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Surat से बिहार और UP किस तरह लोग आते हैं.. जरा यह रिपोर्ट देख लीजिए

यदि आप ट्रेन से यात्रा करना चाहते हैं और गुजरात के सूरत से बिहार-यूपी आना चाहते हैं तो एक बार यह खबर और वीडियो जरूर देख लीजिए. क्योंकि आगे जो हम आपको बताने और दिखाने जा रहे हैं वह आपको हैरान और परेशान कर देगा.

Police Beaten To Passenger On Surat Platform Etv Bharat
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Published : Apr 25, 2023, 7:48 PM IST

Updated : Apr 25, 2023, 11:09 PM IST

सूरत प्लेटफॉर्म का नजारा देखिये

सूरत/पटना : ये जो तस्वीर आप देख रहे हैं वह उस शहर की है जहां से बुलेट ट्रेन गुजरने वाली है. जी हां ये तस्वीर सूरत के प्लेटफॉर्म नंबर चार की है. देख लीजिए किस प्रकार से पुलिस वाले लोगों को कभी डंडे मार रहे हैं तो कभी थप्पड़ जड़ रहे हैं. पर यूपी बिहार के मजदूर करे भी तो क्या, कैसो करके भी सफर करना है. दृश्य देखकर तो यह लग रहा है, ये लोग सफर नहीं करे बल्कि इंग्लिश वाला 'Suffer' कर रहे हैं. जनरल डिब्बे में तो लोग ऐसे बैठे हैं जैसे गाय-भैंस का तबेला हो. पर क्या करे जाना है तो वे अपनी जान जोखिम में डालकर 25 घंटे के सफर के लिए डिब्बे के दरवाजे पर लटकने को तैयार हैं.

ये भी पढ़ें - गया जंक्शन पर चलती ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच घिसटती रही महिला, देखें हादसे का VIDEO

क्या है पूरा मामला : दरअसल, 'ताप्ती गंगा' सूरत शहर से यूपी, बिहार के लिए एकमात्र डेली ट्रेन है. जबकि उधना-दानापुर, उधना-बनारस और अंत्योदय साप्ताहिक ट्रेनें हैं. गर्मी के मौसम में जब लाखों मजदूर अपने घर जाने के लिए रेलवे प्लेटफॉर्म पर आते हैं तो ट्रेन के डिब्बे के अंदर उनकी हालत भेड़-बकरियों जैसी होती है. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि जो यात्री जनरल डिब्बे से सफर करना चाहते हैं वह 10 से 12 घंटे पहले प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर पहुंच जाते हैं. इस ट्रेन का इंतजार करने के लिए लोग रात 11:00 बजे से प्लेटफॉर्म पर आ जाते हैं.

सांस लेने की जगह नहीं : यहां पर सिर्फ प्लेटफॉर्म पर पहुंचने से काम नहीं चलता है. लाइन में खड़े रहिए, बीच-बीच में पुलिस वाले का लाफा और डंडा भी खाना पड़ता है. कितनी भीड़ होती है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्लेटफॉर्म पर लाइन करीब 300 से 500 मीटर लंबी होती है. आरपीएफ के जवान लोगों को नियंत्रित करने के लिए बल का भी प्रयोग करते नजर आते हैं.

गांव जाने के लिए परेशान हैं लोग : 'ताप्ती गंगा' से लोग यात्रा तो करना चाहते हैं पर हर कोई खुशनसीब नहीं होता है. कई लोग प्लेटफॉर्म पर पहुंचते हैं, धक्के खाते हैं, मार खाते हैं पर उन्हें ट्रेन के अंदर जाने को नहीं मिलता है. ऐसे ही कुछ यात्रियों से ईटीवी भारत ने बातचीत की. किसी का कहना है कि 4 महीने से रिजर्वेशन के लिए तरस रहे हैं पर टिकट नहीं मिल रही है तो कोई कहता है मां बीमार है पर ट्रेन से नहीं जा पाए, अब क्या करें.

''भागलपुर जाना था. मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं है. मैं और मेरा भाई घर जाना चाह रहे थे. लेकिन ट्रेन में जगह नहीं मिलने से समस्या खड़ी हो गई है. टिकट भी ले लिया था, लेकिन ट्रेन के अंदर सीट नहीं मिली.''- सुनील मुर्मू, यात्री

''मैं एक फैक्ट्री में काम करता हूं. मैं गांव जाने के लिए आया था. कंफर्म टिकट नहीं मिला, इसलिए जनरल टिकट भी लिया था. पिछले तीन महीने से टिकट के लिए प्रयास कर रहे थे. लेकिन टिकट नहीं मिला. मैं रात 11:00 बजे से रेलवे स्टेशन आया हूं. मुझे गोरखपुर जाना है.''- रविंद्र, यात्री

सूरत प्लेटफॉर्म का नजारा देखिये

सूरत/पटना : ये जो तस्वीर आप देख रहे हैं वह उस शहर की है जहां से बुलेट ट्रेन गुजरने वाली है. जी हां ये तस्वीर सूरत के प्लेटफॉर्म नंबर चार की है. देख लीजिए किस प्रकार से पुलिस वाले लोगों को कभी डंडे मार रहे हैं तो कभी थप्पड़ जड़ रहे हैं. पर यूपी बिहार के मजदूर करे भी तो क्या, कैसो करके भी सफर करना है. दृश्य देखकर तो यह लग रहा है, ये लोग सफर नहीं करे बल्कि इंग्लिश वाला 'Suffer' कर रहे हैं. जनरल डिब्बे में तो लोग ऐसे बैठे हैं जैसे गाय-भैंस का तबेला हो. पर क्या करे जाना है तो वे अपनी जान जोखिम में डालकर 25 घंटे के सफर के लिए डिब्बे के दरवाजे पर लटकने को तैयार हैं.

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क्या है पूरा मामला : दरअसल, 'ताप्ती गंगा' सूरत शहर से यूपी, बिहार के लिए एकमात्र डेली ट्रेन है. जबकि उधना-दानापुर, उधना-बनारस और अंत्योदय साप्ताहिक ट्रेनें हैं. गर्मी के मौसम में जब लाखों मजदूर अपने घर जाने के लिए रेलवे प्लेटफॉर्म पर आते हैं तो ट्रेन के डिब्बे के अंदर उनकी हालत भेड़-बकरियों जैसी होती है. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि जो यात्री जनरल डिब्बे से सफर करना चाहते हैं वह 10 से 12 घंटे पहले प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर पहुंच जाते हैं. इस ट्रेन का इंतजार करने के लिए लोग रात 11:00 बजे से प्लेटफॉर्म पर आ जाते हैं.

सांस लेने की जगह नहीं : यहां पर सिर्फ प्लेटफॉर्म पर पहुंचने से काम नहीं चलता है. लाइन में खड़े रहिए, बीच-बीच में पुलिस वाले का लाफा और डंडा भी खाना पड़ता है. कितनी भीड़ होती है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्लेटफॉर्म पर लाइन करीब 300 से 500 मीटर लंबी होती है. आरपीएफ के जवान लोगों को नियंत्रित करने के लिए बल का भी प्रयोग करते नजर आते हैं.

गांव जाने के लिए परेशान हैं लोग : 'ताप्ती गंगा' से लोग यात्रा तो करना चाहते हैं पर हर कोई खुशनसीब नहीं होता है. कई लोग प्लेटफॉर्म पर पहुंचते हैं, धक्के खाते हैं, मार खाते हैं पर उन्हें ट्रेन के अंदर जाने को नहीं मिलता है. ऐसे ही कुछ यात्रियों से ईटीवी भारत ने बातचीत की. किसी का कहना है कि 4 महीने से रिजर्वेशन के लिए तरस रहे हैं पर टिकट नहीं मिल रही है तो कोई कहता है मां बीमार है पर ट्रेन से नहीं जा पाए, अब क्या करें.

''भागलपुर जाना था. मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं है. मैं और मेरा भाई घर जाना चाह रहे थे. लेकिन ट्रेन में जगह नहीं मिलने से समस्या खड़ी हो गई है. टिकट भी ले लिया था, लेकिन ट्रेन के अंदर सीट नहीं मिली.''- सुनील मुर्मू, यात्री

''मैं एक फैक्ट्री में काम करता हूं. मैं गांव जाने के लिए आया था. कंफर्म टिकट नहीं मिला, इसलिए जनरल टिकट भी लिया था. पिछले तीन महीने से टिकट के लिए प्रयास कर रहे थे. लेकिन टिकट नहीं मिला. मैं रात 11:00 बजे से रेलवे स्टेशन आया हूं. मुझे गोरखपुर जाना है.''- रविंद्र, यात्री

Last Updated : Apr 25, 2023, 11:09 PM IST
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