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पटना: PMC के 70 कर्मियों ने किया हजारों शवों का दाह संस्कार, एक को भी नहीं छू सका कोरोना

बिहार में कोरोना की दूसरी वेव के कोहराम के बीच पटना के तीन घाट पर 70 नगर निगम कर्मियों ने हजारों कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार किया. बावजूद इसके एक भी लोग कोरोना से संक्रमित नहीं हुए.

पटना
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Published : Jun 5, 2021, 9:26 PM IST

Updated : Jun 5, 2021, 10:52 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना (Corona in Bihar) की दूसरी लहर ने जमकर कहर बरपाया. महामारी से पटना में हजारों लोगों की मौत हो गई. लोगों को अपने परिजनों के शवों का अंतिम संस्कार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. अप्रैल के दूसरे सप्ताह से नगर निगम ने पटना के तीन घाट बांस घाट, गुलबी घाट और खाजेकलां घाट पर कोरोना से हुई मौत पर नि:शुल्क दाह संस्कार की व्यवस्था शुरू की. एक आंकड़े के अनुसार तीनों घाट पर करीब 3 हजार शवों का दाह संस्कार किया गया.

ये भी पढ़ें- Black Fungus in East Champaran: रक्सौल डीसीएचसी में भर्ती महिला में मिले लक्षण, रेफर करने की तैयारी

तीनों घाट पर 70 लोग तैनात
नगर निगम के आयुक्त हिमांशु शर्मा के अनुसार दाह संस्कार के लिए नगर निगम ने तीनों घाट पर 70 लोगों को तैनात किया था. सभी तरह के सुरक्षा उपायों, साधन और पीपीई किट, ग्लव्स, सेनिटाइजर के साथ-साथ मास्क भी नगर निगम कर्मियों को दिया गया था, जो शव के दाह संस्कार के समय में इस्तेमाल करते थे. हजारों लोगों के शव को जलाने वाले ये कर्मी अभी भी सुरक्षित हैं, इन्हें किसी भी तरह का कोरोना संक्रमण नहीं हुआ है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

एक को भी नहीं हुआ संक्रमण
बता दें कि अप्रैल माह से लेकर पूरे मई और फिलहाल जून के पहले सप्ताह तक कोरोना से जिन लोगों की मौत हुई थी, उन सभी का दाह संस्कार करने वाले सभी कर्मी स्वस्थ्य हैं. पटना के बांस घाट में लकड़ी का कारोबार करने वाले जोनी कुमार राय बताते हैं कि अभी तक यहां एक भी आदमी कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है.

जोनी कुमार राय, स्थानीय लकड़ी विक्रेता
जोनी कुमार राय, स्थानीय लकड़ी विक्रेता

''ये छुआछूत की बीमारी है, हम लोग ऐसा नहीं मानते है. जबकि एम्बुलेंस से शव को घाट तक लाने का काम यही लोग करते हैं. साथ ही शव का दाह संस्कार करते हैं, लेकिन यहां जो लोग है सब सुरक्षित हैं.''- जोनी कुमार राय, स्थानीय लकड़ी विक्रेता

डॉक्टर मनीष मंडल, आईजीआईएमएस के अधीक्षक
डॉक्टर मनीष मंडल, आईजीआईएमएस के अधीक्षक

''खुले में शव को लकड़ी से जलाया जाता है या उच्च तापमान में शव जलाया जाता है. उससे संक्रमण का खतरा कम होता है. साथ ही जलाने वाले जो लोग है वो पीपीई किट मास्क का भी उपयोग करते हैं. उन्होंने साफ-साफ कहा कि हमारे संस्थान में भी जो डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मी बंद जगह यानी आईसीयू या वार्ड में काम करते है. उन्हें संक्रमित होने का चांस ज्यादा रहता है और जो खुले जगह पर काम कर रहे है उन्हें संक्रमण का खतरा काफी कम होता है. यही कारण है कि वे लोग संक्रमण से बचे हुए हैं.''- डॉक्टर मनीष मंडल, आईजीआईएमएस के अधीक्षक

पटना का विद्युत शव दाह गृह
पटना का विद्युत शव दाह गृह

कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार
बता दें कि पटना के बांस घाट में 30 कर्मी, गुलबी घाट में 24 और खाजेकलां घाट पर 16 कर्मियों को शव के अंतिम संस्कार के लिए तैनात किया गया था. कोरोना संक्रमण की तेज लहर में ये कर्मी अलग-अलग शिफ्ट में काम कर कोरोना से मृत व्यक्तियों के शव का दाह संस्कार करते थे. इसके बावजूद भी ये कोरोना संक्रमण से बचे रहे.

ये भी पढ़ें- कोरोना से जंग: 'डोर टू डोर किया जा रहा पंचायतों को सैनिटाइज, 7 करोड़ लोगों को दिया गया मास्क'

फिलहाल, कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या में कमी आयी है. टीम अभी भी काम कर रही है. पटना के बांस घाट में अभी भी 3 से 4 की संख्या में ऐसे शव आ जा रहे हैं, जिसका अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

पटना: बिहार में कोरोना (Corona in Bihar) की दूसरी लहर ने जमकर कहर बरपाया. महामारी से पटना में हजारों लोगों की मौत हो गई. लोगों को अपने परिजनों के शवों का अंतिम संस्कार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. अप्रैल के दूसरे सप्ताह से नगर निगम ने पटना के तीन घाट बांस घाट, गुलबी घाट और खाजेकलां घाट पर कोरोना से हुई मौत पर नि:शुल्क दाह संस्कार की व्यवस्था शुरू की. एक आंकड़े के अनुसार तीनों घाट पर करीब 3 हजार शवों का दाह संस्कार किया गया.

ये भी पढ़ें- Black Fungus in East Champaran: रक्सौल डीसीएचसी में भर्ती महिला में मिले लक्षण, रेफर करने की तैयारी

तीनों घाट पर 70 लोग तैनात
नगर निगम के आयुक्त हिमांशु शर्मा के अनुसार दाह संस्कार के लिए नगर निगम ने तीनों घाट पर 70 लोगों को तैनात किया था. सभी तरह के सुरक्षा उपायों, साधन और पीपीई किट, ग्लव्स, सेनिटाइजर के साथ-साथ मास्क भी नगर निगम कर्मियों को दिया गया था, जो शव के दाह संस्कार के समय में इस्तेमाल करते थे. हजारों लोगों के शव को जलाने वाले ये कर्मी अभी भी सुरक्षित हैं, इन्हें किसी भी तरह का कोरोना संक्रमण नहीं हुआ है.

ईटीवी भारत GFX
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एक को भी नहीं हुआ संक्रमण
बता दें कि अप्रैल माह से लेकर पूरे मई और फिलहाल जून के पहले सप्ताह तक कोरोना से जिन लोगों की मौत हुई थी, उन सभी का दाह संस्कार करने वाले सभी कर्मी स्वस्थ्य हैं. पटना के बांस घाट में लकड़ी का कारोबार करने वाले जोनी कुमार राय बताते हैं कि अभी तक यहां एक भी आदमी कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है.

जोनी कुमार राय, स्थानीय लकड़ी विक्रेता
जोनी कुमार राय, स्थानीय लकड़ी विक्रेता

''ये छुआछूत की बीमारी है, हम लोग ऐसा नहीं मानते है. जबकि एम्बुलेंस से शव को घाट तक लाने का काम यही लोग करते हैं. साथ ही शव का दाह संस्कार करते हैं, लेकिन यहां जो लोग है सब सुरक्षित हैं.''- जोनी कुमार राय, स्थानीय लकड़ी विक्रेता

डॉक्टर मनीष मंडल, आईजीआईएमएस के अधीक्षक
डॉक्टर मनीष मंडल, आईजीआईएमएस के अधीक्षक

''खुले में शव को लकड़ी से जलाया जाता है या उच्च तापमान में शव जलाया जाता है. उससे संक्रमण का खतरा कम होता है. साथ ही जलाने वाले जो लोग है वो पीपीई किट मास्क का भी उपयोग करते हैं. उन्होंने साफ-साफ कहा कि हमारे संस्थान में भी जो डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मी बंद जगह यानी आईसीयू या वार्ड में काम करते है. उन्हें संक्रमित होने का चांस ज्यादा रहता है और जो खुले जगह पर काम कर रहे है उन्हें संक्रमण का खतरा काफी कम होता है. यही कारण है कि वे लोग संक्रमण से बचे हुए हैं.''- डॉक्टर मनीष मंडल, आईजीआईएमएस के अधीक्षक

पटना का विद्युत शव दाह गृह
पटना का विद्युत शव दाह गृह

कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार
बता दें कि पटना के बांस घाट में 30 कर्मी, गुलबी घाट में 24 और खाजेकलां घाट पर 16 कर्मियों को शव के अंतिम संस्कार के लिए तैनात किया गया था. कोरोना संक्रमण की तेज लहर में ये कर्मी अलग-अलग शिफ्ट में काम कर कोरोना से मृत व्यक्तियों के शव का दाह संस्कार करते थे. इसके बावजूद भी ये कोरोना संक्रमण से बचे रहे.

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फिलहाल, कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या में कमी आयी है. टीम अभी भी काम कर रही है. पटना के बांस घाट में अभी भी 3 से 4 की संख्या में ऐसे शव आ जा रहे हैं, जिसका अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

Last Updated : Jun 5, 2021, 10:52 PM IST
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