पटना: बिहार में बेरोजगारी का ताजा उदाहरण इन दिनों बिहार विधान परिषद में देखने को मिल रहा है. दरअसल, विधान परिषद में पेपर आर्डर डिस्ट्रीब्यूटर की पोस्ट के लिए इंटरव्यू लिया जा रहा है. चपरासी के समतुल्य पोस्ट के लिए अधिकतम क्वालिफिकेशन मैट्रिक रखा गया है. लेकिन, प्रदेश में बेरोजगारी का आलम ये है कि इंटरव्यू देने के लिए एमए पास और पीजी पास से भी ज्यादा पढ़े-लिखे अभ्यर्थी पहुंच रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक बिहार विधान परिषद में खाली पड़े 7 पदों के लिए 25,000 से अधिक आवेदन आए हैं. जिसमें पेपर आर्डर डिस्ट्रीब्यूटर पोस्ट को चपरासी के समतुल्य माना जाता है. इसके लिए अधिकतम क्वालिफिकेशन मैट्रिक रखा गया है. लेकिन, इंटरव्यू देने पहुंच रहे अभ्यर्थियों का क्वालिफिकेशन इससे कहीं ज्यादा है.
'क्या करें, नौकरी नहीं है साहब!'
पीजी पास अभ्यर्थियों से जब इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने रुआंसा स्वर में बताया कि क्या करें साहब, नौकरी तो चाहिए. अभ्यर्थियों ने ये भी कहा कि ज्यादा पढ़े-लिखे आवेदकों के आने से कॉम्पटीशन भी टफ हो गया है. सरकार तो कुछ कर नहीं रही है.
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बेरोजगारी पर सियासत
बहरहाल, बढ़ती बेरोजगारी को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है. बिहार में इन दिनों आरजेडी और जेडीयू के बीच पोस्टर वॉर भी छिड़ा हुआ है. जिसमें प्रमुख विपक्षी दल आरजेडी ने रोजगार को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साधा है. वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बेरोजगारी यात्रा पर हैं.