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Karpoori Thakur Birth Anniversary: RJD की बड़ी तैयारी, क्या वोट बैंक साधने पर है नजर? - दो बार सीएम रहे कर्पूरी ठाकु

बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार सीएम रहे कर्पूरी ठाकुर (Former CM Karpoori Thakur) हर राजनीतिक दल को याद आते हैं. उनकी जयंती या पुण्यतिथि पर सभी राजनीतिक दल उनको याद करते हैं और उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलने की बात करते हैं. राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनता दल कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर इस बार अलग आयोजन करने जा रही है जो चर्चा में है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jan 21, 2023, 7:29 PM IST

Updated : Jan 22, 2023, 12:23 PM IST

राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी

पटना: राष्ट्रीय जनता दल इस बार बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर की जयंती (Karpoori Thakur Birth Anniversary) पर आगामी 24 जनवरी को राज्य, देश और संविधान बचाओ कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही है. इस कार्यक्रम के तहत पार्टी प्रदेश के सभी 540 प्रखंडों में कार्यक्रम आयोजित करेगी. और उसमें राजद के प्रतिनिधि, कार्यकर्ताओं को यह संदेश देंगे कि किस तरह देश का संविधान खतरे में है?. जानकारी के अनुसार इस को लेकर एक विशेष आलेख भी पार्टी की तरफ से छपवाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- 24 को कर्पूरी ठाकुर की जयंती, JDU के जिलाध्यक्षों की बैठक में शामिल हुए अध्यक्ष ललन सिंह

प्रखंड स्तर तक आयोजन : आरजेडी भले ही इस कार्यक्रम को दूसरा नाम दे रही है. लेकिन राजनीतिक प्रेक्षकों की माने तो इसी बहाने राजद उस वोट बैंक में अपनी सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है जो वोट बैंक जदयू और नीतीश कुमार का समर्थक माना जाता रहा है. अगर प्रदेश की राजनीति पर ध्यान दें तो जदयू हमेशा से ही ओबीसी वोट बैंक को अपने साथ रखकर राजनीति की दांव चलता रहा है. 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने 115 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारा था. इसमें सीएम नीतीश कुमार ने टिकट बंटवारे के जरिए अपने वोट बैंक पिछड़ा और अति पिछड़ा को साधने की पूरी कोशिश भी की थी.

OBC वोट बैंक पर RJD की नजर : दरअसल राज्य की राजनीति में जाति का गणित काफी अहम है. एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि चुनाव के अंतिम दिन विकास पर जातिगत समीकरण भारी पड़ता है. बिहार में सबसे अहम भूमिका में पिछड़े और अति पिछड़े समुदाय में आने वाली जातियां हैं. जिसके सहारे नीतीश कुमार लंबे अरसे से अपना शासन चला रहे हैं.
2020 में नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन की एक अनुमान के अनुसार बिहार की आधी जनसंख्या ओबीसी है. इसके अलावा राज्य में दलित और मुसलमान भी बड़े समुदाय हैं.

कर्पूरी के सहारे राजनीति चमकाने की तैयारी : लेकिन इन सब वर्गों के अंदर कई वर्ग बने और बनाए भी गए हैं. जो अलग-अलग तरह से वोट करते हैं. पार्टियों के लिए इन वर्गों के वोट को बंधना आसान नहीं होता. लेकिन फिर भी पार्टियां अपनी तरफ से पूरी कोशिश करती हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने 115 सीटों में से सबसे ज्यादा 67 प्रत्याशी पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग से उतारा था. पिछड़े वर्ग से नीतीश ने 40 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था.

पिछड़ा वोट बैंक पर सभी पार्टियों की नजर : जिनमें 19 यादव, 12 कुर्मी और तीन वैश्य समुदाय के लोगों को टिकट दिया गया था. जबकि अति पिछड़ा समुदाय से 27 प्रत्याशी उतारे गए थे. इनमें 8 धानुक और 15 कुशवाहा शामिल थे. नीतीश कुमार ने अपने कुर्मी और कोइरी के मूल वोट बैंक को मजबूती से जोड़े रखने का दांव भी चला था. राज्य में 200 से अधिक जातियां हैं. बिहार सरकार ने यहां रहने वाली सभी जातियों को 5 वर्ग में विभाजित किया है.

RJD की पिछड़ा वर्ग को साधने की तैयारी : इनमें पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के साथ सामान्य वर्ग की जातियां शामिल हैं. इसी प्रकार बिहार में ओबीसी की सूची में 144 जातियां शामिल हैं. जिनमें 113 अति पिछड़ा और 31 जातियां पिछड़े वर्ग के तहत आती हैं. इस आयोजन को लेकर आरजेडी का कुछ और ही कहना है. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि- 'जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती हमारी पार्टी पहले से ही मनाती रही है. इसे धूमधाम से मनाते हैं. जननायक कर्पूरी ठाकुर के विचारों को पर ही हमारी पार्टी चलती है.'

'उनके विचारों को जन-जन और घर-घर तक कैसे पहुंचाया जाए?, इसकी जिम्मेदारी और जवाबदेही हमारी पार्टी समझती है. उनकी जयंती के अवसर पर इस बार व्यापक तैयारी की गई है. हर जगह उनके विचारों से आने वाली पीढ़ी को कैसे लैस किया जाए?, इसके लिए पार्टी काम कर रही है. राजद वोट बैंक की राजनीति नहीं करती है. विचारों की लड़ाई है और समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे हुए जो व्यक्ति हैं, उनको विकास के मुख्यधारा में कैसे लाया जाए?, उनके हक और हुकूक की लड़ाई ही हमारी पार्टी की विशेषता है और यही हमारा सामाजिक न्याय है.' - मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, राजद

राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी

'कर्पूरी ठाकुर एक महान व्यक्तित्व के धनी थे. हमारी पार्टी और हमारे नेता नीतीश कुमार उनके बताए रास्ते और उनकी विचारधारा पर चलते हैं. हमारी पार्टी ने हमेशा उनको सम्मान दिया है. हमारे प्रदेश पार्टी कार्यालय में भी एक भव्य सभागार है, जिसका नाम कर्पूरी सभागार है. पार्टी के लोग वहां बैठते हैं और उनके विचारों पर आगे चलने का प्रयास करते हैं. उनके पुत्र रामनाथ ठाकुर जदयू के सदस्य हैं और राज्यसभा के नेता भी हैं.' - अभिषेक झा, जदयू के प्रवक्ता

'जदयू अपनाती है कर्पूरी ठाकुर के विचार' : जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर द्वारा बताए गए रास्ते पर चलकर नीतीश कुमार ने बिहार में विकास के नए आयाम को लिखा है. ऐसे महामानव पर किसी एक पार्टी या संगठन का अधिकार नहीं होता है. उनकी जयंती और पुण्यतथि पर हमारी पार्टी भव्य आयोजन तो करती ही है. इसके अलावा भी अन्य पार्टियां, संगठन भी उनकी जयंती और पुण्यतथि को मनाते हैं. कौन सी पार्टी क्या प्रोग्राम चला रहा है?, इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है. लेकिन प्रोग्राम चलाने के लिए हर कोई स्वतंत्र है.

'बिहार में राजनीतिक दलों द्वारा महापुरुषों की जयंती के नाम पर पुण्यतिथि के नाम पर राजनीति करना कोई नई बात नहीं है. बीजेपी, जदयू , आरजेडी सभी दल महापुरुषों की जयंती के नाम पर सियासत करते रहे हैं. और उनके नाम पर वोट बैंक को आकर्षित करने का प्रयास करते रहे हैं. रही कर्पूरी ठाकुर जयंती के नाम पर राजद के द्वारा विशेष रुप से सभी प्रखंडों में आयोजन को लेकर तो इसमें कोई शक नहीं है कि आज आरजेडी और जदयू भले ही सरकार में हैं लेकिन दोनों वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में है.' - मनोज पाठक, वरिष्ठ पत्रकार

'कर्पूरी ठाकुर के नाम पर होती है राजनीति' : वरिष्ठ पत्रकार मनोज पाठक कहते हैं इसमें कोई शक नहीं है कि राजद ए टू जेड की बात करती है. लेकिन आज के दौर में सभी की नजर जातियों की वोट बैंक पर है. राजद का वोट बैंक यादव और मुस्लिम को माना जाता है. लेकिन उनकी नजर पिछड़ी जातियों पर भी विशेष रूप से है. वैसे तो पिछडी जातियों को जदयू का वोट बैंक माना जाता है. लेकिन राजद इस पर नजर गड़ाए हुए हैं. यही कारण है कि राजद कर्पूरी ठाकुर की जयंती को सियासत के रूप में सभी प्रखंडों में आयोजित कर रही है.

राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी

पटना: राष्ट्रीय जनता दल इस बार बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर की जयंती (Karpoori Thakur Birth Anniversary) पर आगामी 24 जनवरी को राज्य, देश और संविधान बचाओ कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही है. इस कार्यक्रम के तहत पार्टी प्रदेश के सभी 540 प्रखंडों में कार्यक्रम आयोजित करेगी. और उसमें राजद के प्रतिनिधि, कार्यकर्ताओं को यह संदेश देंगे कि किस तरह देश का संविधान खतरे में है?. जानकारी के अनुसार इस को लेकर एक विशेष आलेख भी पार्टी की तरफ से छपवाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- 24 को कर्पूरी ठाकुर की जयंती, JDU के जिलाध्यक्षों की बैठक में शामिल हुए अध्यक्ष ललन सिंह

प्रखंड स्तर तक आयोजन : आरजेडी भले ही इस कार्यक्रम को दूसरा नाम दे रही है. लेकिन राजनीतिक प्रेक्षकों की माने तो इसी बहाने राजद उस वोट बैंक में अपनी सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है जो वोट बैंक जदयू और नीतीश कुमार का समर्थक माना जाता रहा है. अगर प्रदेश की राजनीति पर ध्यान दें तो जदयू हमेशा से ही ओबीसी वोट बैंक को अपने साथ रखकर राजनीति की दांव चलता रहा है. 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने 115 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारा था. इसमें सीएम नीतीश कुमार ने टिकट बंटवारे के जरिए अपने वोट बैंक पिछड़ा और अति पिछड़ा को साधने की पूरी कोशिश भी की थी.

OBC वोट बैंक पर RJD की नजर : दरअसल राज्य की राजनीति में जाति का गणित काफी अहम है. एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि चुनाव के अंतिम दिन विकास पर जातिगत समीकरण भारी पड़ता है. बिहार में सबसे अहम भूमिका में पिछड़े और अति पिछड़े समुदाय में आने वाली जातियां हैं. जिसके सहारे नीतीश कुमार लंबे अरसे से अपना शासन चला रहे हैं.
2020 में नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन की एक अनुमान के अनुसार बिहार की आधी जनसंख्या ओबीसी है. इसके अलावा राज्य में दलित और मुसलमान भी बड़े समुदाय हैं.

कर्पूरी के सहारे राजनीति चमकाने की तैयारी : लेकिन इन सब वर्गों के अंदर कई वर्ग बने और बनाए भी गए हैं. जो अलग-अलग तरह से वोट करते हैं. पार्टियों के लिए इन वर्गों के वोट को बंधना आसान नहीं होता. लेकिन फिर भी पार्टियां अपनी तरफ से पूरी कोशिश करती हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने 115 सीटों में से सबसे ज्यादा 67 प्रत्याशी पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग से उतारा था. पिछड़े वर्ग से नीतीश ने 40 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था.

पिछड़ा वोट बैंक पर सभी पार्टियों की नजर : जिनमें 19 यादव, 12 कुर्मी और तीन वैश्य समुदाय के लोगों को टिकट दिया गया था. जबकि अति पिछड़ा समुदाय से 27 प्रत्याशी उतारे गए थे. इनमें 8 धानुक और 15 कुशवाहा शामिल थे. नीतीश कुमार ने अपने कुर्मी और कोइरी के मूल वोट बैंक को मजबूती से जोड़े रखने का दांव भी चला था. राज्य में 200 से अधिक जातियां हैं. बिहार सरकार ने यहां रहने वाली सभी जातियों को 5 वर्ग में विभाजित किया है.

RJD की पिछड़ा वर्ग को साधने की तैयारी : इनमें पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के साथ सामान्य वर्ग की जातियां शामिल हैं. इसी प्रकार बिहार में ओबीसी की सूची में 144 जातियां शामिल हैं. जिनमें 113 अति पिछड़ा और 31 जातियां पिछड़े वर्ग के तहत आती हैं. इस आयोजन को लेकर आरजेडी का कुछ और ही कहना है. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि- 'जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती हमारी पार्टी पहले से ही मनाती रही है. इसे धूमधाम से मनाते हैं. जननायक कर्पूरी ठाकुर के विचारों को पर ही हमारी पार्टी चलती है.'

'उनके विचारों को जन-जन और घर-घर तक कैसे पहुंचाया जाए?, इसकी जिम्मेदारी और जवाबदेही हमारी पार्टी समझती है. उनकी जयंती के अवसर पर इस बार व्यापक तैयारी की गई है. हर जगह उनके विचारों से आने वाली पीढ़ी को कैसे लैस किया जाए?, इसके लिए पार्टी काम कर रही है. राजद वोट बैंक की राजनीति नहीं करती है. विचारों की लड़ाई है और समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे हुए जो व्यक्ति हैं, उनको विकास के मुख्यधारा में कैसे लाया जाए?, उनके हक और हुकूक की लड़ाई ही हमारी पार्टी की विशेषता है और यही हमारा सामाजिक न्याय है.' - मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, राजद

राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी

'कर्पूरी ठाकुर एक महान व्यक्तित्व के धनी थे. हमारी पार्टी और हमारे नेता नीतीश कुमार उनके बताए रास्ते और उनकी विचारधारा पर चलते हैं. हमारी पार्टी ने हमेशा उनको सम्मान दिया है. हमारे प्रदेश पार्टी कार्यालय में भी एक भव्य सभागार है, जिसका नाम कर्पूरी सभागार है. पार्टी के लोग वहां बैठते हैं और उनके विचारों पर आगे चलने का प्रयास करते हैं. उनके पुत्र रामनाथ ठाकुर जदयू के सदस्य हैं और राज्यसभा के नेता भी हैं.' - अभिषेक झा, जदयू के प्रवक्ता

'जदयू अपनाती है कर्पूरी ठाकुर के विचार' : जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर द्वारा बताए गए रास्ते पर चलकर नीतीश कुमार ने बिहार में विकास के नए आयाम को लिखा है. ऐसे महामानव पर किसी एक पार्टी या संगठन का अधिकार नहीं होता है. उनकी जयंती और पुण्यतथि पर हमारी पार्टी भव्य आयोजन तो करती ही है. इसके अलावा भी अन्य पार्टियां, संगठन भी उनकी जयंती और पुण्यतथि को मनाते हैं. कौन सी पार्टी क्या प्रोग्राम चला रहा है?, इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है. लेकिन प्रोग्राम चलाने के लिए हर कोई स्वतंत्र है.

'बिहार में राजनीतिक दलों द्वारा महापुरुषों की जयंती के नाम पर पुण्यतिथि के नाम पर राजनीति करना कोई नई बात नहीं है. बीजेपी, जदयू , आरजेडी सभी दल महापुरुषों की जयंती के नाम पर सियासत करते रहे हैं. और उनके नाम पर वोट बैंक को आकर्षित करने का प्रयास करते रहे हैं. रही कर्पूरी ठाकुर जयंती के नाम पर राजद के द्वारा विशेष रुप से सभी प्रखंडों में आयोजन को लेकर तो इसमें कोई शक नहीं है कि आज आरजेडी और जदयू भले ही सरकार में हैं लेकिन दोनों वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में है.' - मनोज पाठक, वरिष्ठ पत्रकार

'कर्पूरी ठाकुर के नाम पर होती है राजनीति' : वरिष्ठ पत्रकार मनोज पाठक कहते हैं इसमें कोई शक नहीं है कि राजद ए टू जेड की बात करती है. लेकिन आज के दौर में सभी की नजर जातियों की वोट बैंक पर है. राजद का वोट बैंक यादव और मुस्लिम को माना जाता है. लेकिन उनकी नजर पिछड़ी जातियों पर भी विशेष रूप से है. वैसे तो पिछडी जातियों को जदयू का वोट बैंक माना जाता है. लेकिन राजद इस पर नजर गड़ाए हुए हैं. यही कारण है कि राजद कर्पूरी ठाकुर की जयंती को सियासत के रूप में सभी प्रखंडों में आयोजित कर रही है.

Last Updated : Jan 22, 2023, 12:23 PM IST
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