पटनाः चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एलान किया है कि वह किसी पार्टी में शामिल नहीं होंगे और ना ही बिहार में किसी पार्टी के लिए काम करेंगे. बल्कि पीके 'बात बिहार की' नाम से एक मुहिम की शुरुआत करने जा रहे हैं. इसके जरिये बिहार में युवाओं की एक फौज तैयार करेंगे. उन्होंने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह लीड करना चाहते हैं या फिर किसी का पिछलग्गू बन कर कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं.
पीके ने कहा कि चुनाव में लड़ना, लड़ाना मेरा रोज का काम है. बिहार को ऐसे लोगों से जोड़ना चाहता हूं जो बिहार को चलाएं. पीके के मुताबिक वो ऐसा राजनीतिक नेतृत्व खड़ा करेंगे जो बिहार को एक नया मुकाम देगा. पीके ने एलान करते हुए कहा कि वह, 'बात बिहार की' के नाम से नए कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं. इसके जरिए वह बिहार के हर पंचायत तक पहुंचेंगे. जहां से युवाओं को अपने साथ जोड़ेंगे. पीके ने बिहार के विकास के संदर्भ में भी बात की. उन्होंने बताया कि बिहार प्रति व्यक्ति आय के मामले में 22 वें नंबर पर है. 10 वें नंबर तक आने कि लिए 8 गुणा बढ़ोत्तरी करनी होगी.
'गांधी और गोडसे एक साथ नहीं'
मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए पीके ने बताया कि बिहार में बदलाव के लिए अभी 3 लाख लोग उनके साथ जुड़े हैं. पीके ने मार्च 2020 तक 10 लाख लोगों को 'बात बिहार की' मुहीम से जोड़ने की बात कही है. इस दौरान पीके सोशल मीडिया को लेकर विरोधियों पर जमकर हमला किया. उन्होंने कहा कि गुजरात को ट्वीटर की जानकारी देने वाला कोई बिहारी ही था. नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए पीके ने कहा कि पटना के हालात के लिए कौन जिम्मेदार है. वहीं, पीके ने नीतीश से सवाल करते हुए कहा कि गांधी और गोडसे का सिद्धांत एक साथ लेकर कैसे चल सकते हैं?
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पीके के टारगेट पर नीतीश
पीके से स्पष्ट करते हुए कहा कि वो कोई राजनीतिक दल नहीं बनायेंगे और ना ही किसी के साथ जाने का कोई मकसद है. प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान नीतीश कुमार पीके के टारगेट पर रहे. उन्होंने कहा कि 2004 से नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हैं. नीतीश कुमार ने ही बिहार में नरेंद्र मोदी को रोका था. वहीं आज नीतीश कुमार मोदी के पीछे खड़े हैं. सवाल यही है कि नीतीश कुमार किस सिद्धांत की राजनीति कर रहे हैं. कन्हैया कुमार को लेकर पीके ने कहा कि वे बिहार के लड़के हैं जो बिहार में कुछ करना चाहते हैं. मैं ऐसे लोगों के साथ काम करूंगा जो बिहार का विकास चाहते हैं.