पटना: पटना के मसौढ़ी में किसानों ने आलू की खेती करने का एक नया तरीका ढूंढा है. यहां के किसानों के द्वारा आलू उगाने के लिए मिट्टी नहीं बल्कि पुआल का सहारा लिया जा रहा है. आपको मालूम है कि आलू की खेती मिट्टी में आलू के बीज रोप कर की जाती है. लेकिन यहां आलू उपजाने के लिए पारंपरिक खेती से हटकर मिट्टी के बजाय धान के पुआल का प्रयोग किया जा रहा है.
धान के पुआल में आलू की खेती: बता दें कि यहां के किसान पारंपरिक खेती से हटकर मिट्टी के बजाय धान के पुआल से आलू उपजा रहे हैं. इस तरह की खेती करने से किसानों को कम समय में आलू की अच्छी पैदावार के साथ अच्छा मुनाफा मिलता है. आलू की खेती के लिए पहले खेत को बराबर किया जाता है और काफी मेहनत कर क्यारी बनाई जाती है, लेकिन इन सबों से हटकर आलू की खेती की जा रही है.
क्या कहते हैं किसान?: पारंपरिक खेती को छोड़कर मसौढी प्रखंड के छाता गांव निवासी संजय कुमार का कहना है कि अपने खेतों में इस बार जीरो टीलेज पद्धति से पुआल के जरिए आलू की खेती कर रहे हैं. जहां पर आलू मिट्टी में नहीं बल्कि पुआल में उपजेगा. दरअसल संजय ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र ने आलू उगाने की धान की पुआल आधारित तकनीक का इजाद किया था, तब हमने प्रशिक्षण लेकर अपने गांव में इस बार पुआल के जरिए आलू की खेती की शुरूआत की. जहां कम पानी और कम मेहनत में अच्छी पैदावार आलू मिली और इसे मुनाफा भी ज्यादा है.
पराली का बेहतर उपयोग: इसके अलावा सबसे बड़ी बात पराली प्रबंधन का है. जहां धान काटने के बाद खेतों में किसान पराली जला देते हैं ऐसे में यह बचे हुए पराली का अवशेष का सदुपयोग इस पद्धति से हो रहा है. क्योंकि पराली को कहीं फेंकने और जलाने की जरूरत नहीं है. उसी खेत में रबि के सीजन के आलू को उपजाया जा सकता है.
"आलू की खेती में सबसे ज्यादा परेशानी खेत को समतलीकरण एवं जुताई को लेकर होती थी. आलु को मिट्टी में एक पंक्ति में 10 इंच की दूरी पर लगाया जाता है, प्रत्येक पंक्ति के बीच की दूरी डेढ़ फिट होती है. पूरे मसौढ़ी प्रखंड में इस मॉडल को दोहराने को लेकर एक संदेश भी दिया है कि कम लागत और कम मेहनत में उनकी स्वास्थ्य पर बुरा असर नहीं पड़ रहा है. मिट्टी की नमी इससे बच जा रही है."- संजय कुमार, किसान
पुआल में आलू की खेती के फायदे: हालांकि कृषि पदाधिकारियों ने इसके फायदे बताते हुए कहा कि पानी के उपयोग में 80% की नाइट्रोजन की कमी आई है. जब लंबे समय तक नमी बनाए रखने की बात आती है तो धान का पुआल बेहतर होता है, इसलिए पानी की आवश्यकता कम होती है.
पुआल आलू की खेती का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा खरपतवार के विकास को नियंत्रित करने में मदद करता है. अक्सर प्रकाश, पानी और पोषक तत्वों के लिए आलू के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं और इस दबाव के परिणाम स्वरूप फसल को 30 से 40% नुकसान होता है लेकिन पुआल रखकर आलू की खेती करने से इन सारी चीजों से उन्हें बचाव मिलता है.
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