबर की कुर्सी दी. पीके को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. उस समय पार्टी के अंदर इसका काफी विरोध भी हुआ. लेकिन, नीतीश कुमार के फैसले के कारण किसी ने खुलकर आपत्ति नहीं जताई. आरसीपी सिंह का खेमा प्रशांत किशोर के विरोध में था. फिर भी नीतीश कुमार ने जदयू छात्र विंग की कमान प्रशांत किशोर को दी.

छात्र संघ चुनाव में जेडीयू को दिलाई जीत
2018 में प्रशांत किशोर ने पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में अपनी चुनावी रणनीति का जादू भी दिखाया और पहली बार जदयू का छात्र पटना विश्वविद्यालय का अध्यक्ष चुना गया. लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर न केवल बिहार से पार्टी से भी दूरी बना ली बल्कि पूरी जिम्मेवारी आरसीपी सिंह के कंधों पर दी गई.

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नीतीश कुमार(फाइल फोटो)

ये भी पढ़ें: CM नीतीश का pk को दो टूक- 'जहां जाना है जाइए और अपनी दुकान चलाइए'

सीएए को लेकर हमलावर हैं पीके
केंद्र सरकार की ओर से सीएए लागू होने के बाद प्रशांत किशोर लगातार अपनी नाराजगी जता रहे हैं. उन्होंने ट्वीट के माध्यम से बीजेपी नेताओं के खिलाफ मोर्चा भी खोल रखा है. ऐसे में अब जदयू नेताओं ने उनके खिलाफ खुलकर बोलना शुरू किया. अब नीतीश कुमार ने भी उन्हें एक तरह से बाय बाय कर दिया है. फिलहाल, पीके दिल्ली में केजरीवाल के लिए काम कर रहे हैं. अब चर्चा है कि वे आप पार्टी में शामिल हो सकते हैं.

Intro:पटना-- चुनावी रणनीति के माहिर बिहार के प्रशांत किशोर बिहार के राजनीति में फ्लॉप साबित हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर हर मोदी घर घर मोदी के नारे से सत्ता के शिखर तक पहुंचाने वाले बिहारी पीके को नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी में दूसरे नंबर की कुर्सी दी थी लेकिन उनके चुनावी तिक्रम को जदयू के शीर्ष नेताओं ने अपने राजनीतिक रणनीति से ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि आज जदयू में उनकी कोई जगह नहीं बची है। जदयू के नेता प्रशांत किशोर के नाम पर ही आक्रोशित हो जाते हैं । और आज रहा सहा कसर नीतीश कुमार ने पूरा कर दिया और उनके लिए जदयू का दरवाजा एक तरह से बंद हो चुका है।
पेश है खास रिपोर्ट---


Body: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने चुनावी रणनीति से घर-घर तक पहुंचाने वाले बिहारी प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में टिक नहीं पाए । नीतीश कुमार ने उन्हें 2015 में एक प्रोफेशनल के तौर पर काम दिया था। प्रशांत किशोर की भूमिका महा गठबंधन सरकार बनाने में अहम मानी जाती है। हालांकि लंबे समय तक प्रशांत किशोर जदयू से और बिहार से दूर रहे लेकिन फिर 2018 में बिहार में एंट्री हुई और नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी में दूसरे नंबर की कुर्सी दी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना कर। पार्टी के अंदर इसका जबरदस्त विरोध भी हुआ लेकिन नीतीश कुमार के फैसले के कारण खुलकर किसी ने भी विरोध नहीं जताया। आरसीपी सिंह का खेमा प्रशांत किशोर के विरोध में था।जदयू छात्र विंग की कमान भी नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को दी।
2018 में प्रशांत किशोर ने पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में अपनी चुनावी रणनीति का जादू भी दिखाया और पहली बार जदयू का छात्र पटना विश्वविद्यालय का अध्यक्ष चुना गया। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर न केवल बिहार से पार्टी से भी दूरी बना ली पूरी जिम्मेवारी आरसीपीसी के कंधों पर दी गई।
प्रशांत किशोर का बयान भी आना शुरू हो गया महागठबंधन से निकलने को लेकर भी प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार को चुनाव में जाना चाहिए था। 2019 तेलंगाना का रिजल्ट प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति का कमाल था फिर उन्होंने बंगाल में ममता बनर्जी के लिए अपनी कंपनी को उतार दिया और फिलहाल दिल्ली में केजरीवाल के लिए प्रशांत किशोर काम कर रहे हैं और इन सब के बीच केंद्र सरकार ने सीएए पर जो फैसला लिया उस पर लगातार अपनी नाराजगी जता रहे हैं ट्वीट के माध्यम से बीजेपी नेताओं के खिलाफ मोर्चा भी खोल रखा है और इसी के बाद जदयू नेताओं ने उनके खिलाफ खुल कर बोलना शुरू किया और आज नीतीश कुमार ने भी उन्हें एक तरह से बाय बाय कर दिया है।


Conclusion:चुनावी रणनीति में पूरे देश को लोहा मनवा रहे प्रशांत किशोर के लिए बिहार में पहली बार राजनीतिक तौर पर इंटरी हुई थी लेकिन पीके उसमें सफल नहीं हो सके हालांकि अब चर्चा हैं आप पार्टी में शामिल हो सकते हैं ।फिलहाल आप पार्टी के लिए काम भी कर रहे हैं।
अविनाश, पटना।
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