पटना: बिहार के बक्सर जिले में जन्में प्रशांत किशोर पांडेय की पहचान एक नेता से कहीं अधिक चुनावी रणनीतिकार की है. उन्हें चुनावी राजनीति में महारत हासिल हैं. आइए जानते हैं बिहार के प्रशांत किशोर पाण्डेय से पीके बनने का उनका राजनीतिक सफर.
बिहार में पले-बढ़े हैं प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर का जन्म साल 1977 में बिहार के बक्सर जिले में हुआ. प्रशांत के पिता डॉ. श्रीकांत पांडे पेशे से चिकित्सक हैं और बक्सर में मेडिकल सुपरिटेंडेंट भी रह चुके हैं. रिटायर होने के बाद बक्सर में ही अपनी क्लिनिक चलाते हैं. मां इंदिरा पांडे हाउस वाइफ हैं. बड़े भाई अजय किशोर पटना में रहते हैं और उनका खुद का कारोबार है. प्रशांत किशोर की दो बहनें भी हैं.
बिहार में शुरुआती पढ़ाई के बाद प्रशांत किशोर ने हैदराबाद में अपनी पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई के बाद उन्होंने यूनिसेफ ज्वाइन किया और वहां ब्रांडिंग की जिम्मेदारी संभाली. यूनिसेफ में कुछ साल काम करने के बाद प्रशांत 2011 में भारत वापस लौटे.
वाइब्रेंट गुजरात की ब्रांडिंग के पीछे pk का हाथ
भारत लौटने के बाद प्रशांत गुजरात सरकार के साथ काम करना शुरू किया. प्रशांत ने नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम 'वाइब्रेंट गुजरात' की ब्रांडिंग का जिम्मा संभाला. इसी दौरान इनकी पहचान नरेंद्र मोदी से हुई. 'वाइब्रेंट गुजरात' का आयोजन बेहद सफल रहा और इसके बाद प्रशांत ने नरेंद्र मोदी के लिए काम करना शुरू किया.
प्रशांत किशोर...राजनीतिक करियर
राजनीतिक करियर की बात करें तो 2014 में मोदी सरकार को सत्ता में लाने की वजह से वह चर्चा में आए थे. उन्हें एक बेहतरीन चुनावी रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता है. हमेशा से वह पर्दे के पीछे रहकर अपनी चुनावी रणनीति को अंजाम देते आए हैं. इसी वजह से उन्हें सबसे ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है.
2014 लोकसभा चुनाव में 'चाय पर चर्चा' और 'थ्री-डी नरेंद्र मोदी' के पीछे पीके का ही दिमाग था. इसी चुनाव के बाद पीके सुर्खियों में आए और जिसके बाद कई पार्टियों ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को चुना.
pk का दिमाग : बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है
2015 में प्रशांत किशोर बिहार विधानसभा चुनाव के समय महागठबंधन के साथ जुड़े और बीजेपी को हराने के लिए रणनीति बनाई. प्रशांत किशोर ने ही 2015 में 'बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है' जैसे लोकप्रिय नारे बनाए थे. जीत के बाद उन्हें जेडीयू का अध्यक्ष पद दिया गया. बाद में प्रशांत किशोर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया.
पंजाब में बल्ले-बल्ले, यूपी में किया निराश
बिहार के बाद प्रशांत किशोर ने यूपी में कांग्रेस और सपा गठबंधन और पंजाब में कांग्रेस के लिए काम किया. यूपी में जहां प्रशांत को निराशा हाथ लगी, वहीं पंजाब में उनका अभियान सफल रहा. 2019 में पश्चिम बंगाल उपचुनाव के लिए और 2019 में आंध्र प्रदेश में वाइएस जगनमोहन रेड्डी की वाइएसआर कांग्रेस के प्रचार अभियान की कमान संभाली थी.
pk आई-पैक नामक संस्था चलाते हैं
बता दें प्रशांत किसोर इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पैक) नामक एक संस्था चलाते है जो लीडरशिप, सियासी रणनीति, मैसेज कैंपेन और भाषणों की ब्रांडिंग का काम करता हैं.