पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के बाद दिल्ली में विपक्षी एकजुटता के आगे की रणनीति लिए अभियान तेज कर दी है. बिहार में नीतीश कुमार के अभियान को लेकर लगातार बयानबाजी हो रही है. बीजेपी जहां नीतीश कुमार पर तंज कस रही है, तो वहीं जदयू के नेता कह रहे हैं कि मुहिम सफलता की ओर कदम बढ़ा रहा है.
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नीतीश कुमार को लेकर कोई गंभीर नहीं : बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर का कहना है कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के पास बिहार में केवल 45 सीट है और तीसरे नंबर की पार्टी है. जबकि इन से अधिक विपक्ष के कई दलों के विधायक हैं. कांग्रेस विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है. उसके अलावा ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव नवीन पटनायक केसीआर सभी के इनसे अधिक विधायक हैं. नीतीश कुमार को कोई भी दल गंभीरता से नहीं ले रहा है, लेकिन वह सभी जगह घूम रहे हैं.
ब्लूप्रिंट हो चुका है तैयारः संजय टाइगर ने कहा कि कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत से सबसे अधिक कोई मायूस है तो नीतीश कुमार हैं. क्योंकि उन्हें पता है कि अब राहुल गांधी के तेवर कुछ अलग होंगे. बिहार में भी आरजेडी के तरफ से इन्हें मुख्यमंत्री को लेकर बार-बार अल्टीमेटम दिया जा रहा है. मोहलत मांग रहे हैं तो नीतीश कुमार की स्थिति यह है कि ना इधर के रहे ना उधर के, लेकिन इससे उलट जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है नीतीश कुमार के विपक्षी एकजुटता अभियान के अच्छे संकेत मिल रहे हैं. ठोस परिणाम कल पर छोड़िए. किसी भी काम के लिए ब्लूप्रिंट तैयार करना पड़ता है. अब वह ब्लू प्रिंट दिखने लगा है.
"कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत से सबसे अधिक कोई मायूस है तो नीतीश कुमार हैं. क्योंकि उन्हें पता है कि अब राहुल गांधी के तेवर कुछ अलग होंगे. बिहार में भी आरजेडी के तरफ से इन्हें मुख्यमंत्री को लेकर बार-बार अल्टीमेटम दिया जा रहा है. मोहलत मांग रहे हैं तो नीतीश कुमार की स्थिति यह है कि ना इधर के रहे ना उधर के"- संजय टाइगर, प्रवक्ता बीजेपी
विपक्षी नेताओं की बैठक को लेकर चल रही बातचीत:दिल्ली में विपक्षी नेताओं से बैठक को लेकर नीतीश कुमार इस बार बातचीत कर रहे हैं. तिथि के साथ जगह को भी अंतिम रूप देने की कोशिश हो रही है. क्योंकि पहले से ही कहा जा रहा था कि कर्नाटक चुनाव रिजल्ट के बाद विपक्षी दलों की बैठक होगी तो अब रिजल्ट के साथ शपथ ग्रहण भी हो गया है. ऐसे में जदयू नेताओं का तो यहां तक कहना है कि जल्द ही विपक्षी दलों की बैठक होगी और उसमें बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष का गठबंधन तैयार होगा और आगे की रणनीति तैयार होगी. लेकिन सबसे बड़ी परेशानी कांग्रेस के साथ सभी विपक्ष को एक साथ जोड़ने की है. कर्नाटक में शपथ ग्रहण समारोह में भी कई विपक्षी दल के नेता नहीं गए थे. वहीं कई को तो आमंत्रित ही नहीं किया गया था.
"नीतीश कुमार के विपक्षी एकजुटता अभियान के अच्छे संकेत मिल रहे हैं. ठोस परिणाम कल पर छोड़िए. किसी भी काम के लिए ब्लूप्रिंट तैयार करना पड़ता है. अब वह ब्लू प्रिंट दिखने लगा है" - वशिष्ठ नारायण सिंह, वरिष्ठ नेता जदयू