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नीति आयोग की रिपोर्ट पर नीतीश सरकार को आपत्ति, विपक्ष ने कहा- 'मतलब प्रधानमंत्री पर ही भरोसा नहीं'

नीति आयोग (NITI Aayog) ने जिला अस्पतालों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें बिहार में एक लाख की आबादी पर जिलों में केवल 6 बेड होने की बात कही गई है, जबकि देश में औसतन 24 बेड है. ऐसे में विपक्ष नीतीश सरकार (Nitish Government) के विकास के दावे पर सवाल खड़ा कर रहा है. पढ़ें रिपोर्ट...

नीति आयोग
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Published : Oct 3, 2021, 3:55 PM IST

पटना: नीति आयोग (NITI Aayog) की एक के बाद एक आ रही रिपोर्ट ने नीतीश सरकार (Nitish Government) की मुश्किलें बढ़ा दी है. एसडीजी इंडेक्स 2021 में बिहार को सबसे निचले पायदान पर रखा गया था और उसको लेकर बिहार सरकार की तरफ से आपत्ति भी दर्ज कराई गई. अब नीति आयोग की ओर से जिला अस्पतालों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें बिहार में एक लाख की आबादी पर जिलों में केवल 6 बेड होने की बात कही गई है, जबकि देश में औसतन 24 बेड है.

ये भी पढ़ें- सवालः 'सर.. नीति आयोग की रिपोर्ट पर क्या कहेंगे?' CM नीतीश कुमार का जवाब- 'पता नहीं'

नीति आयोग की रिपोर्ट में लगातार बिहार के निचले पायदान पर रहने पर विपक्ष नीतीश सरकार के विकास के दावे पर सवाल खड़ा कर रहा है. नीति आयोग की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज कराने पर भी विपक्ष कह रहा है कि इसका मतलब प्रधानमंत्री पर विश्वास नहीं है. लगातार नीति आयोग की रिपोर्ट में निचले पायदान पर आने के बाद बिहार सरकार ने भी अब जिलों की रैंकिंग करने का फैसला लिया है. लेकिन, नीति आयोग की रिपोर्ट को लेकर तेजस्वी यादव लगातार हमला बोल रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

''नीति आयोग का गठन प्रधानमंत्री ने किया है, जब नीति आयोग की रिपोर्ट पर विश्वास नहीं है, इसका मतलब प्रधानमंत्री पर विश्वास नहीं है.''- मनोज झा, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आरजेडी

ये भी पढ़ें- पत्रकारों का सवालः 'सर.. नीति आयोग की रिपोर्ट पर क्या कहेंगे?' स्वास्थ्य मंत्री का जवाब- 'चलिए ना..'

नीति आयोग की ओर से जिला अस्पतालों के कामकाज को लेकर जारी रिपोर्ट के बाद नीतीश सरकार फिर से एक बार विपक्ष के निशाने पर है. नीति आयोग की रिपोर्ट में कुछ खास सेवाओं के तहत देश के 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 75 जिला अस्पतालों की उपलब्धि काफी अच्छी पाई गई है. नीति आयोग ने अपने इस अध्ययन में अस्पतालों के बेड की उपलब्धता, मरीजों को मिलने वाली जांच सुविधा, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ही मेडिकल स्टाफ की संख्या, चिकित्सा की लिए डॉक्टरों की उपलब्धता को आधार बनाया गया है .

''नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार निचले पायदान पर रहता है, यह चिंता की बात है. इसका बड़ा कारण नीति आयोग ने जो मापदंड तय किया है बिहार की ब्यूरोक्रेसी उस आधार पर काम नहीं कर रही है. वैसे तो बिहार में कई क्षेत्रों में अच्छा काम हुआ है, लेकिन नीति आयोग अपने हिसाब से चीजों को तय करता है और उस को ध्यान में रखना होगा.''- अजय झा, विशेषज्ञ प्रोफेसर

ये भी पढ़ें- नीतीश पर तेजस्वी का तंज: मुझसे क ख ग घ पूछते थे, इन्हें खुद नीति आयोग की रिपोर्ट नहीं पता

आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल, सीईओ अमिताभ कांत भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. रोडरिको आफरीन और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में जारी किया गया. पहले भी नीति आयोग की रिपोर्ट पर नीतीश सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी. अब नीति आयोग के स्वास्थ्य संबंधित रिपोर्ट पर किरकिरी हो रही है. SDG इंडेक्स 2021 पर नीतीश सरकार ने आपत्ति भी दर्ज कराई थी. योजना विकास विभाग के मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा था कि नीति आयोग बिहार के साथ न्याय नहीं कर रहा है और नीति आयोग को एक मेमोरेंडम भी भेजा था. जेडीयू और बीजेपी के नेता नीति आयोग की रिपोर्ट से असहज हैं.

''सरकार ने हर क्षेत्र में विकास किया है. आरजेडी सरकार के समय तो बिहार कहीं था भी नहीं.''- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

''रिपोर्ट में जरूर नीचे हैं, लेकिन हम लोग एनडीए की सरकार में लगातार विकास कर रहे हैं और नई ऊंचाइयों को छुएंगे.''- विवेकानंद पासवान, बीजेपी प्रवक्ता

ये भी पढ़ें- नीति आयोग की रिपोर्ट को लेकर तेजप्रताप का CM पर तंज, 'जो अफसर पढ़ाते हैं, वही बोलते हैं मुख्यमंत्री'

नीति आयोग की रिपोर्ट ने बिहार सरकार के विकास के दावे की हवा निकाल दी है. ऐसे नीति आयोग की तर्ज पर अब बिहार सरकार ने 2030 तक सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने के लिए जिलों की रैंकिंग करने का फैसला लिया है और इसके लिए 17 प्रमुख मानकों को तय किया गया है, जिसके आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा.

इसमें गरीबी का खात्मा, भुखमरी समाप्त करना, स्वस्थ्य जीवन सुनिश्चित करना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, सभी के लिए जल और स्वच्छता की उपलब्धता, सभी के लिए किफायती ऊर्जा, आर्थिक विकास और रोजगार, उद्योग का विस्तार, शहरों का बेहतर विकास, सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को बढ़ाना, सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समाज को बढ़ावा देना प्रमुख है और इसके लिए जिला योजना पदाधिकारी नोडल पदाधिकारी होंगे. सभी जिलाधिकारियों को योजना विकास विभाग की ओर से पत्र भी लिखा गया है.

ये भी पढ़ें- नीति आयोग की रिपोर्ट पर बिहार में सियासी तकरार, विपक्ष ने उठाए सवाल तो सरकार ने दिया करारा जवाब

पुडुचेरी के जिला अस्पतालों में सबसे ज्यादा औसतन 222 बेड उपलब्ध हैं, जबकि इस मामले में बिहार में औसत से भी काफी नीचे केवल 6 बेड उप्लब्ध हैं. बिहार में डॉक्टरों की स्थिति भी बहुत बेहतर नहीं है. डॉक्टरों के 60% पद खाली पड़े हुए हैं और नर्सिंग स्टाफ भी राष्ट्रीय औसत से काफी कम है. ऐसे में नीतीश सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई कदम भी उठाए हैं, लेकिन नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री भी इस पर बोलने से बचते दिख रहे हैं.

पटना: नीति आयोग (NITI Aayog) की एक के बाद एक आ रही रिपोर्ट ने नीतीश सरकार (Nitish Government) की मुश्किलें बढ़ा दी है. एसडीजी इंडेक्स 2021 में बिहार को सबसे निचले पायदान पर रखा गया था और उसको लेकर बिहार सरकार की तरफ से आपत्ति भी दर्ज कराई गई. अब नीति आयोग की ओर से जिला अस्पतालों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें बिहार में एक लाख की आबादी पर जिलों में केवल 6 बेड होने की बात कही गई है, जबकि देश में औसतन 24 बेड है.

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नीति आयोग की रिपोर्ट में लगातार बिहार के निचले पायदान पर रहने पर विपक्ष नीतीश सरकार के विकास के दावे पर सवाल खड़ा कर रहा है. नीति आयोग की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज कराने पर भी विपक्ष कह रहा है कि इसका मतलब प्रधानमंत्री पर विश्वास नहीं है. लगातार नीति आयोग की रिपोर्ट में निचले पायदान पर आने के बाद बिहार सरकार ने भी अब जिलों की रैंकिंग करने का फैसला लिया है. लेकिन, नीति आयोग की रिपोर्ट को लेकर तेजस्वी यादव लगातार हमला बोल रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

''नीति आयोग का गठन प्रधानमंत्री ने किया है, जब नीति आयोग की रिपोर्ट पर विश्वास नहीं है, इसका मतलब प्रधानमंत्री पर विश्वास नहीं है.''- मनोज झा, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आरजेडी

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नीति आयोग की ओर से जिला अस्पतालों के कामकाज को लेकर जारी रिपोर्ट के बाद नीतीश सरकार फिर से एक बार विपक्ष के निशाने पर है. नीति आयोग की रिपोर्ट में कुछ खास सेवाओं के तहत देश के 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 75 जिला अस्पतालों की उपलब्धि काफी अच्छी पाई गई है. नीति आयोग ने अपने इस अध्ययन में अस्पतालों के बेड की उपलब्धता, मरीजों को मिलने वाली जांच सुविधा, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ही मेडिकल स्टाफ की संख्या, चिकित्सा की लिए डॉक्टरों की उपलब्धता को आधार बनाया गया है .

''नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार निचले पायदान पर रहता है, यह चिंता की बात है. इसका बड़ा कारण नीति आयोग ने जो मापदंड तय किया है बिहार की ब्यूरोक्रेसी उस आधार पर काम नहीं कर रही है. वैसे तो बिहार में कई क्षेत्रों में अच्छा काम हुआ है, लेकिन नीति आयोग अपने हिसाब से चीजों को तय करता है और उस को ध्यान में रखना होगा.''- अजय झा, विशेषज्ञ प्रोफेसर

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आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल, सीईओ अमिताभ कांत भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. रोडरिको आफरीन और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में जारी किया गया. पहले भी नीति आयोग की रिपोर्ट पर नीतीश सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी. अब नीति आयोग के स्वास्थ्य संबंधित रिपोर्ट पर किरकिरी हो रही है. SDG इंडेक्स 2021 पर नीतीश सरकार ने आपत्ति भी दर्ज कराई थी. योजना विकास विभाग के मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा था कि नीति आयोग बिहार के साथ न्याय नहीं कर रहा है और नीति आयोग को एक मेमोरेंडम भी भेजा था. जेडीयू और बीजेपी के नेता नीति आयोग की रिपोर्ट से असहज हैं.

''सरकार ने हर क्षेत्र में विकास किया है. आरजेडी सरकार के समय तो बिहार कहीं था भी नहीं.''- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

''रिपोर्ट में जरूर नीचे हैं, लेकिन हम लोग एनडीए की सरकार में लगातार विकास कर रहे हैं और नई ऊंचाइयों को छुएंगे.''- विवेकानंद पासवान, बीजेपी प्रवक्ता

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नीति आयोग की रिपोर्ट ने बिहार सरकार के विकास के दावे की हवा निकाल दी है. ऐसे नीति आयोग की तर्ज पर अब बिहार सरकार ने 2030 तक सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने के लिए जिलों की रैंकिंग करने का फैसला लिया है और इसके लिए 17 प्रमुख मानकों को तय किया गया है, जिसके आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा.

इसमें गरीबी का खात्मा, भुखमरी समाप्त करना, स्वस्थ्य जीवन सुनिश्चित करना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, सभी के लिए जल और स्वच्छता की उपलब्धता, सभी के लिए किफायती ऊर्जा, आर्थिक विकास और रोजगार, उद्योग का विस्तार, शहरों का बेहतर विकास, सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को बढ़ाना, सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समाज को बढ़ावा देना प्रमुख है और इसके लिए जिला योजना पदाधिकारी नोडल पदाधिकारी होंगे. सभी जिलाधिकारियों को योजना विकास विभाग की ओर से पत्र भी लिखा गया है.

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पुडुचेरी के जिला अस्पतालों में सबसे ज्यादा औसतन 222 बेड उपलब्ध हैं, जबकि इस मामले में बिहार में औसत से भी काफी नीचे केवल 6 बेड उप्लब्ध हैं. बिहार में डॉक्टरों की स्थिति भी बहुत बेहतर नहीं है. डॉक्टरों के 60% पद खाली पड़े हुए हैं और नर्सिंग स्टाफ भी राष्ट्रीय औसत से काफी कम है. ऐसे में नीतीश सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई कदम भी उठाए हैं, लेकिन नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री भी इस पर बोलने से बचते दिख रहे हैं.

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