पटना: सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से करने पर बिहार की सियासत में उबाल है. सम्राट अशोक और औरंगजेब की तुलना (Comparison Between Ashoka and Aurangzeb) करने के मामले में राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Rajya Sabha MP Sushil Kumar Modi) ने सफाई देते हुए कहा कि दया प्रकाश सिन्हा का भाजपा से कोई लेना देना नहीं है.
सुशील मोदी ने कहा, 'प्राचीन भारत के यशस्वी सम्राट अशोक का भाजपा सम्मान करती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया था। 2015 में पहली बार सम्राट अशोक की 2320 वीं जयंती बड़े स्तर पर मनाई और फिर बिहार सरकार ने अप्रैल में उनकी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की. इस साल 9 अप्रैल को बिहार सरकार ने सम्राट अशोक जयंती पर सार्वजनिक अवकाश दिया है.
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हम अहिंसा और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक सम्राट अशोक की कोई भी तुलना औरंगजेब जैसे क्रूर शासक से करने की कड़ी निंदा करते हैं।
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सम्राट अशोक पर जिस लेखक (दया प्रकाश सिन्हा) ने आपत्तिजनक टिप्पणी की. उनका भाजपा से कोई संबंध नहीं है और न उनके बयान को बेवजह तूल देने की जरूरत है. भाजपा का राष्ट्रीय स्तर पर कोई सांस्कृतिक प्रकोष्ठ नहीं है. हम अहिंसा और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक सम्राट अशोक की कोई भी तुलना औरंगजेब जैसे क्रूर शासक से करने की कड़ी निंदा करते हैं.'
बता दें कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) ने लेखक पर हमला बोला है और तमाम पुरस्कार वापस करने की मांग प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से की है. ललन सिंह ने ट्वीट कर लिखा- 'वृहत अखंड भारत के एकमात्र चक्रवर्ती सम्राट "प्रियदर्शी अशोक मौर्य" का स्वर्णिम काल मानवता व लोकसमता के लिए विश्वभर में जाना जाता है. सम्राट अशोक बिहार व भारत के अमिट प्रतीक थे और हैं.'
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ललन सिंह ने लिखा- 'सम्राट अशोक मौर्य और बिहार के साथ कोई खिलवाड़ करे, सच्चे भारतीय कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे.सम्राट अशोक के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति किसी सम्मान के लायक नहीं. लेखक का पद्मश्री व सभी अन्य पुरस्कार रदद् हो व इन्हें भाजपा निष्कासित करे.'
जेडीयू संसदीय बोर्ड के प्रमुख व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (JDU National Parliamentry Board President Upendra Kushwaha) ने ट्वीट कर लिखा- ‘वृहत अखंड भारत के निर्माता चक्रवर्ती सम्राट प्रियदर्शी अशोक महान के लिए एक पार्टी विशेष के पदाधिकारी द्वारा अभद्रतापूर्वक अपशब्दों का इस्तेमा ल अति निंदनीय है. पार्टी और सरकार से उस व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करता हूं.’
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इसके बाद बीजेपी की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल (BJP State President Sanjay Jaiswal) ने मोर्चा संभाला और बिना नाम लिये ललन सिंह एवं उपेन्द्र कुशवाहा की जमकर खरी-खोटी सुनाई. डॉ संजय जायसवाल ने आज कहा कि कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों के लिए नकारात्मक प्रचार भी मेवा देने वाला पेड़ है. पर मुझे आश्चर्य तब होता है जब कुछ समझदार राजनैतिक कार्यकर्ता भी इनके जाल में फंस कर अपना प्रचार में लग जाते हैं वह यह भी नहीं सोचते कि इससे समाज को कितना नुकसान हो रहा है.
संजय जायसवाल ने आगे कहा, अगर इन्हें भरपेट मेवा न दिया जाए तो इन्हें उस पेड़ की जड़ में मट्ठा डालने से भी परहेज नहीं होता. यही वजह है कि बुद्धिजीवियों द्वारा इन्हें ‘राजनीतिक भस्मासुर’ की संज्ञा दी जाती है. बिहार में भी एनडीए सरकार की मजबूती और अनुशासन के कारण कुछ खास नेताओं को मनमुताबिक मेवा नहीं मिल रहा है. यही वजह है कि यह लोग किसी न किसी मुद्दे पर लगभग रोजाना ही अलग-अलग विषयों पर एनडीए को बदनाम करने के अपने एकसूत्री एजेंडे पर कार्यरत रहते हैं.
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इससे पहले, पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक को बौद्ध ग्रंथ के हवाले से कुरूप क्रूर और पत्नी को जलाने वाला बताया जाना आश्चर्यजनक है, क्योंकि यदि सम्राट अशोक औरंगजेब जैसा होते तो सम्राट अशोक द्वारा स्थापित चक्र को न तो राष्ट्रीय प्रतीक बनाया जाता न राष्ट्रीय ध्वज में पिरोया जाता और न राष्ट्रपति भवन में अशोका भवन बनाया जाता.
बता दें कि दया प्रसाद सिन्हा को अशोक के जीवन पर आधारित उनके नाटक के लिए सम्मानित किया गया था. अशोक ने कलिंग के साथ हुए बेहद हिंसक युद्ध में मिली जीत के बाद अहिंसा का रास्ता अपनाया लिया था. नाटककार ने एक प्रकाशन को दिए साक्षात्कार में अशोक के बारे में कई अभद्र टिप्पणी की थी और दावा किया था कि ये ऐतिहासिक शोध पर आधारित हैं.
दया प्रसाद सिन्हा ने अशोक की तुलना मुगल शासक औरंगजेब से करते हुए यह भी आरोप लगाया था कि अशोक ने अपने जीवन की शुरुआत में ‘कई पाप किए’ और बाद में उन्हें धर्मपरायणता के लबादे में छिपाने की कोशिश की.
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