पटना: नागरिकता संशोधित कानून को लेकर राज्य में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इस कानून के विरोध में विपक्षी राजनीतिक पार्टियां सड़क पर उतरने लगी है. केंद्र सरकार पर कानून को वापस लेने का दबाव बना रहे हैं. तो वहीं, केंद्र सरकार भी अपने फैसले पर अडिग है.
बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक संसद से पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर भी हो गया है. लेकिन इसके बाद भी इस कानून का विरोध जारी है. कुछ राज्यों ने अपने यहां इस कानून को लागू करने से मना कर दिया है. तो कुछ राज्यों में इसके खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं. बिहार में भी राजनीतिक दल नागरिकता संशोधित कानून को लेकर दो खेमे में बढ़ चुके हैं. एनडीए के घटक दल जहां बिल के पक्ष में हैं. वहीं महागठबंधन खेमा इसका काफी विरोध कर रहा है.
विपक्ष पर लगाया लोगों को गुमराह करने का आरोप
इस कानून को वापस लेने के लिए कई राजनीतिक दलों की तरफ से केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है. इस कड़ी में पहले वामदलों ने बंद का आह्वान किया और फिर अब राजद बिहार बंद की तैयारी में है. वहीं, भाजपा ने विपक्ष पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है. लोक स्वास्थ्य और अभियंत्रण मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा है कि नागरिकता संशोधित कानून के बारे में ज्यादातर विपक्षी नेताओं को जानकारी ही नहीं है. वो सिर्फ जनता को गुमराह कर रहे हैं. इस कानून से भारत में रहने वाले लोगों का कोई सरोकार नहीं है. इसमें तो दूसरे देशों से धर्म के नाम पर प्रताड़ित होकर आने वाले लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है.
वास्तविक मुद्दों से भटकाया जा रहा ध्यान
इस कानून को लेकर विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष को केंद्र सरकार के मंसूबों पर संदेह है. विपक्षी नेताओं ने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि सीएए के बाद अगर एनआरसी आ जाएगा तो आम लोगों का जीना मुहाल हो जाएगा. हम प्रवक्ता विजय यादव ने कहा कि केंद्र सरकार वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है. इसलिए ऐसे मुद्दे उछाले जा रहे हैं.