पटनाः सीएम नीतीश कुमार लंबे समय के बाद अपने विधायकों और विधान पार्षदों से मुलाकात कर रहे हैं. सीएम नेताओं से क्षेत्र की समस्या और वहां का फीडबैक ले रहे हैं. अपनी पार्टी के नेताओं से क्षेत्र में रहने का निर्देश दिया है. सीएम और विधायकों की इस मुलाकात के बाद से बिहार में तोड़ मरोड़ की सियासत शुरू हो गई है. राजनीतिक जानकार इसे कुछ और ही बता रहे हैं. यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर नीतीश विधायकों के साथ क्या मंथन कर रहे हैं?
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सियासत पर टिकी नजरः बुधवार को जब सीएम नीतीश कुमार राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे तो ठीक उसी वक्त BJP नेता सुशील मोदी भी पहुंचे थे. इसके बाद से सबकी नजर बिहार की सियासत पर टिकी है. इधर, सीएम नीतीश कुमार का विधायकों और विधान पार्षदों से मिलना आशंका पैदा कर रही है. सभी विधायकों और विधान पार्षदों को क्षेत्र में रहने का निर्देश मिला है. अब तक की राजनीति में सीएम इतना संजीदा नहीं हुए कि विधायकों से क्षेत्र की समस्याओं को सुनें! सवाल है कि विधायकों को इतनी अहमियत क्यों दे रहे हैं, उन्हें किस बात का डर है?
BJP कर सकती है गेम प्लानः राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जोड़-तोड़ की राजनीति के लिए गृह मंत्री अमित शाह का लोहा माना जाता है. अमित शाह का लगातार बिहार दौरा विरोधियों के माथे पर शिकन दे रहा है. यह शिकन सीएम नीतीश कुमार के माथे पर साफ दिख रही है. अमित शाह के दौरे के बाद से नीतीश कुमार अपने विधायकों से मिलने लगे हैं. विधायक और मुख्यमंत्री का मिलना तो आम बात होती है, लेकिन राजनीति में टाइमिंग का महत्व होता है. नीतीश कुमार वाकिफ हैं कि यदि अमित शाह और BJP गेम प्लान करती है तो सबसे पहले जदयू टूटेगी.
विधायककों का दावा अलगः हाल के दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके ही दल के विधायक और एमएलसी को मिलने में मशक्कत करनी पड़ती थी. सीएम से अपॉइंटमेंट लेना पड़ता था, लेकिन राजनीति की बदली परिस्थितियों ने नीतीश कुमार को इतना मजबूर कर दिया कि वह अपने विधायकों को अपने आवास पर बुलाकर समस्याओं को सुन रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर विधायक साफ कह रहे हैं कि उनके क्षेत्र की समस्याओं को जानने के लिए सीएम बुलाए हैं.
क्षेत्र का फिडबैक ले रहें सीएमः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुलाकात के बहाने विधायक को क्षेत्र में रहने का निर्देश दे रहे हैं. नीतीश कुमार ने पहले दिन बेनीपुर विधायक अजय चौधरी से मुलाकात की थी. इसके अलावा विधायक डॉ. संजीव कुमार, विधान पार्षद नीरज कुमार, गुलाम गौस आदि सीएम नीतीश कुमार से मिले हैं. नीतीश कुमार सभी से क्षेत्र का फीडबैक ले रहे हैं. इधर शालिनी मिश्रा, हिलसा विधायक प्रेम मुखिया, पिपरा के विधायक रामविलास कामत भी नीतीश कुमार से मिले हैं.
40 में 40 सीट जीत का दावाः सीएम नीतीश कुमार का विधायकों से मुलाकात के बाद से सियासी माहौल गर्म है. मालूम हो कि सीएम नीतीश कुमार तभी ऐसा करते हैं, जब कोई बड़ा बदलाव होने वाला हो. शुक्रवार को सीएम से मिलने के बाद समाज कल्यान मंत्री मदन सहनी ने कई दावे किए. उन्होंने बताया कि क्षेत्र की समस्या को लेकर नीतीश कुमार मुलाकात कर रहे हैं. बात रही चुनाव का तो उसमें महागठबंधन 40 में 40 सीट जीत रहा है.
बिहार पर ध्यान देना जरूरीः नीतीश कुमार पर सिर्फ अपने विधायक को टूटने से बचाने के अलावे महागठबंधन को टूटने से बचाने की भी जिम्मेदारी है. उन पर जिम्मेदारी है कि वह तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी, अखिलेश प्रसाद यादव, शरद पवार, उद्धव ठाकरे सहित सभी विपक्षी नेताओं को जोड़े रखें. ऐसे में यदि वह बिहार से अपना ध्यान भटकाते हैं तो बीजेपी 'ऑपरेशन जदयू' शुरू कर देगी. इसी बात को लेकर नीतीश कुमार अपने नेताओं से मिलजुल रहे हैं और उन्हें एकजुट कर रहे हैं.
आश्वस्त हो रहे नीतीशः वरीष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का मानना है कि नीतीश कुमार को डर है कि अमित शाह बिहार में कोई बड़ा गेम प्लान कर सकते हैं. शाह जोड़ तोड़ में माहिर हैं. मुख्यमंत्री अपने विधायकों को इसलिए बुलाकर मिल रहे हैं कि वह आश्वस्त हो जाएं कि उनके विधायक टूटने वाले नहीं हैं. क्षेत्र की समस्या सुनना एक बहाना है. यही वजह है कि अपने नेताओं से मेलजोल बढ़ा रहे हैं. इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा का बयान 'जदयू के कई विधायक उनके संपर्क में हैं.' इसके अलावा गाहे-बगाहे बीजेपी के भी नेता यह बयान देते रहे हैं कि कई जदयू विधायक उनके संपर्क में हैं. इसको लेकर नीतीश कुमार को शक है.
सुशील मोदी ने क्या कहा?: BJP राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने पिछले 13 से 14 साल में विधायकों को समय नहीं दिया, लेकिन अब विधायकों को बुला बुलाकर मिल रहे हैं. उन्हें डर है कि कहीं उनके विधायक कहीं और न चले जाएं. वहीं, दूसरी ओर सुशील ने यह भी आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार खास वर्ग के विधायकों से ही मुलाकात कर रहे हैं.
क्या सियासत पलटेगी?: कुल मिलाकर देखा जाय तो बिहार में सियासत पलट सकती है, क्योंकि इससे पहले भी जब सीएम नीतीश कुमार NDA से अलग हुए थे तो अपने विधायकों को क्षेत्र में रहने का निर्देश दिया था. इस निर्देश के तुरंत बाद महागठबंधन बनाकर सरकार बनाई थी. बिहार की सियासत में नीतीश कुमार का विधायकों से मिलना कोई आम बात नहीं है. ऊपर से विपक्ष का दावा भी इस ओर इशारा कर रहा है. अब देखना है कि बिहार में क्या बदलाव होता है.