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मां को याद कर भावुक हुए राजनेता, बोले - मां से बड़ा कोई नहीं होता

बिहार सरकार के मंत्री श्याम रजक, नीरज कुमार सहित आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने अपनी मां को याद करते हुए भावुक हो गए और कहा कि मां ममता वह नाम है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है.

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Published : May 10, 2020, 3:03 PM IST

पटना : बिहार सरकार के मंत्री श्याम रजक, नीरज कुमार सहित आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने अपनी मां को याद करते हुए भावुक हो गए और कहा मां की ममता वह नाम है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है. इसलिए मां तो मां होती है. मां से बड़ा कोई नहीं होता है.

'ईश्वर से भी बड़ी मां होती है'
मां को शब्दों में बांध पाना असंभव है. मां ममता कि वह सागर है, जिसमें भावनाएं हिलोर देती है. इसलिए तो कहा जाता है कि अगर ईश्वर को देखना हो, तो मां को देख लेना चाहिए. क्योंकि ईश्वर से भी बड़ी मां होती है. बच्चे चाहे कितने भी बड़े क्यों ना हो जाए. मां के सामने छोटे बच्चे ही होते है. कहा जाता है पूत कुपूत हो सकता है. लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती है.

देखें पूरी रिपोर्ट

'मां का स्थान कोई नहीं ले सकता'
कोरोना संक्रमण के बीच आज मदर डे है और मदर डे के दिन अनेकों लोगों ने अपनी मां को याद करके भावुक हो गए. मंत्री श्याम रजक अपनी मां को याद करते हुए कहते है कि मेरी किस्मत मां के आशीर्वाद से बना है. लेकिन मैं अभागा बेटा हूं, जो अंतिम समय में मैं मां को नहीं देख सका. उनकी सेवा नहीं कर सका. वहीं, मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि मां का स्थान कोई नहीं ले सकता है. मां पीड़ा सह कर बच्चों को जन्म देती है और जन्म के साथ संस्कार भी देती है, जो छाया बनकर जीवन भर साथ रहती हैं.

1914 ई. में ग्रीस से हुई 'मदर डे' की शुरुआत
आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र अपनी मां के बारे में बताते है कि मां भगवान होती है. खुद कष्ट सहकर भी पुत्रों को कष्ट नहीं होने देती है. बता दें कि मदर डे की शुरुआत 1914 ई. में ग्रीस से हुई. वहीं, भारत मे भी मां के प्रति समर्पण दिखाने के लिय यह तारीख मां के नाम किया जाता है.

पटना : बिहार सरकार के मंत्री श्याम रजक, नीरज कुमार सहित आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने अपनी मां को याद करते हुए भावुक हो गए और कहा मां की ममता वह नाम है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है. इसलिए मां तो मां होती है. मां से बड़ा कोई नहीं होता है.

'ईश्वर से भी बड़ी मां होती है'
मां को शब्दों में बांध पाना असंभव है. मां ममता कि वह सागर है, जिसमें भावनाएं हिलोर देती है. इसलिए तो कहा जाता है कि अगर ईश्वर को देखना हो, तो मां को देख लेना चाहिए. क्योंकि ईश्वर से भी बड़ी मां होती है. बच्चे चाहे कितने भी बड़े क्यों ना हो जाए. मां के सामने छोटे बच्चे ही होते है. कहा जाता है पूत कुपूत हो सकता है. लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती है.

देखें पूरी रिपोर्ट

'मां का स्थान कोई नहीं ले सकता'
कोरोना संक्रमण के बीच आज मदर डे है और मदर डे के दिन अनेकों लोगों ने अपनी मां को याद करके भावुक हो गए. मंत्री श्याम रजक अपनी मां को याद करते हुए कहते है कि मेरी किस्मत मां के आशीर्वाद से बना है. लेकिन मैं अभागा बेटा हूं, जो अंतिम समय में मैं मां को नहीं देख सका. उनकी सेवा नहीं कर सका. वहीं, मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि मां का स्थान कोई नहीं ले सकता है. मां पीड़ा सह कर बच्चों को जन्म देती है और जन्म के साथ संस्कार भी देती है, जो छाया बनकर जीवन भर साथ रहती हैं.

1914 ई. में ग्रीस से हुई 'मदर डे' की शुरुआत
आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र अपनी मां के बारे में बताते है कि मां भगवान होती है. खुद कष्ट सहकर भी पुत्रों को कष्ट नहीं होने देती है. बता दें कि मदर डे की शुरुआत 1914 ई. में ग्रीस से हुई. वहीं, भारत मे भी मां के प्रति समर्पण दिखाने के लिय यह तारीख मां के नाम किया जाता है.

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