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बिहार में शराबबंदी पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने - बिहार न्यूज

शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बिहार में यह पहला आम चुनाव है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव की घोषणा के बाद शराब की खपत बिहार में बढ़नी शुरू हो गई है.

शराबबंदी पर आमने-सामने
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Published : Apr 2, 2019, 3:39 PM IST

पटना: बिहार में शराबबंदी 2015 से लागू है. राज्य में शराब खरीदना बेचना और पीना दंडनीय अपराध है. इसके बावजूद रोजाना इस मामले में कई गिरफ्तारियां होती रहती है. देश में आदर्श आचार संहिता लगे तकरीबन 3 सप्ताह बीत चुके हैं. इन 3 सप्ताहों में 6 लाख लीटर शराब जब्त किए गए हैं.

शराबबंदी पर आमने-सामने

शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बिहार में यह पहला आम चुनाव है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव की घोषणा के बाद शराब की खपत बिहार में बढ़नी शुरू हो गई है. इसका असर मतदान पर पड़ सकता है. प्रशासन के सामने सवाल यह खड़ा उठता होता है कि अगर आचार संहिता लगने के बाद भी इतनी भारी मात्रा में अवैध शराब कैसे लाया जा रहा है.

शराबबंदी पर राजनीतिक दल आमने-सामने

शराबबंदी पर सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी राय बड़ी बेबाकी से रखते हैं. सत्ता पक्ष यह कहते नहीं थकते कि कानून अपना काम कर रही है. और शराब के धंधा में लिप्त सभी तरह के लोग जेल भेजे जा रहे हैं. वहीं जेडीयू नेता देश कुमार कहते हैं कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू है. सभी राजनीतिक दलों को यह नहीं भूलना चाहिए कि सबकी सहमति से या कानून लागू किया गया था. अभी से प्रदेश में आचार संहिता लागू है. कानून-व्यवस्था चुनाव आयोग के हाथों में है लेकिन शराब तस्करी में लिप्त किसी भी तरीके के लोगों को बख्शा नहीं जा सकता.

विपक्ष ने लगाया आरोप

इस मामले पर राजद नेता भाई वीरेंद्र कहते हैं कि बिहार में शराबबंदी को मजाक बना कर के रखा गया है. सरकार पूरी तरीके से विफल हो चुकी है. राजद नेता आरोप लगाते हुए कहते हैं कि जिलो के अधिकारियों की बोली लगाई जाती है. जिसके वजह से शराबबंदी कानून मजाक बनकर रह गया है.

चुनाव आयोग का आदेश

चुनाव आयोग के बिहार दौरे में भी शराबबंदी कानून को लेकर कई सवाल उठाए गए थे. खुद मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बिहार के मुख्य सचिव डीजीपी से इसको लेकर कई गंभीर सवाल किए थे. अरोड़ा ने कहा था कि इस चुनाव में बिहार में शराबबंदी को शक्ति से लागू करना आयोग के लिए बड़ी चुनौती है. जिसे सख्ती से पालन किया जाये.

  • अंतिम 3 सप्ताह में राज्य में हुई कार्रवाई का आंकड़ा.
  • 6 लाख लीटर शराब की हुई जब्त
  • 750 अवैध हथियार हुए जब्त.
  • 3465 कारतूस बरामद.
  • 41 बम बरामद किए गए.
  • 24829 गिरफ्तारियां की गई.( यह गिरफ्तारी नन बेलेबल वारंट के विरुद्ध की गई है)
  • वाहन चेकिंग के दौरान कुल 4 करोड 11 लाख जुर्माना वसूले गए.
  • 2531 हथियार का लाइसेंस किया गया रद्द.
  • सीआरपीसी के तहत कुल 41876 मामले दर्ज हुए.

पटना: बिहार में शराबबंदी 2015 से लागू है. राज्य में शराब खरीदना बेचना और पीना दंडनीय अपराध है. इसके बावजूद रोजाना इस मामले में कई गिरफ्तारियां होती रहती है. देश में आदर्श आचार संहिता लगे तकरीबन 3 सप्ताह बीत चुके हैं. इन 3 सप्ताहों में 6 लाख लीटर शराब जब्त किए गए हैं.

शराबबंदी पर आमने-सामने

शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बिहार में यह पहला आम चुनाव है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव की घोषणा के बाद शराब की खपत बिहार में बढ़नी शुरू हो गई है. इसका असर मतदान पर पड़ सकता है. प्रशासन के सामने सवाल यह खड़ा उठता होता है कि अगर आचार संहिता लगने के बाद भी इतनी भारी मात्रा में अवैध शराब कैसे लाया जा रहा है.

शराबबंदी पर राजनीतिक दल आमने-सामने

शराबबंदी पर सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी राय बड़ी बेबाकी से रखते हैं. सत्ता पक्ष यह कहते नहीं थकते कि कानून अपना काम कर रही है. और शराब के धंधा में लिप्त सभी तरह के लोग जेल भेजे जा रहे हैं. वहीं जेडीयू नेता देश कुमार कहते हैं कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू है. सभी राजनीतिक दलों को यह नहीं भूलना चाहिए कि सबकी सहमति से या कानून लागू किया गया था. अभी से प्रदेश में आचार संहिता लागू है. कानून-व्यवस्था चुनाव आयोग के हाथों में है लेकिन शराब तस्करी में लिप्त किसी भी तरीके के लोगों को बख्शा नहीं जा सकता.

विपक्ष ने लगाया आरोप

इस मामले पर राजद नेता भाई वीरेंद्र कहते हैं कि बिहार में शराबबंदी को मजाक बना कर के रखा गया है. सरकार पूरी तरीके से विफल हो चुकी है. राजद नेता आरोप लगाते हुए कहते हैं कि जिलो के अधिकारियों की बोली लगाई जाती है. जिसके वजह से शराबबंदी कानून मजाक बनकर रह गया है.

चुनाव आयोग का आदेश

चुनाव आयोग के बिहार दौरे में भी शराबबंदी कानून को लेकर कई सवाल उठाए गए थे. खुद मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बिहार के मुख्य सचिव डीजीपी से इसको लेकर कई गंभीर सवाल किए थे. अरोड़ा ने कहा था कि इस चुनाव में बिहार में शराबबंदी को शक्ति से लागू करना आयोग के लिए बड़ी चुनौती है. जिसे सख्ती से पालन किया जाये.

  • अंतिम 3 सप्ताह में राज्य में हुई कार्रवाई का आंकड़ा.
  • 6 लाख लीटर शराब की हुई जब्त
  • 750 अवैध हथियार हुए जब्त.
  • 3465 कारतूस बरामद.
  • 41 बम बरामद किए गए.
  • 24829 गिरफ्तारियां की गई.( यह गिरफ्तारी नन बेलेबल वारंट के विरुद्ध की गई है)
  • वाहन चेकिंग के दौरान कुल 4 करोड 11 लाख जुर्माना वसूले गए.
  • 2531 हथियार का लाइसेंस किया गया रद्द.
  • सीआरपीसी के तहत कुल 41876 मामले दर्ज हुए.
Intro:बिहार में शराबबंदी 2015 से लागू है राज्य में शराब खरीदना बेचना और पीना दंडनीय अपराध है। बावजूद इसके रोजाना इस मामले में कई गिरफ्तारियां होती रहती है।
देश में आदर्श आचार संहिता लगे तकरीबन 3 सप्ताह बीत चुके हैं। इन 3 सप्ताहों में 6 लाख लीटर शराब जप्त किए गए हैं। इस हिसाब से औसतन 25 से 26 हजारलीटर शराब रोज जप्त गए हैं। शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बिहार में यह पहला आम चुनाव है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव की घोषणा के बाद शराब की खबर बिहार में बढ़नी शुरू हो गई है । इसका असर मतदान पर पड़ सकता है।
सवाल यह खड़ा उठता होता है कि अगर आचार संहिता लगने के बाद भी इतनी भारी मात्रा में अवैध शराब पकड़े जा रहे हैं तो अन्य दिनों का हाल क्या होगा?


Body:हालांकि इन मसलों पर सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी राय बड़ी बेबाकी से रखते हैं। सत्ता पक्ष यह कहते नहीं थकता कि कानून अपना काम कर रही है। और शराब के धंधा में लिप्त सभी तरह के लोग जेल भेजे जा रहे हैं। जेडीयू नेता देश कुमार कहते हैं कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू है । सभी राजनीतिक दलों को यह नहीं भूलना चाहिए कि सबकी सहमति से या कानून लागू किया गया था। एक सवाल के जवाब में नीरज कुमार कहते हैं कि जो कि अभी से प्रदेश में आचार संहिता लागू है । कानून-व्यवस्था चुनाव आयोग के हाथों है लेकिन शराब में लिप्त किसी भी तरीके के लोगों को बख्शा नहीं जा रहा है।


Conclusion:इस मामले पर विपक्ष के नेता सरकार को कटघरे में खड़ा करते हैं। राजद नेता भाई वीरेंद्र कहते हैं कि बिहार में 7 बंदे का मजाक बना कर के रखा गया है। सरकार पूरी तरीके से विफल हो चुकी है । राजद नेता आरोप लगाते हुए कहते हैं, कि जिलो के अधिकारियों की बोली लगाई जाती है । जिसके वजह से शराब बंदी कानून मजाक बनकर रह गया है।
चुनाव आयोग के बिहार दौरे में भी शराबबंदी कानून को लेकर कई सवाल उठाए गए थे । खुद मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बिहार के मुख्य सचिव डीजीपी से इसको लेकर कई गंभीर सवाल किए थे। अरोड़ा ने कहा था कि इस चुनाव में बिहार में शराबबंदी को शक्ति से लागू करना आयोग के लिए बड़ी चुनौती है।

अंतिम 3 सप्ताह में राज्य में हुई कार्रवाई का आंकड़ा...

6 लाख लीटर शराब की हुई जप्ती।

750 अवैध हथियार हुए जप्त।

3465 कारतूस हुये बरामद।

41 बम बरामद किए गए।

24829 गिरफ्तारियां की गई । यह गिरफ्तारी नन बेलेबल वारंट के विरुद्ध की गई है।



वाहन चेकिंग के दौरान कुल 4 करोड 11 लाख जुर्माना वसूले गए।

2531 हथियार का लाइसेंस किया गया रद्द।

सीआरपीसी के तहत कुल 41876 मामले दर्ज हुए।
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