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खाद्य तेलों की कीमत आसमान पर, दुकानदारों के साथ आम लोगों की भी बढ़ी परेशानी - Inflation after corona

कोरोना काल में हुए लॉकडाउन के बाद पिछले कुछ महीनों में सरसों तेल और पाम ऑयल समेत तमाम खाद्य तेलों की कीमत में खासी बढ़ोतरी हुई है. पूरे साल तक सरकार ने खाद्य तेलों पर करीब 20 से 30% तक सेस लगाया. जिसका नतीजा यह हुआ कि पाम ऑयल समेत तमाम खाद्य तेलों की कीमतें उछाल पर हैं. ना सिर्फ व्यवसाई बल्कि आम लोग भी खाद्य तेल की कीमतें बढ़ने से परेशान हैं. एडिबल ऑयल की कीमतें बढ़ने से कितना फर्क पड़ा है, इसकी पड़ताल करती यह खास रिपोर्ट देखिए.

पटना
पटना
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Published : Feb 4, 2021, 11:10 PM IST

Updated : Feb 5, 2021, 7:42 AM IST

पटना: देश में खाद्य तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं. चाहे सरसों तेल हो, सोयाबीन तेल हो, रिफाइंड ऑयल हो, डालडा हो या फिर पाम ऑयल. सबकी कीमतें पिछले कुछ दिनों में लगातार बढ़ी है. बीते 1 फरवरी को केंद्रीय बजट के दौरान यह खबर आई कि पाम ऑयल की कीमतें बढ़ाई गई हैं, जिसके बाद आनन-फानन में पाम ऑयल की खुदरा कीमत में बढ़ोतरी हो गई. हालांकि डिस्ट्रीब्यूटर का दावा है कि 2 दिन बाद ही कीमतें फिर नीचे आ गई और पहले की तरह ही पाम ऑयल की कीमत अपने सामान्य लेवल पर आ गई.

ईटीवी भारत की टीम ने ली जायजा
पटना स्थित थोक मंडी मीठापुर में ईटीवी भारत की टीम ने पाम ऑयल और अन्य खाद्य तेल की कीमतों के बारे में रिटेलर और डिस्ट्रीब्यूटर से बात की. डिस्ट्रीब्यूटर कमल का कहना है '1 फरवरी को बजट के दौरान पाम ऑयल की कीमत बढ़ने की जानकारी मिलते ही इसकी कीमत बढ़ गई और जमकर खरीद भी हुई, लेकिन 2 दिन बाद फिर यह पहले वाली स्थिति में पहुंच गया.'

पेश है रिपोर्ट

इधर खाद्य तेलों के रिटेल व्यवसाई मुन्ना कुमार ने बताया 'सभी तरह के तेलों में पिछले 2 महीने में अच्छी खासी वृद्धि हुई है, फिर भी होटल और छोटे-छोटे ढाबे वाले पाम ऑयल ही खरीद रहे हैं. जबकि घर के लिए लोग अब भी सरसों तेल की खरीदारी कर रहे हैं.'

वहीं, खाद्य जिलों में मिलावट की बात से व्यवसाई ने इंकार किया और कहा कि कोई भी ब्रांड अपनी क्वालिटी से समझौता नहीं कर सकता और यही वजह है कि मिलावट की कोई संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही.

बिहार में खाद्य तेलों के दाम
बिहार में खाद्य तेलों के दाम

'मिलावट का मामला नहीं आया सामने'
'हाल के दिनों में खाद्य तेल में मिलावट का कोई मामला सामने नहीं आया है. खाद्य तेलों के उपयोग को लेकर कुछ नियम हैं, जिनका पालन कराया जा रहा है. 3 महीने पहले कुछ सैंपल जांच के लिए कोलकाता लैब भेजा गया था, उनकी रिपोर्ट अब तक नहीं आई है. पाम ऑयल स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता. यही वजह है कि लोग आमतौर पर इसे घर में भोजन बनाने में प्रयोग नहीं करते. लेकिन छोटे ढाबे वाले, होटल और रेस्टोरेंट जमकर पाम ऑयल प्रयोग करते हैं. क्योंकि ये सस्ता पड़ता है.' - अजय कुमार, खाद्य सुरक्षा इंस्पेक्टर

ईटीवी भारत से बात करते दुकानदार
ईटीवी भारत से बात करते दुकानदार

ये भी पढ़ेंः पटना: निगम की एक और योजना अटकी, कागजों में ही सिमटकर रह गई 'स्मार्ट वाटर सप्लाई'

छोटे दुकानदार और उपभोक्ता हैं त्रस्त
इधर, छोटे दुकानदार भी महंगाई से त्रस्त हैं. ऐसे ही एक दुकानदार दिलीप का कहना है 'सभी तरह के तेल का दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं. लेकिन मजबूरी है इनके बिना हमारा काम नहीं चल सकता.' वहीं, उपभोक्ता राकेश शाह ने कहा 'अमीर लोगों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लेकिन गरीबों को तो हर दिन जुगाड़ करना पड़ता है. भले ही पाम ऑयल सस्ता पड़ता है लेकिन हम घर में सरसों का तेल ही प्रयोग करते हैं. सरसों तेल काफी महंगा पड़ रहा है, लेकिन मजबूरी है खाना बनाना के लिए सरसों तेल का ही प्रयोग करना पड़ेगा. सरकार को इसकी कीमत कम करनी चाहिए.'

पटना: देश में खाद्य तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं. चाहे सरसों तेल हो, सोयाबीन तेल हो, रिफाइंड ऑयल हो, डालडा हो या फिर पाम ऑयल. सबकी कीमतें पिछले कुछ दिनों में लगातार बढ़ी है. बीते 1 फरवरी को केंद्रीय बजट के दौरान यह खबर आई कि पाम ऑयल की कीमतें बढ़ाई गई हैं, जिसके बाद आनन-फानन में पाम ऑयल की खुदरा कीमत में बढ़ोतरी हो गई. हालांकि डिस्ट्रीब्यूटर का दावा है कि 2 दिन बाद ही कीमतें फिर नीचे आ गई और पहले की तरह ही पाम ऑयल की कीमत अपने सामान्य लेवल पर आ गई.

ईटीवी भारत की टीम ने ली जायजा
पटना स्थित थोक मंडी मीठापुर में ईटीवी भारत की टीम ने पाम ऑयल और अन्य खाद्य तेल की कीमतों के बारे में रिटेलर और डिस्ट्रीब्यूटर से बात की. डिस्ट्रीब्यूटर कमल का कहना है '1 फरवरी को बजट के दौरान पाम ऑयल की कीमत बढ़ने की जानकारी मिलते ही इसकी कीमत बढ़ गई और जमकर खरीद भी हुई, लेकिन 2 दिन बाद फिर यह पहले वाली स्थिति में पहुंच गया.'

पेश है रिपोर्ट

इधर खाद्य तेलों के रिटेल व्यवसाई मुन्ना कुमार ने बताया 'सभी तरह के तेलों में पिछले 2 महीने में अच्छी खासी वृद्धि हुई है, फिर भी होटल और छोटे-छोटे ढाबे वाले पाम ऑयल ही खरीद रहे हैं. जबकि घर के लिए लोग अब भी सरसों तेल की खरीदारी कर रहे हैं.'

वहीं, खाद्य जिलों में मिलावट की बात से व्यवसाई ने इंकार किया और कहा कि कोई भी ब्रांड अपनी क्वालिटी से समझौता नहीं कर सकता और यही वजह है कि मिलावट की कोई संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही.

बिहार में खाद्य तेलों के दाम
बिहार में खाद्य तेलों के दाम

'मिलावट का मामला नहीं आया सामने'
'हाल के दिनों में खाद्य तेल में मिलावट का कोई मामला सामने नहीं आया है. खाद्य तेलों के उपयोग को लेकर कुछ नियम हैं, जिनका पालन कराया जा रहा है. 3 महीने पहले कुछ सैंपल जांच के लिए कोलकाता लैब भेजा गया था, उनकी रिपोर्ट अब तक नहीं आई है. पाम ऑयल स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता. यही वजह है कि लोग आमतौर पर इसे घर में भोजन बनाने में प्रयोग नहीं करते. लेकिन छोटे ढाबे वाले, होटल और रेस्टोरेंट जमकर पाम ऑयल प्रयोग करते हैं. क्योंकि ये सस्ता पड़ता है.' - अजय कुमार, खाद्य सुरक्षा इंस्पेक्टर

ईटीवी भारत से बात करते दुकानदार
ईटीवी भारत से बात करते दुकानदार

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छोटे दुकानदार और उपभोक्ता हैं त्रस्त
इधर, छोटे दुकानदार भी महंगाई से त्रस्त हैं. ऐसे ही एक दुकानदार दिलीप का कहना है 'सभी तरह के तेल का दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं. लेकिन मजबूरी है इनके बिना हमारा काम नहीं चल सकता.' वहीं, उपभोक्ता राकेश शाह ने कहा 'अमीर लोगों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लेकिन गरीबों को तो हर दिन जुगाड़ करना पड़ता है. भले ही पाम ऑयल सस्ता पड़ता है लेकिन हम घर में सरसों का तेल ही प्रयोग करते हैं. सरसों तेल काफी महंगा पड़ रहा है, लेकिन मजबूरी है खाना बनाना के लिए सरसों तेल का ही प्रयोग करना पड़ेगा. सरकार को इसकी कीमत कम करनी चाहिए.'

Last Updated : Feb 5, 2021, 7:42 AM IST
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