पटनाः बिहार में आनंद मोहन की रिहाई पर सियासी बवाल जारी है. बिहार सरकार ने लोकसभा चुनाव से पूर्व एक बड़ा फैसला लेकर सबको चौंका दिया है. सरकार के फैसले से बिहार में सियासी भूचाल है. आनंद मोहन के बहाने 26 अन्य अपराधियों को मुक्त किया गया, जिसमें एक कुख्यात अपराधी भी है. भाजपा ने सरकार से दो-दो हाथ के लिए एक्शन प्लान तैयार कर लिया है. माना जा रहा है कि इस रिहाई के बहाने भाजपा बिहार सरकार के खिलाफ बड़ी मुहिम छेड़ने वाली है. इसका अंदाजा सियासी बयानबाजी से लगाया जा सकता है.
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रिहाई में कुछ दुर्दांत अपराधी भी शामिलः बिहार सरकार ने आनंद मोहन को मुक्त करने के लिए नियम में बदलाव किया है. परिहार के तहत आनंद मोहन को जेल से रिहा करने का फैसला लिया गया. आनंद मोहन के बहाने 26 अन्य लोगों को छोड़ा जा रहा है. 26 में कुछ ऐसे लोग हैं, जिसमें कुछ दुर्दांत अपराधी की श्रेणी में आते हैं. ऐसे अपराधियों को लेकर सरकार भी सशंकित है. उन्हें थाने में हाजिरी लगाने का फरमान दिया गया है.
चुनाव को देखते हुए हुआ ऐसाः भाजपा को इस बात का संदेह है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने क्षेत्रवार वोट बैंक की राजनीति को साधने के लिए कैदियों की रिहाई की है. पार्टी की ओर से भी एक्शन प्लान तैयार की जा चुकी है. भाजपा तमाम अपराधियों की कुंडली खंगाल रही है. पार्टी के जिलाध्यक्षों को टास्क भी सौंपा गया है. तमाम जिले के जिलाध्यक्ष अपराधियों के खिलाफ दर्ज मामलों को इकट्ठा कर रहे हैं. आने वाले दिनों में सरकार को भाजपा बेनकाब करेगी. सरकार के अपराधियों के प्रति नरम रुख को भाजपा चुनावी मुद्दा भी बनाने की तैयारी कर रही है.
आनंद मोहनः बात सबसे पहले आनंद मोहन की कर ले तो आनंद मोहन के खिलाफ पूर्व डीएम की हत्या के अलावा और भी मामले दर्ज हैं, जो न्यायालय में विचाराधीन हैं. 3 मामलों में तो आनंद मोहन बेल पर हैं. आनंद मोहन को रिहा करने के लिए जिस तरीके से कानून में संशोधन किया गया उसे लेकर कुछ लोगों को आपत्ति भी है. भाजपा खुलकर सामने आ चुकी है. भाजपा के अलावा कई नामचीन लोग हैं, जो इसका विरोध कर रहे हैं, जिनमें पूर्व आईपीए अधिकारी भी शामिल हैं.
अवधेश मंडलः रिहाई में अवधेश मंडल की भी चर्चा है. कोसी इलाके का अवधेश मंडल पूर्व मंत्री और जदयू नेता बीमा भारती के पति हैं. अवधेश मंडल के खिलाफ दर्जनभर से ज्यादा मामले दर्ज हैं. सीमांचल के इलाके में अवधेश मंडल फैजान गिरोह का संचालन करते थे. अवधेश मंडल का नाम रिहा करने वाली सूची में 27 में नंबर पर है. और वह फिलहाल भागलपुर विशेष केंद्रीय कारा में बंद है. अवधेश मंडल को कुरसेला थाना कांड संख्या 31 / 2001 में 18 अप्रैल 2007 को सजा सुनाई गई थी.
पप्पू सिंहः तीसरा चर्चित नाम पप्पू सिंह उर्फ राजीव रंजन का है. मोतिहारी इलाके में पप्पू सिंह के खिलाफ हत्या अपहरण रंगदारी के कई मामले दर्ज हैं. पप्पू सिंह को 29 नवंबर 2010 को सजा सुनाई गई थी. पप्पू सिंह को 2 वर्ष तक प्रत्येक माह स्थानीय थाने पर उपस्थिति दर्ज कराने को कहा गया है. रिहाई वाली लिस्ट में पप्पू सिंह का भी नाम शामिल है.
देवनंदन नोनियाः जारी सूची में देवनंदन नोनिया का भी मान शामिल है. देवनंदन नोनिया गया जिले का कुख्यात अपराधी है. 31 नवंबर 2013 को देवनंदन नोनिया को सजा सुनाई गई थी. मुफस्सिल थाना कांड संख्या 100/2002 के तहत देवनंदन मुनिया दोषी पाए गए थे. देवनंदन मुनिया को 2 वर्ष तक प्रत्येक माह हानियां थाने में उपस्थिति दर्ज कराने को कहा गया है. इनकी भी चर्चा तेज हो गई है.
शिवजी यादवः रिहाई की लिस्ट में शिवजी यादव पंडारक थाना क्षेत्र का कुख्यात अपराधी है. पंडारक थाना कांड संख्या 5 /2008 में शिवजी यादव पाए गए थे. 10 फरवरी 2011 को शिवजी यादव दोषी पाए गए थे. फ़िलहाल आदर्श केंद्रीय कारा बेउर में बंद हैं और सरकार ने 2 वर्ष तक प्रत्येक महीने स्थानीय थाने में शिवजी यादव को उपस्थिति दर्ज कराने को कहा है.
फैसले पर भाजपा ने आपत्ति जताईः सरकार के फैसले पर भाजपा ने आपत्ति जताई है. पार्टी प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि "आनंद मोहन के बहाने कई कुख्यात अपराधियों को छोड़ा गया है. महागठबंधन के लोग अपराधियों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान करेंगे. भाजपा सरकार को एक्सपोज करेगी और जनता को यह बताने का काम करेगी कि सरकार की मंशा क्या है?"
राजद ने दी सफाईः राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि "सरकार ने नियम और कानून के मुताबिक कैदियों को रिहा करने का फैसला लिया है. सरकार की कोई राजनीतिक मंशा नहीं है. भाजपा के लोग राजनीति कर रहे हैं. भाजपा के लोगों को यह बताना चाहिए कि सुशील मोदी आनंद मोहन की रिहाई के लिए क्यों वकालत कर रहे थे. और अब उनका स्टैंड क्यों बदल गया."
राजनीति कर रही भाजपाः जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि "सरकार ने नियम कानून के मुताबिक फैसला लिया है. कानून में संशोधन कर सरकार ने आम और खास में फर्क खत्म किया है. भाजपा के लोग बेवजह पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक रंग दे रहे हैं. जो भी हुआ है, वह न्याय संगत किया गया है."
आर-पार की लड़ाई लड़ेंगेः पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने सरकार के फैसले के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. अमिताभ कुमार दास ने कहा है कि "आनंद मोहन और अवधेश मंडल सरीखे कैदियों को छोड़ना सही नहीं है. इससे समाज में सही संदेश नहीं जाएगा. हम सरकार के फैसले के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे. इसके लिए कोर्ट में अपील करेंगे और आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे."