पटना: कोरोना वायरस (Covid-19) दुनिया भर के लिए अभी तक अबूझ पहेली बना हुआ है. आए दिन बदलते म्युटेंट चिकित्सा जगत की परेशानियों को और बढ़ा रहे हैं. कोरोनावायरस के डेल्टा वैरिएंंट ने विगत वर्ष अप्रैल से जून तक जो तबाही मचाई है, उसके कहर को देश ने झेला है. अब वायरस का नया वेरिएंट B.1.1.529 (ओमीक्रोन) ने दुनियाभर को एक बार फिर से मुसीबत में डाल दिया है. प्रत्येक दिन सामने आ रहे कोरोना के मामलों (Corona Daily Cases) ने एक बार फिर से लोगों को डराना शुरू कर दिया है.
यह भी पढ़ें- WHO ने गंभीर परिणाम की दी चेतावनी, कहा- ओमीक्रोन से संबंधित जोखिम 'बहुत अधिक'
डब्ल्यूएचओ ने भी इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न के रूप में घोषित किया है. नए वैरिएंंट को लेकर अब आम लोग भी चिंतित हो गए हैं. नए वेरिएंट के बारे में ईटीवी भारत (ETV Bharat) ने पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और वर्तमान में प्रोफ़ेसर के तौर पर कार्यरत डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह (Dr. Satyendra Narayan Singh From Patna) से खास बातचीत की है और जानने की कोशिश की है कि कैसे ये वैरिएंट ज्यादा नुकसान देह है.
यह भी पढ़ें- जानिए कहां टीका लगाने पहुंची टीम तो बुजुर्ग चढ़ गया छप्पर पर
प्रोफेसर सत्येंद्र नारायण सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस एक आरएनए वायरस है और आरएनए वायरस का नेचर होता है कि वह म्यूटेट होते रहता है. अभी तक ओमीक्रोन वैरिएंट के बारे में जो जानकारी सामने आई है वह यह है कि यह अन्य वैरिएंट के तुलना में काफी अधिक संक्रामक है.
ये भी पढ़ें- नीति आयोग की रिपोर्ट पर NDA में घमासान, HAM-JDU ने उठाए सवाल तो BJP ने अपनाया बीच का रास्ता
इस वैरिएंट का संक्रमण फैलने की दर पहले वाले वैरिएंट से ज्यादा है. उन्होंने बताया कि यह वैरिएंट कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से 6 से 7 गुना अधिक संक्रामक (Omicron 6 Times More Transmissible) है. डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि यह नया वैरिएंट अधिक संक्रामक है, उसको लेकर हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है. हालांकि अभी दुनिया के कई देशों में इस पर स्टडी चल रही है कि यह वैरिएंट अधिक संक्रामक है. लेकिन इसके साथ ही यह घातक कितना है.
ये भी पढ़ें- कोरोना के नए वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता, विदेश से आये 281 लोगों को ढूंढ रहा बिहार का स्वास्थ्य विभाग
डॉक्टर एसएन सिंह ने कहा कि ओमीक्रोन वैरिएंंट काफी संक्रामक है और यह काफी तेजी से फैल रहा है. ऐसे में हमें काफी सतर्क रहने की आवश्यकता है. एक भी केस प्रदेश में मिलता है तो यह बहुतों में इंफेक्शन फैला सकता है. अभी के समय देश में और खासकर बिहार में कोरोना के मामले काफी कम आ रहे हैं.
"लोग लापरवाह हो गए हैं. अब चेहरे पर मास्क नहीं लगा रहे और बाजार में भी भीड़ भाड़ की स्थिति खूब नजर आ रही है. इससे बचाव का तरीका है कि कोरोना गाइडलाइंस के जो भी नियम है उसे पालन करें जैसे चेहरे पर मास्क लगाएं और हैंड हाइजीन पर विशेष ध्यान रखें, भीड़ भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें."- डॉक्टर एसएन सिंह, माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष
डॉक्टर एसएन सिंह ने कहा कि कोरोना के इस नए वैरिएंंट से बचना है तो कोविड गाइडलाइन के अलावा जरूरी (Know About Prevention Of Omicron ) है कि अब वैक्सीन की बूस्टर डोज की भी शुरुआत की जाए. जिन लोगों ने सिंगल डोज लिया है उन्हें डबल डोज दिया जाए और जिनको डबल डोज लिए हुए 9 महीना से अधिक समय होने जा रहे है, उन्हें बूस्टर डोज दिया जाए. क्योंकि 6 महीने के बाद वैक्सीन का एंटीबॉडी लेवल शरीर से कम होने लगता है.
हालांकि टी सेल में जरूर बीमारी से लड़ने की क्षमता मौजूद रहती है लेकिन अगर बूस्टर डोज दिया जाए तो एंटीबॉडी लेवल और ऊपर बढ़ जाता है. इससे बीमारी से लड़ने की क्षमता और अधिक बढ़ जाती है. अभी के समय में वैक्सीनेशन पर अधिक फोकस रखने की आवश्यकता है, क्योंकि कोरोना वायरस के किसी भी म्युटेंट से लड़ने के लिए एकमात्र उपाय वैक्सीनेशन है.
डॉक्टर एसएन सिंह ने बताया कि वायरस के इस नए वेरिएंट ओमीक्रोन का पता लगाने में एंटीजन कीट से जांच और आरटी पीसीआर पूरी तरह सक्षम है. इन जांचों से यह जरूर पता लग जाएगा कि शरीर में कोरोना है या नहीं. लेकिन यह कोरोना का कौन सा म्युटेंट है, यह पता लगाने के लिए देश में कुछ विशेष लैब हैं, जहां यह पता चल सकता है कि सैंपल में मौजूद वायरस कोरोना का कौन सा म्युटेंट है.
डॉक्टर एसएन सिंह ने कहा कि पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी में प्रतिदिन लगभग 2500 की संख्या में आरटीपीसीआर जांच हो रहे हैं और बीते 2 दिनों से एक भी पॉजिटिव मामले नहीं आए हैं. अभी ओमीक्रोन काफी नया है और इस पर विस्तृत स्टडी नहीं हुआ है. भारत (Omicron In India) में अभी इसके मामले नहीं मिले हैं. फिर भी विदेशों से आने वाले लोगों की जो सूची है, उनमें से अगर कोई पॉजिटिव आता है तो उनके सैंपल को पुणे, कोलकाता या फिर भुनेश्वर लैब में भेजा जाएगा, ताकि पता लग सके कि सैंपल में कौन सा म्युटेंट है.
प्रोफेसर ने उन्होंने बताया कि अभी जरूरी है कि विदेशों से खासकर अफ्रीकन देशों से आने वाले लोगों को एयरपोर्ट पर ही डिटेन किया जाए और उन्हें 7 दिनों के आइसोलेशन में रखा जाए. आइसोलेशन में जाने वक़्त उनका सैंपल कलेक्ट किया जाए और फिर निकलने के 2 दिन पहले सैंपल कलेक्ट किया जाए और जांच कर पता लगाया जाए कि शरीर में वायरस है या नहीं.अगर वायरस है तो वायरस का कौन सा म्युटेंट है, इसका भी पता लगाना जरूरी है.
डॉक्टर एसएन सिंह ने कहा कि ओमीक्रोन वैरिएंंट को लेकर पैनिक होने की अभी आवश्यकता नहीं है. लेकिन इसकी गंभीरता को देखते हुए अभी से सतर्क रहने की आवश्यकता जरूर है. और जो लोग अब तक वैक्सीनेशन से वंचित हैं, वह जल्द से जल्द अपना वैक्सीनेशन कराएं ताकि खुद को और परिवार को सुरक्षित रख सकें.
ऐसी ही विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP