पटना: कानून व्यवस्था को लेकर एक बार फिर से बिहार में सियासत शुरू है. जहां विपक्ष नीतीश सरकार को लगातार घेर रहा है. वहीं सत्ताधारी दल सरकार का बचाव करने में लगी है. बिहार में सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने पहली बैठक कानून व्यवस्था को लेकर ही की थी और 15 दिनों में ही दूसरी बैठक भी नीतीश कुमार ने कानून व्यवस्था को लेकर की. जहां दोनों दिन अपराधियों ने बड़ी घटना को अंजाम देकर एक तरह से नीतीश कुमार को चुनौती दे दी. पूर्व डीजीपी अभयानंद भी कहते हैं कि अपराधियों के मन से डर खत्म हो गया है. पढ़ें खास रिपोर्ट ---
कानून व्यवस्था पर बिहार में सियासत
सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार सबसे पहले कानून व्यवस्था पर आला अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करते हैं तो उसी दिन राजधानी पटना में एक महिला को गोली मार दी जाती है. वहीं 2 दिन पहले जब नीतीश कुमार फिर से कानून व्यवस्था की समीक्षा करते हैं तो दरभंगा में अपराधी दिनदहाड़े बड़ी लूट की घटना को अंजाम देते हैं. चावल मिल व्यवसाई के दो बेटे को भी इसी दिन अगवा कर लिया जाता है. पिछले 15 दिनों में इस तरह की कई घटना को अपराधियों ने अंजाम दिया है और नीतीश कुमार को एक तरह से खुली चुनौती दी है. यहीं नहीं सहयोगी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल तो चंपारण में पुलिस अधिकारियों के रवैए पर ही सवाल खड़ा करते हैं और सोशल मीडिया में इसको लेकर बड़ा पोस्ट भी करते हैं.
नीतीश के बैठक पर विपक्ष बोला
'नीतीश कुमार स्टैपनी मुख्यमंत्री हैं. बैठक तो 2005 से कर रहे हैं लेकिन यह सिर्फ चेहरा चमकाने की बात है.' - श्याम रजक, नेता, आरजेडी
सत्ताधारी दल ने किया पलटवार
'कुछ अपराध की घटनाएं जरूर बढ़ी है लेकिन स्थितियां बदलेगी नीतीश कुमार कानून व्यवस्था को लेकर पहले भी कभी समझौता नहीं किए हैं और आगे भी नहीं करेंगे.'- श्रवण कुमार, पूर्व संसदीय कार्य मंत्री
भम्र में हैं राजद
'यदि अपराधियों को लगता है कि आरजेडी को विधानसभा चुनाव में अधिक सीट मिल गया है. इसलिए कुछ भी कर लेंगे तो गलतफहमी में है. पहले भी एनडीए सरकार ने अपराधियों को बख्सा नहीं और इस बार भी जो भी अपराध कर रहे हैं सभी पकड़े जाएंगे.': मृत्युंजय झा, प्रवक्ता, बीजेपी
विपक्ष की साजिश
'यह सब विपक्ष की साजिश है और सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.': विजय यादव, प्रवक्ता, हम
वहीं पूर्व डीजीपी अभयानंद का साफ कहना है अपराधियों के मन में पुलिस का डर खत्म हो गया है और जब तक डर नहीं होगा तब तक अपराध की घटना कम नहीं होगी।
सहयोगी बीजेपी के नेता भी उठाते रहे सवाल
नीतीश कुमार का शासन में तो ऐसे कानून व्यवस्था के लिए जाना जाता रहा है लेकिन जिस प्रकार से अपराधियों का मनोबल बढ़ा है सहयोगी बीजेपी के तरफ से भी सवाल उठाए जाने लगे हैं. बिहार में अभी प्रभारी डीजीपी के भरोसे ही काम चलाया जा रहा है. यहीं नहीं अमीर सुबहानी नीतीश कुमार के चहेते होने के कारण पिछले 10 सालों से भी अधिक समय से गृह विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और उसको लेकर भी बीजेपी खेमे में नाराजगी है.
हालांकि, इस को लेकर कोई कुछ बोल नहीं रहा है. बीजेपी का एक वर्ग यह भी चाहता है कि यूपी के तर्ज पर ही अपराधियों के खिलाफ बिहार में कार्रवाई हो. बिहार में जिस प्रकार से पुलिस कार्रवाई कर रही है उसको लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं अभी हाल ही में 50 हजार का इनामी अपराधी रवि गोप पुलिस की पकड़ में आया था. विशेष टीम ने पकड़ा था लेकिन उसे आसानी से बेल मिल गया और फिर से वह फरार हो गया है.
नहीं हुए थे नीतीश तैयार
कुल मिलाकर देखे हैं तो नीतीश कुमार के लिए चुनौती बढ़ी है. विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार से उनकी पार्टी तीसरे नंबर पर आई है. वे कमजोर भी हुए हैं और उसका असर भी सरकार पर दिख रहा है. चर्चा यह भी थी कि बीजेपी गृह विभाग चाहती थी लेकिन नीतीश कुमार उसके लिए तैयार नहीं हुए.