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Bihar Politics : उलझन में बिहार का अल्पसंख्यक पसमांदा वोट बैंक, MY में सेंधमारी के लिए BJP तैयार

मिशन 2024 को साधने के लिए राजनीतिक दलों ने शतरंज की बिसात पर मोहरे बिछाने शुरू कर दिए हैं. बिहार में पसमांदा वोट बैंक हॉट केक की तरह है. राजद के एमवाई समीकरण के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है और पसमांदा मुसलमानों ने बिहार की राजनीति को उलझा दिया है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jun 27, 2023, 10:05 PM IST

बिहार में पसमांदा वोट बैंक पर राजनीति

पटना: बिहार में 16 से 18% के बीच आबादी मुसलमानों की है और लालू प्रसाद यादव ने मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए एमवाई समीकरण के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत की थी. मुस्लिमों में भी बहुतायत आबादी पसमांदा मुसलमानों की है. पसमांदा मुसलमानों को अब तक उनका वाजिब हक नहीं मिल पाया है. कुछ एक लोगों को राज्यसभा या विधान परिषद भेजा गया, लेकिन इसके बावजूद पसमांदा समुदाय सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से बिहार के अंदर निचले पायदान पर हैं

ये भी पढ़ें : महागठबंधन से निपटने के लिए भाजपा का एक्शन प्लान, पसमांदा, अति पिछड़ा और दलित वोट बैंक साधने की तैयारी

जेडीयू ने दो पसमांदा नेताओं को भेजा राज्यसभा : पसमांदा मुसलमानों को लेकर आवाज पहले भी उठती रही है. डॉ एजाज अली और अली अनवर पुरजोर तरीके से आवाज उठाते रहे हैं. दोनों नेताओं को जदयू की ओर से राज्यसभा भेजा गया था. पसमांदा वोट को साधने के लिए नीतीश कुमार ने पसमांदा कार्ड खेला था. आपको बता दें कि एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में पसमांदा मुसलमानों की संख्या 80% से अधिक बताई जाती है. मुसलमानों में बहुसंख्यक होने के बाद भी पसमांदा मुसलमान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ा हुआ है.

पसमांदा समाज ने रखी सरकार से मांगें: अब जबकि लोकसभा चुनाव नजदीक है, वैसे में पसमांदा आंदोलन जोर पकड़ने लगा है. जुलाई अगस्त महीने में बापू सभागार में पसमांदा समाज के लोग जुटकर आवाज बुलंद करेंगे. पसमांदा समाज के लोगों ने समाज के उत्थान के लिए सरकार के सामने मांगे भी रखी है. पहली मांग पसमान्दा मुस्लिम समाज को भारत के सम्पूर्ण संसाधन का जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी सुनिश्चित होनी चाहिए. दूसरा, केन्द्र सरकार जस्टिस सच्चर आयोग और रंगनाथ मिश्रा कमिशन की सभी सिफारिशों को संसद के माध्यम से इसी सत्र में पास करे.

भाजपा के साथ जाने पर भी परहेज नहीं : तीसरी मांग, समान नागरिक संहिता कानून को जबरन‌ थोपने के बजाये अनुसूचित जाति जनजाति, इसाई, सिख व पसमान्दा मुस्लिम के साथ विभिन्न मतों के हिन्दू भाई बहनों की आम राय से सरकार एक उच्च स्तरीय आयोग का गठन करे. इसमें सभी समुदाय व मतावलंबियों का प्रतिनिधित्व हो, ताकि सभी के धार्मिक आस्थाओं को‌ संवैधानिक तरीके से संरक्षित किया जाये. पसमांदा समुदाय के लोगों ने सेक्युलरिज्म की राजनीति से तौबा कर लिया है. उनका मानना है कि जो कोई भी उनके हक की बात करेगा. वह उनके साथ जा सकते हैं. भाजपा जैसी पार्टी से भी उन्हें परहेज नहीं है.

बीजेपी नेता पसमांदा समुदाय के बीच कर रहे काम: मौके की नजाकत को भाजपा भी बखूबी समझ रही है. पसमांदा वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने बिहार में दलित नेता संजय पासवान को लगाया है. संजय पासवान बिहार के कई जिलों में सम्मेलन कर चुके हैं. इसके अलावा सूफी संतों के जरिए भी भाजपा पसमांदा मुसलमानों को करीब लाने की कोशिश कर रही है. साथ ही साथ जो भी सरकारी योजनाएं हैं. उन सब को पसमांदा मुस्लिम तक पहुंचाने के लिए भाजपा नेता काम कर रहे हैं.

मुस्लिम आबादी में 80 प्रतिशत पसमांदा मुसलमान : पसमांदा मंसूरी डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक प्रोफेसर फिरोज मंसूरी ने कहा है कि राजनीतिक दलों ने अब तक पसमांदा मुस्लिमों को ठगने का काम किया है और आज भी समाज उपेक्षित है. हमारी आबादी मुसलमानों में 80% से ज्यादा है. हमारी मांगों को जो कोई गठबंधन पूरा करेगा. हम उसके साथ जा सकते हैं. भाजपा जैसी पार्टी के साथ जाने में भी हमें कोई परहेज नहीं है. हम बापू सभागार में सम्मेलन कर अपनी मांगों के पक्ष में आवाज भी बुलंद करने वाले हैं.

"राजनीतिक दलों ने अब तक पसमांदा मुस्लिमों को ठगने का काम किया है और आज भी समाज उपेक्षित है. हमारी आबादी मुसलमानों में 80% से ज्यादा है. हमारी मांगों को जो कोई गठबंधन पूरा करेगा. हम उसके साथ जा सकते हैं. भाजपा जैसी पार्टी के साथ जाने में भी हमें कोई परहेज नहीं है. हम बापू सभागार में सम्मेलन कर अपनी मांगों के पक्ष में आवाज भी बुलंद करने वाले हैं" - प्रोफेसर फिरोज मंसूरी, राष्ट्रीय संयोजक, पसमांदा मंसूरी डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन

आरजेडी का दावा, अल्पसंख्यक समुदाय उनसे इंटैक्ट: वहीं राष्ट्रीय जनता दल अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अनवर आलम ने कहा है कि "अल्पसंख्यक पूरी तरह राष्ट्रीय जनता दल के साथ इंटैक्ट हैं. लालू प्रसाद यादव ने पसमांदा मुसलमानों को सबसे ज्यादा सम्मान दिया है. आधे दर्जन से ज्यादा नेताओं को महत्वपूर्ण पद दिए हैं." इस पर भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि राजद और कांग्रेस के लोगों ने अब तक मुस्लिमों को ठगा है. बीजेपी पसमांदा मुसलमानों की चिंता कर रही है और हम लगातार उनके बीच जा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी उनके उत्थान के लिए लगातार काम कर रहे हैं.

"राजद और कांग्रेस के लोगों ने अब तक मुस्लिमों को ठगा है. बीजेपी पसमांदा मुसलमानों की चिंता कर रही है और हम लगातार उनके बीच जा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी उनके उत्थान के लिए लगातार काम कर रहे हैं" - विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

पसमांदा वोट बैंक में बीजेपी कर रही सेंधमारी की कोशिश : इधर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि पसमांदा वोट बैंक बड़ा चंक है. सभी दलों की नजर इस वोट बैंक पर है. भारतीय जनता पार्टी भी पसमांदा वोट बैंक पर सेंधमारी के लिए कोशिश कर रही है. अगर थोड़ा बहुत भी भाजपा सेंधमारी करने में कामयाब हो जाती है, तो लोकसभा चुनाव में भाजपा विपक्ष को पटखनी दे सकती है.

"पसमांदा वोट बैंक बड़ा चंक है. सभी दलों की नजर इस वोट बैंक पर है. भारतीय जनता पार्टी भी पसमांदा वोट बैंक पर सेंधमारी के लिए कोशिश कर रही है. अगर थोड़ा बहुत भी भाजपा सेंधमारी करने में कामयाब हो जाती है, तो लोकसभा चुनाव में भाजपा विपक्ष को पटखनी दे सकती है" - कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक

बिहार में पसमांदा वोट बैंक पर राजनीति

पटना: बिहार में 16 से 18% के बीच आबादी मुसलमानों की है और लालू प्रसाद यादव ने मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए एमवाई समीकरण के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत की थी. मुस्लिमों में भी बहुतायत आबादी पसमांदा मुसलमानों की है. पसमांदा मुसलमानों को अब तक उनका वाजिब हक नहीं मिल पाया है. कुछ एक लोगों को राज्यसभा या विधान परिषद भेजा गया, लेकिन इसके बावजूद पसमांदा समुदाय सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से बिहार के अंदर निचले पायदान पर हैं

ये भी पढ़ें : महागठबंधन से निपटने के लिए भाजपा का एक्शन प्लान, पसमांदा, अति पिछड़ा और दलित वोट बैंक साधने की तैयारी

जेडीयू ने दो पसमांदा नेताओं को भेजा राज्यसभा : पसमांदा मुसलमानों को लेकर आवाज पहले भी उठती रही है. डॉ एजाज अली और अली अनवर पुरजोर तरीके से आवाज उठाते रहे हैं. दोनों नेताओं को जदयू की ओर से राज्यसभा भेजा गया था. पसमांदा वोट को साधने के लिए नीतीश कुमार ने पसमांदा कार्ड खेला था. आपको बता दें कि एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में पसमांदा मुसलमानों की संख्या 80% से अधिक बताई जाती है. मुसलमानों में बहुसंख्यक होने के बाद भी पसमांदा मुसलमान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ा हुआ है.

पसमांदा समाज ने रखी सरकार से मांगें: अब जबकि लोकसभा चुनाव नजदीक है, वैसे में पसमांदा आंदोलन जोर पकड़ने लगा है. जुलाई अगस्त महीने में बापू सभागार में पसमांदा समाज के लोग जुटकर आवाज बुलंद करेंगे. पसमांदा समाज के लोगों ने समाज के उत्थान के लिए सरकार के सामने मांगे भी रखी है. पहली मांग पसमान्दा मुस्लिम समाज को भारत के सम्पूर्ण संसाधन का जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी सुनिश्चित होनी चाहिए. दूसरा, केन्द्र सरकार जस्टिस सच्चर आयोग और रंगनाथ मिश्रा कमिशन की सभी सिफारिशों को संसद के माध्यम से इसी सत्र में पास करे.

भाजपा के साथ जाने पर भी परहेज नहीं : तीसरी मांग, समान नागरिक संहिता कानून को जबरन‌ थोपने के बजाये अनुसूचित जाति जनजाति, इसाई, सिख व पसमान्दा मुस्लिम के साथ विभिन्न मतों के हिन्दू भाई बहनों की आम राय से सरकार एक उच्च स्तरीय आयोग का गठन करे. इसमें सभी समुदाय व मतावलंबियों का प्रतिनिधित्व हो, ताकि सभी के धार्मिक आस्थाओं को‌ संवैधानिक तरीके से संरक्षित किया जाये. पसमांदा समुदाय के लोगों ने सेक्युलरिज्म की राजनीति से तौबा कर लिया है. उनका मानना है कि जो कोई भी उनके हक की बात करेगा. वह उनके साथ जा सकते हैं. भाजपा जैसी पार्टी से भी उन्हें परहेज नहीं है.

बीजेपी नेता पसमांदा समुदाय के बीच कर रहे काम: मौके की नजाकत को भाजपा भी बखूबी समझ रही है. पसमांदा वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने बिहार में दलित नेता संजय पासवान को लगाया है. संजय पासवान बिहार के कई जिलों में सम्मेलन कर चुके हैं. इसके अलावा सूफी संतों के जरिए भी भाजपा पसमांदा मुसलमानों को करीब लाने की कोशिश कर रही है. साथ ही साथ जो भी सरकारी योजनाएं हैं. उन सब को पसमांदा मुस्लिम तक पहुंचाने के लिए भाजपा नेता काम कर रहे हैं.

मुस्लिम आबादी में 80 प्रतिशत पसमांदा मुसलमान : पसमांदा मंसूरी डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक प्रोफेसर फिरोज मंसूरी ने कहा है कि राजनीतिक दलों ने अब तक पसमांदा मुस्लिमों को ठगने का काम किया है और आज भी समाज उपेक्षित है. हमारी आबादी मुसलमानों में 80% से ज्यादा है. हमारी मांगों को जो कोई गठबंधन पूरा करेगा. हम उसके साथ जा सकते हैं. भाजपा जैसी पार्टी के साथ जाने में भी हमें कोई परहेज नहीं है. हम बापू सभागार में सम्मेलन कर अपनी मांगों के पक्ष में आवाज भी बुलंद करने वाले हैं.

"राजनीतिक दलों ने अब तक पसमांदा मुस्लिमों को ठगने का काम किया है और आज भी समाज उपेक्षित है. हमारी आबादी मुसलमानों में 80% से ज्यादा है. हमारी मांगों को जो कोई गठबंधन पूरा करेगा. हम उसके साथ जा सकते हैं. भाजपा जैसी पार्टी के साथ जाने में भी हमें कोई परहेज नहीं है. हम बापू सभागार में सम्मेलन कर अपनी मांगों के पक्ष में आवाज भी बुलंद करने वाले हैं" - प्रोफेसर फिरोज मंसूरी, राष्ट्रीय संयोजक, पसमांदा मंसूरी डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन

आरजेडी का दावा, अल्पसंख्यक समुदाय उनसे इंटैक्ट: वहीं राष्ट्रीय जनता दल अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अनवर आलम ने कहा है कि "अल्पसंख्यक पूरी तरह राष्ट्रीय जनता दल के साथ इंटैक्ट हैं. लालू प्रसाद यादव ने पसमांदा मुसलमानों को सबसे ज्यादा सम्मान दिया है. आधे दर्जन से ज्यादा नेताओं को महत्वपूर्ण पद दिए हैं." इस पर भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि राजद और कांग्रेस के लोगों ने अब तक मुस्लिमों को ठगा है. बीजेपी पसमांदा मुसलमानों की चिंता कर रही है और हम लगातार उनके बीच जा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी उनके उत्थान के लिए लगातार काम कर रहे हैं.

"राजद और कांग्रेस के लोगों ने अब तक मुस्लिमों को ठगा है. बीजेपी पसमांदा मुसलमानों की चिंता कर रही है और हम लगातार उनके बीच जा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी उनके उत्थान के लिए लगातार काम कर रहे हैं" - विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

पसमांदा वोट बैंक में बीजेपी कर रही सेंधमारी की कोशिश : इधर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि पसमांदा वोट बैंक बड़ा चंक है. सभी दलों की नजर इस वोट बैंक पर है. भारतीय जनता पार्टी भी पसमांदा वोट बैंक पर सेंधमारी के लिए कोशिश कर रही है. अगर थोड़ा बहुत भी भाजपा सेंधमारी करने में कामयाब हो जाती है, तो लोकसभा चुनाव में भाजपा विपक्ष को पटखनी दे सकती है.

"पसमांदा वोट बैंक बड़ा चंक है. सभी दलों की नजर इस वोट बैंक पर है. भारतीय जनता पार्टी भी पसमांदा वोट बैंक पर सेंधमारी के लिए कोशिश कर रही है. अगर थोड़ा बहुत भी भाजपा सेंधमारी करने में कामयाब हो जाती है, तो लोकसभा चुनाव में भाजपा विपक्ष को पटखनी दे सकती है" - कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक

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