पटना: पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का विरोध जारी है. सियासी दलों के नेताओं और दिवंगत डीएम जी कृष्णैया के परिवार की आपत्ति के बीच पटना हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल हुई है. जिसमें जेल नियमों में बदलाव को चुनौती दी गई है. भीम आर्मी के नेता अमर ज्योति ने हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल किया है. याचिकाकर्ता की अधिवक्ता अलका वर्मा ने कहा कि कानून में सशोधन से सरकारी कर्मचारियों का मनोबल गिरेगा. जल्द ही इस मामले में उच्च न्यायालय में सुनवाई होगी.
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"मैं किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ में कुछ नहीं कर रही हूं. जो अमेंडमेंट अभी आया है, वो जनता के सरोकार से जुड़ा हुआ है. इसीलिए पीआईएल दाखिल की गई है. इससे हमारे पब्लिक सर्वेंट ऑन ड्यूटी का मोराल गिरा है"- अलका वर्मा, याचिकाकर्ता की अधिवक्ता
आनंद मोहन जेल से रिहा: पूर्व सांसद आनंद मोहन गुरुवार सुबह सहरसा मंडल कारा से रिहा हुए हैं. हालांकि उनकी रिहाई दोपहर 2 बजे होना था लेकिन अचानक सुबह में खबर आई कि उनको जेल से रिहा कर दिया गया है. अभी तक आनंद मोहन मीडिया के सामने नहीं आए हैं. बुधवार को पैरोल खत्म होने के बाद जेल जाने से पहले उन्होंने कहा था कि रिहाई के बाद तमाम सवालों का पटना में जवाब देंगे.
सरकार के फैसले का विरोध: दरअसल, हाल में ही बिहार सरकार ने आनंद मोहन समेत 27 कैदियों की रिहाई का आदेश दिया था. इसके लिए बिहार कारा हस्तक 2012 के नियम 481 (i) में संशोधन किया गया है. इसी को लेकर असल विरोध है. पहले इस कानून में यह प्रावधान था कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी की ऑन ड्यूटी हत्या होती है तो दोषी को सजा में किसी तरह की रियायत नहीं मिलेगी. यानी वह अंतिम सांस तक जेल में ही रहेगा लेकिन अब नियम में संशोधन के बाद इसे सामान्य व्यक्ति की तरह ही देखा जाएगा. यही वजह है कि 14 साल की सजा काटने के बाद आनंद मोहन को रिहा कर दिया गया है.
डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में आनंद मोहन को उम्रकैद: आपको बताएं कि आनंद मोहन को डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा मिली थी. आरोप के मुताबिक 5 दिसंबर 1994 को जिस भीड़ ने कृष्णैया की हत्या कर दी थी, उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे. इस मामले में आनंद मोहन को फांसी की सजा मिली थी लेकिन पटना हाईकोर्ट ने उसे उम्रकैद में बदल दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी उस फैसले को बरकरार रखा था.