पटनाः वरिष्ठ नेता और 'वन मैन ऑपोजिशन' के नाम से प्रसिद्ध रघुवंश प्रसाद सिंह ने रविवार को दुनिया को अलविदा कह दिया. दिल्ली एम्स में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. पूर्व केंद्रीय मंत्री की अचानक तबीयत बिगड़ने से उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था. शुक्रवार से उन्हें वेटिंलेटर सपोर्ट पर रखा गया था.
निभाई कई अहम भूमिका
रघुवंश प्रसाद सिंह का जन्म 6 जून 1946 को हुआ. 1977 से वे लगातार सियासत में बने रहे थे. रघुवंश बाबू ने अपने 43 साल के राजनीतिक सफर में कई अहम भूमिका निभाई. लालू प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री बनाने में भी उनका अहम योगदान रहा. मनरेगा कानून बनवाना और उसे लागू करवाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है.
राज्य से लेकर केंद्र मंत्री तक का पदभार
वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने 1977 में पहली बार सीतामढ़ी के बेलसंड से बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज करके विधायक बने. इसके बाद वे लगातार राजनीतिक ऊंचाइयों को छूते रहे. अपने राजनीतिक सफर में रघुवंश बाबू ने राज्य मंत्री से लेकर केंद्र मंत्री तक का पदभार संभाला.
राजनीतिक सफरनामा...
- रघुवंश प्रसाद सिंह ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्र आंदोलनों में भाग लिया.
- 1973 में उन्हें संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का सचिव नियुक्त किया गया
- 1977 में पहली बार बेलसंड से बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा. बेलसंड से उनकी जीत का सिलसिला 1985 तक चलता रहा.
- 1991 में बिहार विधान पार्षद के सदस्य बने
- कर्पूरी ठाकुर कैबिनेट में रहे मंत्री
- 1995 में लालू मंत्रीमंडल में बनाए गए ऊर्जा और पुनर्विकास मंत्री
- 1996 में वैशाली से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे
- वैशाली से उन्होंने लगातार पांच बार जीत दर्ज की.
- रघुवंश प्रसाद सिंह 1996 में केंद्र की राजनीति में आ चुके थे, लेकिन उन्हें असली पहचान 1999 से 2004 के बीच मिली
- एच डी देवगौड़ा की सरकार में बिहार कोटे से राज्य मंत्री बनें
- इंद्र कुमार गुजराल सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई.
- 1999 में जब लालू प्रसाद यादव हार गए तो रघुवंश प्रसाद को दिल्ली में राष्ट्रीय जनता दल के संसदीय दल का अध्यक्ष बनाया गया.
- रघुवंश प्रसाद सिंह ने एक दिन में कम से कम 4 और अधिकतम 9 मुद्दों पर अपनी पार्टी की राय रखी थी. यह एक किस्म का रिकॉर्ड था.
- वन मैन ऑपोजिशन का मिला था उपनाम
- 2004 से 2009 तक रहे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना बनाने और लागू करवाने में रघुवंश बाबू ने अहम भूमिका निभाई
- 2009 में लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस जॉइन करने का प्रस्ताव मिला था, लेकिन उन्होंने लालू यादव का साथ नहीं छोड़ा
सभी पदों से दे दिया था इस्तीफा
रघुवंश प्रसाद सिंह लालू यादव के काफी करीबी माने जाते थे. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के संकटमोचक रहे रघुवंश बाबू ने खराब समय में भी उनका साथ नहीं छोड़ा. रामा सिंह को आरजेडी में शामिल करने की अटकलों से वे काफी नाराज थे. इसके विरोध उन्होंने पार्टी में रहते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सहित सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था.
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प्रिय रघुवंश बाबू! ये आपने क्या किया?
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) September 13, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
मैनें परसों ही आपसे कहा था आप कहीं नहीं जा रहे है। लेकिन आप इतनी दूर चले गए।
नि:शब्द हूँ। दुःखी हूँ। बहुत याद आएँगे।
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नि:शब्द हूँ। दुःखी हूँ। बहुत याद आएँगे।
लालू ने किया भावुक ट्वीट
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने तीन दिन पहले दिल्ली एम्स से एक पत्र लिखकर आरजेडी से इस्तीफे का ऐलान कर दिया. हालांकि, आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने उनके इस्तीफे को नामंजूर कर दिया था. रघुवंश प्रसाद के निधन पर लालू प्रसाद ने भावुक ट्वीट करके गहरा दुख जताया.