पटना: बिहार में सहनी वोट को लेकर सियासत तेज हो गई है. राज्य के अंदर लगभग 45% अति पिछड़ा वोटर हैं, जिनमें सहनी की अच्छी खासी तादाद है. अब तक अति पिछड़ा वोट बैंक पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दावा करते रहे हैं. पिछले कई चुनावों से ज्यादा हिस्सा जेडीयू को मिलता रहा है लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में बीजेपी ने अति पिछड़ों को जोड़ने के लिए एक्शन प्लान तैयार कर लिया है. एक के बाद एक अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले नेताओं को जहां पार्टी में शामिल कराया जा रहा है, वहीं पार्टी के अंदर महत्वपूर्ण पद भी दिए जा रहे हैं.
अति पिछड़ा वोट पर दावेदारी: अति पिछड़ा समुदाय में सहनी वोटर मजबूत स्थिति में हैं. लगभग 4 से 5% के बीच उनकी आबादी भी है. वीआईपी चीफ मुकेश सहनी ने जिस तरीके से सहनी वोटरों को अपने पक्ष में गोलबंद किया है, उससे बिहार के राजनीतिक दलों ने सीख ली है. यही वजह है कि हर दल की नजर अब सहनी वोट बैंक पर है. जेडीयू ने सहनी जाति से आने वाले 2 नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है. मदन सहनी को जहां नीतीश कैबिनेट में जगह मिली है तो वहीं दूसरे नेता भीष्म सहनी को नीतीश कुमार ने विधान परिषद का सदस्य बनाया है.
आरजेडी ने किया दावा: वहीं, आरजेडी ने भी सहनी समुदाय से आने वाले नेताओं को तवज्जो दी है. अनिल सहनी 2020 में विधायक बने थे लेकिन उनकी सदस्यता चली गई है. भरत विंद पार्टी के विधायक हैं तो अरविंद सहनी को अति पिछड़ा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है और वह विधानसभा चुनाव भी लड़े थे. उनका दावा है कि आगामी चुनावों में भी महागठबंधन को सहनी मतदाताओं का साथ मिलेगा.
"सहनी वोटर हमेशा से समाजवादी दलों के साथ रहा है. अभी भी सहनी वोटर महागठबंधन के साथ हैं. हमारी सरकार में मदन सहनी मंत्री भी हैं. इसके अलावा कई नेताओं को हमने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी हुई है. भाजपा के लोग सहनी समुदाय के साथ सिर्फ छलावा करना जानते हैं"- शक्ति यादव, प्रवक्ता, राष्ट्रीय जनता दल
बीजेपी ने हरि सहनी को दी बड़ी जिम्मेदारी: उधर, भारतीय जनता पार्टी ने भी सहनी नेताओं को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है. एक साल पहले हरि सहनी को विधान परिषद सदस्य बनाया और अब विधान परिषद में विरोधी दल के नेता की जिम्मेदारी सौंपी है. इसके अलावा अजय निषाद मुजफ्फरपुर से सांसद हैं.
हरि सहनी क्या बोले?: सहनी वोटरों की ज्यादा संख्या मिथिलांचल इलाके में हैं. तमाम दलों में जो सहनी समुदाय से नेता हैं, वह भी उन्हीं इलाकों से हैं. सहनी वोट बैंक को साथ कर राजनीतिक दल मिथिलांचल के किले को मजबूत करना चाहते हैं. विधान परिषद में नेता विरोधी दल हरि सहनी ने कहा कि भाजपा ने अति पिछड़ों को सबसे ज्यादा सम्मान दिया है. इसलिए यह समाज बीजेपी के साथ खड़ा है.
"अति पिछड़ा समुदाय भाजपा के लिए सब कुछ न्योछावर करने के लिए तैयार है. दूसरे दलों ने सिर्फ ठगने का काम किया है. मैं अति पिछड़ों को जगाने का काम करूंगा और फिर से नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे"- हरि सहनी, नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधान परिषद
बिहार की सियासत में सहनी फैक्टर कितना असरदार?: राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक दलों के लिए अति पिछड़ों में सहनी वोटर महत्वपूर्ण हो गए हैं. इस समाज के लोग चुनावों में न केवल मजबूती से वोट करते हैं, बल्कि विरोधियों से लोहा भी लेते हैं. ऐसे में हर दल या चाहता है कि सहनी समुदाय का समर्थन उसे हासिल हो.