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सृजन घोटाले की जांच में तेजी से 'तीसरे मोर्चे की मुहिम' को झटका, चढ़ा सियासी पारा - सृजन घोटाला मामले में जांच

बिहार की राजनीति (Bihar Politics) घोटालों के इर्द-गिर्द घूमती है. चारा घोटाले (Fodder Scam) के बाद सृजन घोटाले (Srijan Scam) से सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा. सृजन घोटाले की जांच में तेजी आई तो बिहार का सियासी पारा भी चढ़ गया. पढ़ें रिपोर्ट..

सृजन घोटाला
सृजन घोटाला
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Published : Sep 14, 2021, 9:55 PM IST

पटना: बिहार में चारा घोटाले (Fodder Scam) ने राजनीति की दिशा और दशा बदलकर रख दी. लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था. हाल के दिनों में बिहार में हुए सृजन घोटाले (Srijan Scam) ने भी बिहार में राजनीतिक बवंडर खड़ा कर दिया और आखिरकार मामले को सीबीआई को सौंपना पड़ा.

ये भी पढ़ें- सृजन घोटाले के मुख्य आरोपियों के ठिकानों पर CBI की छापेमारी, मिली कई अहम जानकारी

पिछले कुछ महीनों से बिहार में दो घटनाएं साथ-साथ चल रही हैं. एक तरफ जदयू (JDU) नेता प्रधानमंत्री पद को लेकर बढ़ चढ़कर दावेदारी कर रहे थे, तो दूसरी तरफ सृजन घोटाला मामले में जांच में तेजी आ रही थी. 2 महीनों के अंदर दो दर्जन से ज्यादा लोगों को सम्मन दिया जा चुका है. कुछ वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भी जद में है, जल्द ही इन पर सीबीआई का शिकंजा कस सकता है.

देखें रिपोर्ट

सृजन घोटाला मामले में जांच में तेजी आई है, तमाम पुराने अधिकारियों को इधर से उधर कर दिया गया है और नए सिरे से जांच की प्रक्रिया जारी है. अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारी केपी रमैया और दो वर्तमान आईएएस के खिलाफ शिकंजा कसने की तैयारी है. बता दें कि केपी रमैया जदयू के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. दो नौकरशाह सृजन के पैसों पर विदेश भी गए थे, आने वाले दिनों में सीबीआई बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है.

ये भी पढ़ें- सृजन घोटाला : 100 करोड़ के गबन मामले में 3 बैंकों के कर्मचारियों पर दर्ज हुई FIR

तीसरे मोर्चे की मुहिम को भी झटका लगा है. देवीलाल की जयंती पर हरियाणा के जींद में बीजेपी विरोधी नेताओं का महाकुंभ लगने जा रहा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन अचानक नीतीश कुमार ने बाढ़, महामारी और कोरोना का हवाला देते हुए श्रद्धांजलि सभा में जाने से मना कर दिया. नीतीश कुमार के स्टैंड पर विपक्ष हमलावर हो गई है.

''सृजन घोटाला मामले में कुछ लोगों के खिलाफ जैसे ही सम्मन जारी हुआ, वैसे ही जदयू नेताओं के सुर बदलने लगे और उनके तेवर भी नरम पड़ गए. अब नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी के गुणगान में लग गए हैं, लेकिन वो बचने वाले नहीं हैं.''- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

ये भी पढ़ें- 'घोटालों की सियासत' में नीतीश की छवि धूमिल करने में नाकामयाब रही RJD

''हरियाणा में वृहद रूप में कार्यक्रम की पटकथा नीतीश कुमार के इशारे पर ही लिखी जा रही थी, लेकिन सृजन घोटाले की जांच में आई तेजी के बाद जदयू नेताओं के तेवर बदल गए. सतीश कुमार को भी ईडी और सीबीआई का डर दिखाया जा रहा होगा, जिसके चलते उन्होंने श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने से मना कर दिया.''- राजेश राठौर, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस पार्टी

''राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भ्रष्टाचार के मामले में सजा भुगत रहे हैं, दूसरी पार्टी कांग्रेस ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार के बोझ तले दबी हुई है. दोनों दलों के नेता नकारात्मक राजनीति करते हैं.''- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

ये भी पढ़ें- बिहार में दो बड़े गड़बड़झालों से NGO बदनाम, सरकार की कार्यप्रणाली पर भी उठे सवाल

''भ्रष्टाचार को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है. नीतीश कुमार के रिकमेंडेशन पर ही सृजन घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. विपक्ष को नकारात्मक राजनीति करने के बजाए विकास की राजनीति में भागीदार बनना चाहिए.''- निखिल आनंद, बीजेपी प्रवक्ता

''जांच एजेंसियां अपने हिसाब से काम करती हैं. जांच में उतार-चढ़ाव प्रक्रियात्मक चीज है. हालांकि, विपक्ष इसे अपने तरीके से भुनाएगी. ऐसा नहीं है कि सृजन घोटाला मामले में सिर्फ जदयू के लोगों के ही नाम हैं, बीजेपी खेमे के कुछ नेताओं के नाम भी इसमें शामिल है.''- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

पटना: बिहार में चारा घोटाले (Fodder Scam) ने राजनीति की दिशा और दशा बदलकर रख दी. लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था. हाल के दिनों में बिहार में हुए सृजन घोटाले (Srijan Scam) ने भी बिहार में राजनीतिक बवंडर खड़ा कर दिया और आखिरकार मामले को सीबीआई को सौंपना पड़ा.

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पिछले कुछ महीनों से बिहार में दो घटनाएं साथ-साथ चल रही हैं. एक तरफ जदयू (JDU) नेता प्रधानमंत्री पद को लेकर बढ़ चढ़कर दावेदारी कर रहे थे, तो दूसरी तरफ सृजन घोटाला मामले में जांच में तेजी आ रही थी. 2 महीनों के अंदर दो दर्जन से ज्यादा लोगों को सम्मन दिया जा चुका है. कुछ वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भी जद में है, जल्द ही इन पर सीबीआई का शिकंजा कस सकता है.

देखें रिपोर्ट

सृजन घोटाला मामले में जांच में तेजी आई है, तमाम पुराने अधिकारियों को इधर से उधर कर दिया गया है और नए सिरे से जांच की प्रक्रिया जारी है. अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारी केपी रमैया और दो वर्तमान आईएएस के खिलाफ शिकंजा कसने की तैयारी है. बता दें कि केपी रमैया जदयू के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. दो नौकरशाह सृजन के पैसों पर विदेश भी गए थे, आने वाले दिनों में सीबीआई बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है.

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तीसरे मोर्चे की मुहिम को भी झटका लगा है. देवीलाल की जयंती पर हरियाणा के जींद में बीजेपी विरोधी नेताओं का महाकुंभ लगने जा रहा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन अचानक नीतीश कुमार ने बाढ़, महामारी और कोरोना का हवाला देते हुए श्रद्धांजलि सभा में जाने से मना कर दिया. नीतीश कुमार के स्टैंड पर विपक्ष हमलावर हो गई है.

''सृजन घोटाला मामले में कुछ लोगों के खिलाफ जैसे ही सम्मन जारी हुआ, वैसे ही जदयू नेताओं के सुर बदलने लगे और उनके तेवर भी नरम पड़ गए. अब नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी के गुणगान में लग गए हैं, लेकिन वो बचने वाले नहीं हैं.''- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

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''हरियाणा में वृहद रूप में कार्यक्रम की पटकथा नीतीश कुमार के इशारे पर ही लिखी जा रही थी, लेकिन सृजन घोटाले की जांच में आई तेजी के बाद जदयू नेताओं के तेवर बदल गए. सतीश कुमार को भी ईडी और सीबीआई का डर दिखाया जा रहा होगा, जिसके चलते उन्होंने श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने से मना कर दिया.''- राजेश राठौर, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस पार्टी

''राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भ्रष्टाचार के मामले में सजा भुगत रहे हैं, दूसरी पार्टी कांग्रेस ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार के बोझ तले दबी हुई है. दोनों दलों के नेता नकारात्मक राजनीति करते हैं.''- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

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''भ्रष्टाचार को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है. नीतीश कुमार के रिकमेंडेशन पर ही सृजन घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. विपक्ष को नकारात्मक राजनीति करने के बजाए विकास की राजनीति में भागीदार बनना चाहिए.''- निखिल आनंद, बीजेपी प्रवक्ता

''जांच एजेंसियां अपने हिसाब से काम करती हैं. जांच में उतार-चढ़ाव प्रक्रियात्मक चीज है. हालांकि, विपक्ष इसे अपने तरीके से भुनाएगी. ऐसा नहीं है कि सृजन घोटाला मामले में सिर्फ जदयू के लोगों के ही नाम हैं, बीजेपी खेमे के कुछ नेताओं के नाम भी इसमें शामिल है.''- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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